कर्नाटक विधानसभा चुनाव की घोषणा,10 मई को मतदान व 13 मई को परिणाम।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कर्नाटक विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। दस मई को मतदान और तेरह को परिणाम। यहाँ 224 सदस्यीय विधानसभा में फ़िलहाल भाजपा के 119, कांग्रेस के 75 और जनतादल (एस) के 28 सदस्य हैं। आने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस 124 उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुकी है और भाजपा की सूची अप्रैल के पहले हफ़्ते में आने की उम्मीद है।
दक्षिण का द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक में सीधे तौर पर चुनावी टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। हालाँकि, त्रिशंकु विधानसभा की सूरत में जनता दल एस की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। जद एस यहाँ किंग मेकर की लड़ाई लड़ता रहा है। कभी कभी किंग भी बन जाता है।
वैसे येदियुरप्पा का ज़रूरत से ज़्यादा तरजीह देकर भाजपा यहाँ दोबारा सत्ता में आने के लिए जी ना लगा रही है, लेकिन हक़ीक़त यह है कि पिछले अड़तीस साल के राजनीतिक इतिहास में किसी दल भी दल की लगातार दो बार जीत नहीं हुई। यानी हर बार सत्ता बदल जाती है। राजस्थान की तरह। कर्नाटक में 1985 के बाद कोई भी दल सत्ता में लगातार दो बार नहीं रहा।
भाजपा कर्नाटक में यह अड़तीस साल से चले आ रहे रिवाज को तोड़ना चाहती है। जबकि कांग्रेस कर्नाटक जीतकर मुख्य विपक्षी के रूप में मज़बूती चाहती है ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने की सूरत में आ सके। जहां तक चुनावी मुद्दों की बात है यहाँ महंगाई या बेरोज़गारी जैसा कोई मुद्दा तो नहीं है लेकिन भ्रष्टाचार, परिवारवादी, जातिवाद और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ आरक्षण बडा मुद्दा हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा कर्नाटक में लगातार सभाएं कर रहे हैं। रुझान भी फ़िलहाल तो भाजपा के पक्षों दिखाई दे रहा है। लेकिन अभी से इस बारे में कोई अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, उसके पास राहुल गांधी की संसद सदस्यता छिनने और साथ में मकान तक ख़ाली करने का नोटिस मिलने के सिवाय कोई मुद्दा दिखाई नहीं दे रहा है।
खुद राहुल गांधी इस मुद्दे को लेकर कर्नाटक में उतरने की सोच रहे हैं। देखना यह है कि उनके हिस्से में कितनी सहानुभूति आती है और सही मायने में वह वोट में तब्दील हो पाती है या नहीं! कर्नाटक के चुनाव परिणाम इन दोनों ही राजनीतिक पार्टियों की कार्यशैली भी तय करेंगे और निश्चित तौर पर आगे की दिशा – दशा भी।
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