siwan:सीवान के महाराजगंज अनुमंडल की 32 वीं वर्षगांठ पर नमन, वंदन, अभिनंदन
महाराजगंज अनुमंडल स्थापना दिवस की शुभकामनाएं
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
…सच में मैं अप्रैल फूल बन गया। शायद इसीलिए मेरा स्थापना उस दिन किया गया जिस दिन को लोग मूर्ख दिवस के रूप में मनाते हैं। स्थापना के साथ ही मुझे अश्वासन तो बहुत मिले लेकिन जमीन पर शायद ही कुछ हो पाया।
स्थापना दिवस के अवसर पर मैं महराजगंज आज अपना दर्द साझा करने आया हूं ..क्योंकि मुझे लगता है कि अब मुझे ही अपना दर्द बताना पड़ेगा। आज मैं जो भी हूं मेरा इतिहास इससे काफी बड़ा था…. जब किसी भाषण में कोई कहता था… साव में रामगुलाम साव आउर साव सहुली,गंज में महाराजगंज आउर गंज गंजूली, तब मेरा सीना गर्व से फूल जाता था। मैं अपने पर इतराता था क्योंकि तब मैं उत्तर बिहार का बहुत बड़ा व्यापारिक मंडी हुआ करता था।
जब रेलगाड़ी कम हुआ करती थी तब भी मेरे यहां रेलगाड़ी से व्यापारियों के माल उतरते थे। उत्तर बिहार का सबसे बड़ा महावीरी अखाड़े का मेला मेरे ही आंगन में गुलजार होता था। क्या नहीं था मेरे पास ….खुशी थी… मान और सम्मान था तभी तो लोग ….मुझे महाराजगंज कहते थे।
मैंने भी अपने आंगन में सब का स्वागत किया कोई भी आया उसे मायूस होकर नहीं जाने दिया…. मैंने हर बाहरी व्यक्ति को भी विधायक एमपी और एमएलसी बनाया ….सब ने मुझसे वादा भी किया लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। मैंने तो अपने धरती पुत्रों को भी सम्मान दिया और उन्हें विधायक बनाया लेकिन क्या हुआ? राजनीति के चौसर पर मेरा ऐसा चीरहरन किया गया कि आज मैं कहीं का नहीं….
इससे तो अच्छा मैं महाराजगंज प्रखंड बनकर ही खुशहाल था क्योंकि तब मैं जिला बनने और न बनने की राजनीतिक साजिश का शिकार नहीं हो रहा था।
चलो कोई बात नहीं, मेरे दर्द कम नहीं है गिनाने बैठूं तो स्थापना दिवस पर आपकी मौज मस्ती का मजा किरकिरा हो जाएगा।
मेरी चिंता छोड़िए मैं समय-समय पर अपना दर्जा साझा करता रहूंगा… फिलहाल आप मिठाई खाईए और मस्ती कीजिए…..
आज स्थापना दिवस पर इस धरती को नमन करता हूं ..वंदन करता हूं.. अभिनंदन करता हूं.
आभार-राकेश कुमार तिवारी