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जयंती:यात्रा वृतांत के पुरोधा महापंडित राहुल सांकृत्यायन

जयंती:यात्रा वृतांत के पुरोधा महापंडित राहुल सांकृत्यायन

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9 अप्रैल… महापंडित राहुल सांकृत्यायन के जयंती पर शत शत नमन

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

महापंडित राहुल सांकृत्यायन के जन्म आजुये के दिना 9 अप्रैल, सन् 1893 ई. में जिला आजमगढ़(उत्तरप्रदेश) में भइल रहे।उनकर मूल नाम केदार पाण्डेय रहे।उनकर शिक्षा काशी,आगरा आ लाहौर में भइल रहे।सन् 1930 मे उहाँ के श्रीलंका जाके बौद्ध धर्म अपनईनी,तबे ले इनकर नाम राहुल सांकृत्यायन प्रचलित हो गइल।साहित्य के दुनिया में इहाँ के महापंडित कहल जाला।

राहुल जी पालि,प्राकृत,तिब्बती, चीनी,अपभ्रंश,जापानी,रुसी सहित कई गो भाषा के जानकार रहले।
भोजपुरी भाषा आ साहित्य के अलग मोकाम देवे वाला पुरखा पुरनिया में एगो राहुल सांकृत्यायन जी भी रही।
मूल रूप से आपन यायावरी स्वभाव खातिर जानल जाए वाला बौद्ध धर्म प उनकर शोध हिंदी साहित्य में युगांतरकारी मानल जाला ।

भोजपुरी भाषा आ साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय रहत ‘जोंक’ समेत सात गो नाटक आ कई गो कहानी के भी रचना कइनी ।
‘मेहरारू के दुर्दशा’ इनकर प्रचलित नाटकन में रहे, कई गो मंच से मंचन भइल आज भी होला ।
साहित्य में योगदान खातिर उहाँ के साहित्य अकादमी पुरस्कार आ पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित भी कइल गइल रहे।

राहुल सांकृत्यायन के जीवन के मूलमंत्र घुमक्कडी रहे।आधुनिक हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन एगो यात्राकार, इतिहासकार, युगपरिवर्तन करे वाला साहित्यकार के रूप में जानल मानल नाम रहे।
उनकर प्रमुख कृतियन में :- भागो नहीं दुनिया को बदलो,मेरी जीवन यात्रा,दर्शन-दिग्दर्शन,बाइसवीं सदी,दिमागी गुलामी,घुमक्कड़ शास्त्र,वोलगा से गंगा ,सतमी के बच्चे,जीने के लिये,तुम्हारी क्षय उनकर प्रमुख कृतियन में रही सन।
राहुल जी द्वारा रचित किताबन के संख्या लगभग 150 सौ करीब रहे।
14 अप्रैल 1963 के उनकर देहावसान हो गइल रहे।

एह भोजपुरिया साहित्यिक पुरखा पुरोधा के जयंती के अवसर पर शत् शत् नमन आ श्रद्धासुमन।

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