अतीक अहमद की हत्या के पीछे दुश्मन या फिर कोई अपना?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
तीन युवकों ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करने के बाद फौरन सरेंडर कर दिया। इनके नाम लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य है। हालांकि अब तक हत्या के मोटिव का पता नहीं चल सका है।
1. पुरानी दुश्मनी के चलते किसी ने हत्या करवा दी हो
- साल 1979 में 17 साल की उम्र में अतीक पर हत्या का पहला केस दर्ज हुआ था।
- 1989 में अतीक प्रयागराज शहर की पश्चिमी विधानसभा सीट से माफिया चांद बाबा को हराकर विधायक बनता है।
- कुछ महीनों बाद ही बीच चौराहे पर दिनदहाड़े चांद बाबा की हत्या करा देता है। इसके बाद अपराध जगत अतीक बड़ा नाम बन जाता है।
- माफिया अतीक अहमद के खिलाफ जबरन वसूली, जमीन हड़पने, अपहरण और हत्या सहित 100 से अधिक मामले दर्ज थे।
- पूरे यूपी में अतीक अहमद की दबंगई रही। ऐसे में दुश्मनों की कोई कमी नहीं थी।
- उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस अतीक पर तेजी से कार्रवाई कर रही थी। ऐसे में अतीक का कुनबा बिखरा हुआ था। शूटर्स भागे हुए थे।
संभावना : किसी पुराने दुश्मन के लिए बदला लेने का ये मुफीद समय था और उसने अतीक और अशरफ की हत्या करवा दी हो।
2. अतीक से पूछताछ में किसी के पर्दाफाश होने का खतरा रहा हो
- ED ने बुधवार को प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके करीबियों के 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी।
- ED ने इस दौरान 84.68 लाख कैश, 60 लाख के गोल्ड डायमंड, ज्वेलरी, 2.85 करोड़ के कागजात जब्त किए गए हैं।
- अतीक के लखनऊ में बने 47 लाख कीमत के 5900 वर्ग फीट के मकान को जब्त कर लिया। अतीक की 100 बेनामी संपत्तियां भी जब्त। प्रयागराज के सदर में बना मकान भी जब्त।
- अतीक और अशरफ काफी दिनों से जेल में थे। चार बेटे भी जेल में हैं। इसके बावजूद इनका आपराधिक कारोबार का तंत्र चल रहा था।
- बताया जा रहा है कि शुक्रवार को धूमनगंज थाने में पूछताछ में माफिया अतीक अहमद ने कई बिल्डरों और बड़े लोगों से अपने संबंधों का खुलासा किया था।
- अतीक ने प्रयागराज और यूपी में अपनी काली कमाई के बल पर खड़े किए गए आर्थिक साम्राज्य में पार्टनर के तौर पर कई लोगों के नाम बताए थे।
- इन लोगों ने अतीक के काले धन को अपनी कंपनियों में लगाया है। ऐसी दो सौ से अधिक सेल कंपनियों के बारे में पता चला था।
संभावना : किसी साथी को पर्दाफाश होने का खतरा रहा हो। इसी डर के चलते उसने शूटर्स को सुपारी देकर ये हत्या करवा दी हो।
3. उमेश हत्याकांड में फरार किसी साथी ने मामले को डायवर्ट करने के लिए हत्या करवाई
- राजू पाल मामले में गवाह उमेश पाल की हत्या 24 फरवरी को प्रयागराज में 7 शूटर्स ने की थी। यूपी पुलिस ने इनमें से 4 का एनकाउंटर कर दिया है। वहीं तीन शूटर्स अब भी फरार हैं। इनके नाम साबिर, गुड्डू मुस्लिम और अरमान हैं।
- अतीक और अशरफ की रविवार रात गोली मारकर हत्या कर दी गई। ऐसे में संभावना है कि फरार साबिर, गुड्डू मुस्लिम या अरमान में से किसी ने शूटर्स के जरिए अतीक की हत्या करवा दी हो, ताकि पुलिस प्रेशर में आ जाए।
- माहौल भी ऐसा बन गया है। राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। UP के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा- ‘राज्य में अपराध की पराकाष्ठा हो गई है, अपराधियों के हौसले बुलंद है।’
- अतीक और अशरफ की सुरक्षा में चूक के बाद अब पुलिस पर भी दबाव है।
- ऐसे में पुलिस अब इन फरार शूटर्स का एनकाउंटर करने से बचेगी। यानी तीनों फरार शूटर्स को इससे सीधे फायदा होगा।
संभावना : पुलिस पर प्रेशर बनाने के लिए किसी साथी ने ही शूटर्स के जरिए अतीक की हत्या करवा दी हो, जिससे पुलिस प्रेशर में आ जाए।
4. धार्मिक उन्मादी लड़कों ने सुर्खियों में आने के लिए हत्या कर दी हो
- अतीक और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों युवकों ने धार्मिक नारे लगाए। ये तीनों आरोपी धार्मिक अतिवादी हो सकते हैं। तीनों ऐसी हत्या के जरिए सुर्खियों में आना चाहते हों और हीरो बनना चाहते हों।
- इसकी वजह है कि अतीक को लगातार मीडिया कवरेज मिल रहा था। ऐसे में अतीक की हत्या करने वालों को भी मीडिया कवरेज मिलेगा। इसीलिए इन लड़कों ने अतीक की हत्या कर दी।
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तीनों आरोपियों से पुलिस पूछताछ में भी ये बात सामने आई है। पूछताछ में आरोपियों ने कहा कि वे बड़े माफिया बनना चाहते हैं इसीलिए अतीक और अशरफ की हत्या की।
- आरोपियों ने कहा कि कब तक छोटे-मोटे शूटर रहेंगे, बड़ा माफिया बनना है, इसलिए हत्याकांड को अंजाम दिया।
संभावना : अतीक को लगातार मीडिया कवरेज मिल रहा था। कुछ धार्मिक उन्मादी लड़कों ने सुर्खियों में आने के लिए हत्या की हो।
दिन- शनिवार, रात के 10:35 बज रहे थे। जगह थी प्रयागराज का कॉल्विन हॉस्पिटल। 18 सेकेंड में 20 राउंड गोलियां चलती हैं। माफिया अतीक और उसका भाई अशरफ मारा जाता है। एक भी सेकेंड रुके बिना ये फायरिंग एके-47 से नहीं बल्कि एक ऑटोमैटिक पिस्टल से की गई थी। दरअसल, ये विदेशी पिस्टल थी, जिसे जिगाना कहते हैं। करीब 10 महीने पहले इसी पिस्टल से पंजाब में सिद्धू मूसेवाला की हत्या हुई थी।