छपरा जिले भर में जोश व उत्साह के साथ मनाया गया ईद का त्योहार
मांगी गयी अमन, शांति, भाइचारे व खुशहाली की दुआ
सैंड आर्टिस्ट व कलाकार अशोक ने उकेरा स्कल्प्टिंग
लोगों ने दी एक दूसरे को बधाई, चलता रहा सेवइयों का दौर
श्रीनारद मीडिया‚ चंद्रशेखर‚ छपरा (बिहार)
छपरा जिले भर में शनिवार को ईद मनाई गयी. ईद-उल-फितर के मौके पर शहर और देहात की ईद गाहों और मस्जिदों में हजारों लोगों ने नमाज पढ़ी और एक दूसरे को मुबारकबाद दी. सुबह होते ही ईद की नमाज की तैयारियां शुरू हो गईं. लोग इत्र में गमकते नए कपड़ों में लक-दक होकर नमाज पढ़ने पहुंचे. ईद को लेकर लोगों का उत्साह चरम पर रहा. शुक्रवार को चांद नजर आते ही लोगों ने सोशल मीडिया पर बधाइयों का सिलसिला शुरू कर दिया था. सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक शख्सियतों ने भी जहां लोगों को बधाई दी. वहीं हिंदू भाईयों ने भी अपने मुसलमान इष्ट मित्रों को मुबारकबाद पेश कर गंगा-जमुनी तहजीब को मजबूती प्रदान की. और समाज में भाईचारा और आपसी समझ बढ़ने की कामना की. रोजेदारों की एक माह के उपवास और इबादत के बाद पवित्र रजमान महीने का समापन उत्सव मनाने का अवसर है. इस मौके पर कामना की गयी कि हमारे समाज में भाईचारा और आपसी समझ बढ़े.
अल्लाह का अदा करते हैं शुक्र
रमजान में रोजेदार पूरे महीने अल्लाह की इबादत करने के साथ पूरी तरह से संयम बरते हुए रोजे रखते हैं. आखिर रोजे के बाद चांद के दीदार होने के साथ रोजे रखने की ताकत देने के लिए इस दिन अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं. ईद की नमाज उसी शुक्राने के लिए होती है. ईद का अर्थ है खुशी और फितर को अरबी भाषा में फितरा कहा जाता है, जिसका मतलब दान होता है. दान या जकात किए बिना ईद की नमाज नहीं होती. कहते हैं कि ईद की नमाज से पहले जरूरमंद लोगों को दान दिया जाता है. लिहाजा मस्जिदों और ईदगाहों के बाहर लोगों ने दान पुण्य भी किया. मस्जिदों में मुलमान फितरा यानि की जान व माल का सदका करते है. सदका अल्लाह ने गरीबों की इमदाद का एक तरीका दिया है. गरीब आदमी भी इस दिन साफ कपड़े पहनकर सबके साथ मिलकर नमाज पढ़ते हैं.
खूब भेजे गये संदेश
ईद पर जहां लोगों ने घूम घूम कर और एक दूसरे के घर जा कर ईद की मुबारकबाद और बधाइयां दीं और सेवाइयां खाते-खिलाते रहे. दावतों का दौर चलता रहा वहीं सोशल मीडिया का भी जम कर इस्तेमाल हुआ. व्हाट्सएप, फेसबूक, ट्विटर और मैसेंजर पर भी लोग पर्सनल और ग्रुप में बाधाइयां, शेर, फोटो, टेमप्लेटस आदि पोस्ट करते रहे. इसमें बच्चे, टीन एजर्स के साथ ही बड़े बुजुर्ग भी शामिल रहे.
सैंड आर्टिस्ट अशोक ने अपने स्कल्प्टिंग से दिया संदेश
बिहार के गौरव व सारण के पटनायक कहे जाने वाले मशहूर पेंटर, फोटोग्राफर, मूर्तिकार और सैंड आर्टिस्ट अशोक ने इस ईद को सारण वासियों के लिये खास बना दिया. पहली बार सारण ही नहीं ब्लकि राज्य में इस मौके पर सैंड स्कल्प्टिंग का निर्माण कर उन्होंने इतिहास बना डाला.
अशोक ने सरयू किनारे, साधुलाल स्कुल के सामने बालू पर गले मिलते बच्चों की आकर्षक छवि उकेरा. उन्होंने कहा कि प्रत्येक खास मौके पर वह अपनी कला के माध्यम से समाज को कुछ अलग संदेश देने का प्रयास करते हैं. ईद भाईचारा, प्रेम, खुशी, उल्लास बढ़ाने का त्योहार है. आपसी द्वेष भुलाने और एक हो जाने के इसके खास संदेश को उन्होंने अपनी स्कल्प्टिंग का सब्जेक्ट बनाया. इसके माध्यम से उन्होंने समाज में मुहब्बत को आम करने और सुख व समृद्धि की कामना की है. विशेषज्ञों के मुताबिक सारण के अशोक पूरी (ओडिशा) बीच पर सुदर्शन पटनायक के बनाए स्कल्प्टिंग से आगे निकलते हुए नजर आते हैं.
निश्चित ही आज के माहौल में इनका आर्ट ईद की सेवइयों से ज़्यादा मीठा है.
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