बौद्धिक सम्पदा क्या है? इसको संरक्षण देना क्यों जरूरी है?

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श्रीनारद  मीडिया सेंट्रल डेस्क

विश्व बौद्धिक संपदा दिवस प्रतिवर्ष 26 अप्रैल को मनाया जाता है। उल्लेखनीय है कि 9 अगस्त 1999 को, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) ने “विश्व बौद्धिक संपदा दिवस” को अपनाने का प्रस्ताव रखा। जबकि अक्टूबर 1999 में, डब्ल्यूआईपीओ की महासभा ने एक विशेष दिन को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के रूप में घोषित करने के विचार को मंजूरी दी, जो कि 26 अप्रैल है। तभी से विश्व बौद्धिक संपदा दिवस प्रतिवर्ष 26 अप्रैल को मनाया जाता है।

इस वर्ष यानी 2023 में मनाए जाने वाले इस महत्वपूर्ण दिवस का थीम है- “महिलाएं और आईपी: त्वरित नवाचार और रचनात्मकता”, जो दुनिया भर में महिला अन्वेषकों, रचनाकारों और उद्यमियों के ‘कर सकते हैं’ वाले रवैये और उनके अभूतपूर्व काम का जश्न मनाती है। इसे नारी सशक्तिकरण की अगली मुहिम भी आप समझ सकते हैं।

# समझिये कि बौद्धिक सम्पदा क्या है?

किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित कोई संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज, प्रतीक, नाम, चित्र, डिजाइन, कापीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेन्ट आदि को बौद्धिक संपदा कहते हैं। क्योंकि जिस प्रकार कोई किसी भौतिक धन यानी फिजिकल प्रापर्टी का स्वामी होता है, उसी प्रकार कोई बौद्धिक सम्पदा का भी स्वामी हो सकता है। इसलिये बौद्धिक सम्पदा अधिकार प्रदान किये जाते हैं। आप अपने बौद्धिक सम्पदा के उपयोग का नियंत्रण कर सकते हैं और उसका उपयोग करके भौतिक सम्पदा यानी धन बना सकते हैं।

इस प्रकार बौद्धिक सम्पदा के अधिकार के कारण उसकी सुरक्षा होती है और लोग खोज तथा नवाचार के लिये उत्साहित और उद्यत रहते हैं। बता दें कि बौद्धिक संपदा कानून के तहत, इस तरह के बौद्धिक सम्पदा के स्वामी को अमूर्त संपत्ति के कुछ विशेष अधिकार दिये गए हैं, जैसे कि संगीत, वाद्ययंत्र, साहित्य, कलात्मक काम, खोज और आविष्कार, शब्दों, वाक्यांशों, प्रतीकों और कोई डिजाइन आदि।

शब्द संपदा एवं शब्द संपत्ति एक दूसरे के समानार्थी शब्द हैं, जिसका तात्पर्य बुद्धि संबंधित या बुद्धि संबंधित से अर्थात बुद्धि अथवा मस्तिष्क द्वारा पैदा की गई या उत्पादित की गई वस्तु, जिसे कोई व्यक्ति अपने बौद्धिक श्रम से उत्पादित करता है, वह उस व्यक्ति की बौद्धिक संपदा होती है। यदि साधारण बोलचाल की भाषा में समझाएं तो ऐसी वस्तु जिसे कोई व्यक्ति अपनी बुद्धि से उत्पन्न करता है।

सामान्यतः संपदा व भौतिक वस्तुएं वे हैं जो विधि द्वारा मानव प्रवीणता एवं श्रम के अभ्यर्थिक उत्पाद के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं। उदाहरण- लेखकों की रचनाएं, अविष्कार कर्ताओं के आविष्कार, विचारकों के विचार, संकल्पना एवं साहित्य, संगीतात्मक, कलात्मक, नाट्य, ध्वनि, यांत्रिक, अभिव्यक्तियां।

# बौद्धिक संपदा दिवस का उद्देश्य

बता दें कि इस आयोजन की स्थापना पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और डिजाइन दैनिक जीवन पर कैसे प्रभाव डालते हैं, के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी। वहीं, रचनात्मकता का जश्न मनाने के लिए और विकास के लिए रचनाकारों और नवप्रवर्तनकर्ताओं द्वारा किए गए योगदान का जश्न मनाने के लिए की गई।

दरअसल, बौद्धिक संपदा संरक्षण के बारे में जागरूकता को और बढ़ावा देने के लिए, दुनिया भर में बौद्धिक संपदा संरक्षण के प्रभाव का विस्तार करने के लिए, विभिन्न सदस्य देशों से बौद्धिक संपदा संरक्षण कानूनों और विनियमों को प्रचारित करने और लोकप्रिय बनाने के लिए, बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में सार्वजनिक कानूनी जागरूकता बढ़ाने, आविष्कार-नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए और विभिन्न देशों में गतिविधियों और बौद्धिक संपदा क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय विनिमय को मजबूत करना प्रमुख उद्देश्य है।

# ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग में बेहतर प्रदर्शन

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन हर साल के प्रदर्शन के आधार पर ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग पर रिपोर्ट बनाता है। हाल ही में यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स द्वारा जारी अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) सूचकांक 2023 में भारत 55 प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में 42वें स्थान पर है, जिसके अनुसार भारत उन उभरते बाज़ारों का नेतृत्त्व करने हेतु सक्षम है जो IP-संचालित नवाचार के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था को बदलना चाहते हैं।

बता दें कि ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2023 की रैंकिंग में भारत 4 स्थान चढ़ गया है और विश्व बौद्धिक संपदा संगठन द्वारा 42 वें स्थान पर है। भारत पिछले कई वर्षों में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) रैंक से बढ़ रहा है। बता दें कि 2015 में 81 से 2021 में 46 पर आ गया था, जबकि इस वर्ष 42 पर पहुंच गया है। यह मोदी सरकार की उल्लेखनीय उपलब्धि है।

# अंतर्राष्ट्रीय IP सूचकांक के नजरिए से भारत का मूल्यांकन

गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय IP सूचकांक में अमेरिका सबसे ऊपर है, इसके बाद यूनाइटेड किंगडम और फ्राँस का स्थान है। अंतर्राष्ट्रीय IP सूचकांक 50 अद्वितीय संकेतकों में प्रत्येक अर्थव्यवस्था में IP ढाँचे का मूल्यांकन करता है। क्योंकि उद्योगों का मानना है कि यह सबसे प्रभावी IP सिस्टम वाली अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करता है। संकेतक समग्र IP पारिस्थितिकी तंत्र की अर्थव्यवस्था का एक स्नैपशॉट बनाते हैं और सुरक्षा की नौ श्रेणियों को कवर करते हैं- पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, डिज़ाइन अधिकार, व्यापार भेद, IP संपत्ति का व्यावसायीकरण, प्रवर्तन, प्रणालीगत दक्षता, सदस्यता एवं अंतर्राष्ट्रीय संधियों का अनुसमर्थन।

इस बात में कोई दो राय नहीं कि बौद्धिक संपदा (IP) मन की रचनाओं को संदर्भित करती है, जैसे कि आविष्कार, साहित्यिक और कलात्मक कार्य, प्रतीक, नाम एवं वाणिज्य में उपयोग की जाने वाली छवियाँ। यह व्यक्तियों अथवा कंपनियों को उनके रचनात्मक और अभिनव कार्यों के लिये दिये गए बौद्धिक संपदा अधिकार के रूप में कानूनी संरक्षण है। ये अधिकार मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 27 में उल्लिखित हैं। इन कानूनी सुरक्षा उपायों के कारण रचनाकार को, उसकी रचनाओं को विनियमित करने और दूसरों द्वारा उन रचनाओं के उपयोग तथा अनधिकृत प्रतिकृति को प्रतिबंधित करने में सहायता मिलती है।

वहीं, बौद्धिक संपदा के मुख्य प्रकारों में आविष्कारों के लिये पेटेंट, ब्रांडिंग के लिये ट्रेडमार्क, कलात्मक और साहित्यिक कार्यों के लिये कॉपीराइट, गोपनीय व्यावसायिक जानकारी के लिये व्यापार की गोपनीय जानकारियाँ तथा उत्पाद की प्रस्तुति के लिये औद्योगिक डिज़ाइन शामिल हैं।

# जानिए, ये हैं बौद्धिक संपदा अधिकार से संबंधित मुद्दे

पहला, बौद्धिक संपदा प्रवर्तन को सुदृढ़ करने के प्रयासों के बावजूद चोरी और जालसाजी भारत में गंभीर समस्याएँ बनी हुई हैं। एन्फोर्समेंट एजेंसियों के पास प्रायः इन मामलों से प्रभावी तौर पर निपटने के लिये संसाधनों और विशेषज्ञता की कमी के कारण अभियोग और दोष-सिद्धि की दर कम होती है।

दूसरा, भारत में पेटेंट आवेदनों का बैकलॉग एक बहुत बड़ी चुनौती है। जिससे पेटेंट प्रदान करने में विलंब होता है। इससे अपने अन्वेषणों की रक्षा करने वाले नवप्रवर्तकों के समक्ष अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न होती है।

तीसरा, भारत में अभी भी कई व्यवसायों और व्यक्तियों के बीच बौद्धिक संपदा अधिकार के बारे में जागरूकता और समझ की कमी है। इससे बौद्धिक संपदा अधिकारों का अनजाने में उल्लंघन हो सकता है, साथ ही इन अधिकारों को लागू करने में चुनौतियाँ भी हो सकती हैं।

# ये हैं बौद्धिक संपदा अधिकार से संबंधित आगे की राह 

पहला, भारत को अपने बौद्धिक संपदा प्रवर्तन तंत्र को मज़बूत करने की आवश्यकता है, जिसमें प्रवर्तन एजेंसियों के लिये संसाधनों और विशेषज्ञता में वृद्धि, विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार तथा आईपी विवादों के लिये कानूनी प्रक्रियाओं की व्यवस्था शामिल है।

दूसरा, भारत को बौद्धिक संपदा अधिकार के लिये नियामक परिवेश को सरल और सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है, जिसमें प्रशासनिक बोझ को कम कर IP पंजीकरण एवं प्रवर्तन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की वृद्धि शामिल है।

तीसरा, भारत को अनुसंधान और विकास के लिये प्रोत्साहन तथा वित्तीय पोषण की पेशकश के साथ-साथ उद्योग, शिक्षा एवं सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर नवाचार को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

# गेट डब्ल्यूटीओ ट्रिप्स के द्वारा किया गया है बौद्धिक संपदा अधिकार को संरक्षित करने का प्रयास 

गेट डब्ल्यूटीओ ट्रिप्स के द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार को संरक्षित करने का प्रयास किया गया है। दरअसल, प्रतिलिपि अधिकार अधिनियम 1957 केंद्रीय सरकार द्वारा बोर्ड का गठन किया गया है। यह धारा 11 में वर्णित है, जिसमें इसके एक अध्यक्ष तथा 2 से 14 तक सदस्य हो सकते हैं। इसके अध्यक्ष के लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश या पूर्व न्यायाधीश या उसकी योग्यता रखने वाले व्यक्ति जो वर्तमान में हैं, इस तरह की योग्यताएं रखते हैं, इस पद के योग्य हैं। जिनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। वहीं कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात पुनर्नियुक्ति का भी प्रावधान है।

वहीं, धारा 12 प्रतिलिपि अधिकार बोर्ड की शक्तियों का वर्णन करता है, जिसमें एक, स्वयं प्रक्रिया विनियमित करने की शक्ति; दूसरा, कार्यवाही अंचला अनुसार सुनने की शक्ति; तीसरा, न्याय पीठ के माध्यम से शक्तियों एवं कृतियों का प्रयोग करने की शक्ति, और चतुर्थ, सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग करने की शक्ति इत्यादि।

वहीं, प्रतिलिपि अधिकार बोर्ड के अधिकार भी तय किये हुए हैं, जिसमें- पहला, विवाद विनिश्चित करने का अधिकार; दूसरा, प्रतिलिप्याधिकार के समनुदेशन को प्रतिसंहरित करने का अधिकार; तीसरा, रॉयल्टी वसूल करने का आदेश पारित करने का अधिकार; चतुर्थ, पुनः प्रकाशन करने की अनुज्ञप्ति देने का अधिकार, पंचम, ऐसी भारतीय कृतियों के प्रकाशन की अनुज्ञा देने का अधिकार जो प्रकाशित हैं; षष्ठ, भाषांतर करने तथा उसे प्रकाशित करने की अनुज्ञप्ति देने का अधिकार; सातवां, कतिपय प्रयोजनों के लिए कृतियों को पुनरुत्पादित करने तथा उन्हें प्रकाशित करने की अनुज्ञप्ति देने का अधिकार; आठवां, प्रतिलिपि अधिक का रजिस्टर को परिशोधन करने का अधिकार; नवम, मूल प्रति के पुनः विक्रय की स्थिति में रचयिता का आन सुनिश्चित करने का अधिकार; और दशम अपील सुनने का अधिकार।इसे जानकर और समझकर कोई भी व्यक्ति अपने बौद्धिक संपदा को संरक्षित कर सकता है।

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