क्या सक्रिय जीवनशैली को बढ़ावा देने का समय आ गया है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कितने लोग अपने वजन से परेशान हैं? ऐसा या तो खुद के साथ होगा या परिवार में किसी और को दिक्कत होगी। हाल के वर्षों में मोटापा बहुत बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन गई है। दुनिया में एक अरब से ज्यादा लोग मोटापे से ग्रसित हैं- इसमें 65 करोड़ युवा हैं, 34 करोड़ किशोर और 3.9 करोड़ बच्चे हैं। डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि 2025 तक दुनिया में करीब 16.7 करोड़ लोग- किशोर और बच्चे- ओवरवेट या मोटापे के कारण सेहतमंद नहीं होंगे।
मोटापे को आमतौर पर ऊंचाई के वजन से अनुपात (बीएमआई) में मापते हैं। औसतन 25 से ज्यादा बीएमआई को ओवरवेट मानते हैं और अगर 30 से ज्यादा है, तो मोटे हैं। आप अपना बीएमआई जानने के लिए इंटरनेट की मदद ले सकते हैं! साफ लफ्जों में कहें, तो मोटापा शरीर में जमा अतिरिक्त वसा या चर्बी वाली स्थिति है।
हाल के दिनों में महामारी बन चुकी मोटापे की समस्या का कारण बदलती जीवनशैली, शारीरिक निष्क्रियता और अनहेल्दी खाने की आदतें हैं। मोटापे के आनुवंशिक कारण भी हो सकते हैं। चर्बी कम करने की कोशिशों में विकासक्रम और डाइट की असफल कोशिशें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
प्रकृति में भोजन शायद ही कभी प्रचुर मात्रा में होता है, इसलिए हम वसा संग्रहीत करने के हिसाब से विकसित हुए, और शरीर वसा के स्तर को याद रखता है। शरीर मेटाबॉलिज्म की दर घटाकर या दिमाग को और खाने का सिग्नल देते हुए खोए हुए वसा को वापस पाने के लिए लड़ता है।
प्रोसेस्ड फूड से घिरे हम घंटों बैठकर काम करते हैं और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं मोटापा बढ़ाती हैं। मोटापा कई और स्वास्थ्य समस्याओं के साथ आता है, इसमें टाइप-2 डायबिटीज़ का खतरा, हृदय संबंधी बीमारियां, कैंसर और समय से पहले मौत है।
भारत में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। एनएफएचएस के चौथे राउंड में (2015-16) देश की 21% महिलाएं, 19% पुरुष मोटे थे, वहीं पांचवें राउंड (2019-21) में 24% महिलाएं और 23% पुरुष मोटापे से ग्रसित पाए गए। मोटापा हद से ज्यादा हो जाता है, तो लोग बैरियाट्रिक सर्जरी और मोटापे की गोलियां लेते हैं।
अमीर देशों में ‘ओबेसिटी पिल्स’ का चलन बढ़ा है। पर इनके लॉन्ग टर्म इफेक्ट पर बहुत कम शोध हुआ है और अक्सर इन्हें जिंदगीभर लेना पड़ता है। मोटापे की समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाने होंगे। हर आयुवर्ग के लोगों को शारीरिक गतिविधियां जैसे वॉकिंग-साइकिलिंग, या दूसरी कसरत करनी होंगी, साथ ही हेल्दी खाने की आदतें अपनानी होंगी।
इनमें फल-सब्जियों के ज्यादा इस्तेमाल के साथ हाई-कैलोरी व कम-न्यूट्रिशन वाले फूड से दूर रहना जरूरी है। शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर स्कूल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बढ़ता वजन ऐसी समस्या नहीं है, जिस पर हम प्रौढ़ावस्था में पहुंचकर ही ध्यान दें। बचपन से ही स्वस्थ-सक्रिय जीवनशैली को बढ़ावा देना जरूरी है।
यूनिसेफ के वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस (2022) के अनुसार 2030 तक भारत में 2.7 करोड़ बच्चे मोटापे से ग्रसित होंगे, मतलब दुनिया में दस में से एक बच्चा। मोटापे की समस्या हर उम्र वर्ग से जुड़ी है।
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