संगीत के बहुत बड़े योगी थे कुमार गंधर्व : पंडित हरिप्रसाद चौरसिया

संगीत के बहुत बड़े योगी थे कुमार गंधर्व : पंडित हरिप्रसाद चौरसिया


मुंबई, उर्मिला कोरी. कुमार गंधर्व जी संगीत के बहुत बड़े सम्राट थे. वे संगीत के बहुत बड़े शासक थे. वे संगीत के बहुत बड़े योगी थे. कुमार गंधर्व जिस प्रतिभा का नाम है, वह भगवान सबको ऐसे नहीं देता है. वे महापुरुष थे. वे एक ऐसी हस्ती थे कि वे जो भी करते थे, वह उच्च स्तर का होता था. संगीत में उनके योगदान के बारे में जो भी कहूंगा, वह कम ही होगा. उन्होंने जनमानस में कबीर, सुर, मीरा जैसे संतों के प्रति फिर से आकर्षण का निर्माण अपने संगीत से किया. शास्त्रीय संगीत और लोक संगीत का रिश्ता भी उन्होंने फिर से कायम किया था.

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कुमार गंधर्व हमारे गुरु समान थे : पंडित हरि प्रसाद चौरसिया

उनसे जुड़ी कई यादें हैं. कई संगीत कार्यक्रमों में हम मिले हैं. उनको परफॉर्म करते सुना है. वे हमारे गुरु समान थे. उनको सुनकर ही सीखा करते थे. उनको सुनना किसी अलौकिक शक्ति के अनुभव जैसा रहता था. मैं खुशनसीब हूं कि उनके साथ बहुत वक्त बिताने का मौका मिला है. संगीत कार्यक्रमों से लेकर उनके साथ उनके घर पर भी काफी समय बिताया है. जब देवास में कोई संगीत कार्यक्रम होता था, तो मैं उनके घर पर ही रुकता था. उस वक्त वहां पर होटल नहीं होते थे, तो उनके साथ ही रहता था. आज इतने होटल बन गये हैं, आज भी जब मैं किसी परफॉरमेंस के लिए वहां जाता हूं, तो मुझे उनके घर का ही माहौल याद आता है.

संगीत के मंदिर से कम नहीं था उनका घर

उनका घर किसी संगीत के मंदिर से कम नहीं था. वहां पर पूरे दिन सिर्फ संगीत की ही बातें होती रहती थीं. सुबह से लेकर रात तक तानपुरा बजता रहता था. तानपुरों का महत्व उन्होंने खासतौर पर अपने समय में स्थापित किया था. यह पहलू आप उनके घर पर भी देख सकते थे. उनके घर की हवाओं में भी संगीत ही गूंजा करती थी. जिस वजह से दिमाग में संगीत के अलावा और कोई बात ही नहीं आती थी. इससे आपका भी संगीत और बेहतर बन जाता था.



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