क्या पाक अपने गंभीर राजनीतिक एवं आर्थिक संकट से गुजर रहा है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी को लेकर पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार हिंसक भीड़ द्वारा (जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री के समर्थक शामिल थे) खैबर पख्तूनख्वा (KPK), पंजाब, बलूचिस्तान और पाकिस्तान के अन्य प्रमुख शहरों में सैन्य एवं अर्द्ध-सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया गया। वर्ष 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति (पाकिस्तान विभाजन), सैन्य तख्तापलट की घटनाओं या यहाँ तक कि बेनज़ीर भुट्टो सदृश लोकप्रिय नेताओं की हत्या के बाद भी सेना को कभी निशाना नहीं बनाया गया था।
अफगानिस्तान में व्याप्त अस्थिरता ने आगे आग में और घी डालने का काम किया है, जबकि पाकिस्तान में व्याप्त अस्थिरता अफगानिस्तान को आगे और अस्थिर बना सकती है। पाकिस्तान में बढ़ती अस्थिरता जल्द ही व्यापक रूप से फैल सकती है और क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित कर सकती है।
पाकिस्तान में मौजूदा स्थिति
- राजनीतिक उतार-चढ़ाव:
- पाकिस्तान अप्रैल 2022 से ही राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है, जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से अपने पद से बेदखल कर दिया था। उन्होंने इस परिणाम को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और जल्द चुनाव कराने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन एवं रैलियों की एक शृंखला छेड़ दी। वह आतंकवाद, भ्रष्टाचार और न्यायालय की अवमानना सहित कई अन्य कानूनी आरोपों का भी सामना कर रहे हैं।
- मौजूदा पाकिस्तान सरकार ने उन पर देश को अस्थिर करने और लोकतंत्र को कमज़ोर करने का आरोप लगाया है।
- उन्होंने इमरान खान पर जनता के बीच सेना विरोधी भावना भड़काने के रूप में अवसरवादी और विनाशकारी रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया है।
- पाकिस्तान के राजनीतिक विमर्श में यह उथल-पुथल ‘पाकिस्तान स्प्रिंग’ (‘अरब स्प्रिंग’ की तरह) को जन्म दे सकता है। पाकिस्तान और उन देशों की स्थितियों के बीच कई समानताएँ नज़र आती हैं जहाँ ‘अरब स्प्रिंग’ आंदोलन का प्रसार हुआ था। समानता के इन घटकों में राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक शिकायतें, भ्रष्टाचार, युवा उभार, नागरिक समाज की सक्रियता और मीडिया की स्वतंत्रता शामिल हैं।
- पाकिस्तान अप्रैल 2022 से ही राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है, जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से अपने पद से बेदखल कर दिया था। उन्होंने इस परिणाम को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और जल्द चुनाव कराने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन एवं रैलियों की एक शृंखला छेड़ दी। वह आतंकवाद, भ्रष्टाचार और न्यायालय की अवमानना सहित कई अन्य कानूनी आरोपों का भी सामना कर रहे हैं।
- तालिबान का उदय:
- अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से ही पाकिस्तानी सेना की घेराबंदी की जा रही है और तालिबान समर्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) बलूचिस्तान एवं पंजाब में अपनी सक्रियता का विस्तार कर रहा है।
- अधिक दुस्साहसी हुए TTP और बलूच समूहों ने पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के ऊपर कई हमले किये हैं।
- पाकिस्तानी सेना व्यावहारिक रूप से दो मोर्चों पर युद्ध लड़ रही है (आंतरिक मोर्चे पर TTP के साथ और बाह्य मोर्चे पर तालिबान के साथ), जबकि ईरानी सीमा पर भी उसकी कड़ी नज़र बनी हुई है।
- पाकिस्तानी सेना—जिसे एक मज़बूत एवं सक्षम बल के रूप में देखा जाता था और जो छद्म युद्धों (proxy wars) का एक चतुर खेल खेल सकती थी, तालिबान द्वारा उसकी कमज़ोरियों को उजागर कर दिया गया है।
- तालिबान अब पाकिस्तान के लिये एक बड़ा खतरा है और सेना इसे रोक सकने के लिये संघर्ष कर रही है। इससे सेना का आत्मविश्वास कमज़ोर पड़ा है और दुर्जेयता की उसकी आभा फीकी पड़ गई है।
- सेना की घेरेबंदी:
- इमरान खान को अपदस्थ किये जाने के बाद सड़कों पर उतरे लोगों की लामबंदी ने सेना को कमज़ोर कर दिया है। सेना वर्तमान में राजनीतिक रूप से अत्यंत कमज़ोर है जो TTP जैसे अराजक अभिकर्ताओं को और मज़बूत बनने का अवसर प्रदान कर सकती है।
- सेना का घटता हुआ कद तब बेहद प्रकट हो गया जब प्रदर्शनकारी थोड़े प्रोत्साहन पर जनरल हेडक्वार्टर तक पहुँच गए। हिंसक भीड़ ने लाहौर में कॉर्प कमांडर के घर, पाकिस्तान सैन्य अकादमी, वायु सेना के अड्डे और शहरों में सेना के गश्ती दल को निशाना बनाया।
- आर्थिक संकट:
- पाकिस्तान में महँगाई दर वर्तमान में 30% से अधिक है जो पिछले कई वर्षों में सर्वाधिक है। इससे आम लोगों के लिये खाद्य एवं ईंधन जैसी बुनियादी आवश्यकताओं का वहन कर सकना कठिन हो रहा है। पाकिस्तानी रुपया पिछले एक वर्ष में अमेरिकी डॉलर की तुलना में अपने मूल्य का 30% से अधिक खो चुका है।
- हाल ही में सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में नज़र आया कि कुछ क्षेत्रों में पाकिस्तानी लोगों द्वारा प्लास्टिक की थैलियों में LNG का भंडारण किया जा रहा है क्योंकि रसोई गैस सिलेंडरों की कमी के कारण डीलरों द्वारा आपूर्ति कम की जा रही है। इस बेहद खतरनाक ‘बैग गैस’ की ‘चलते-फिरते बम’ (Moving bombs) के रूप में चर्चा की गई है।
- पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर के खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है और आवश्यक सुधारों को लागू करने की असमर्थता के कारण सरकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से ‘बेलआउट’ हासिल करने में अभी तक विफल रही है।
- देश को विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो गिरकर 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कम हो गया है (9 वर्ष में निम्नतम स्तर)। इसका अर्थ यह है कि देश के पास आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात के लिये पर्याप्त विदेशी मुद्रा नहीं है।
- हाल की जलवायु संबंधी आपदाओं ने पाकिस्तान के संकट को और बढ़ा दिया है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था और अधिक कमज़ोर हो गई है।
- चीन के विरुद्ध असंतोष:
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के लिये महत्त्वपूर्ण दो प्रांत (KPK और बलूचिस्तान ) सुरक्षा बलों के लिये जंग का मैदान बन गए हैं। सीपेक को सेना के दृढ़ समर्थन ने इसे चीनी निवेश के विरुद्ध बढ़ते सार्वजनिक असंतोष के केंद्र में ला दिया है।
- यह भावना इतनी स्पष्ट है कि हाल ही में पाकिस्तान की अपनी यात्रा के दौरान चीनी विदेश मंत्री को ज़ोर देकर कहना पड़ा कि कुछ शक्तियों द्वारा यह अफवाह फैलाई गई है कि चीन ने पाकिस्तान में ‘ऋण जाल’ (debt trap) का सृजन किया है।
भारत के लिये निहित खतरे
- सीमा-पार तनाव में वृद्धि: पाकिस्तान के राजनीतिक संकट से सीमा-पार तनाव में वृद्धि हो सकती है, विशेष रूप से कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर। पाकिस्तान अपनी घरेलू समस्याओं से ध्यान हटाने या सरकार या सेना के पीछे जनता का समर्थन जुटाने के लिये आतंकवादी समूहों का समर्थन करने या संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन करने के रूप में भारत को उकसाने का सहारा ले सकता है।
- शरणार्थी संकट: पाकिस्तान में आर्थिक संकट से शरणार्थी संकट उत्पन्न हो सकता है, जहाँ लाखों लोग पाकिस्तान से पलायन कर सकते हैं। इससे भारत के संसाधनों पर दबाव पड़ सकता है और इससे अपराध एवं सामाजिक अशांति में भी वृद्धि हो सकती है।
- क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा: पाकिस्तान में मौजूदा संकट क्षेत्रीय अस्थिरता को जन्म दे सकता है, क्योंकि पाकिस्तान समर्थन के लिये अपने पड़ोसी देशों पर अधिक निर्भर हो गया है। इससे पाकिस्तान और उसके पड़ोसी देशों (भारत सहित) के बीच तनाव बढ़ सकता है।
- परमाणु प्रसार: पाकिस्तान में कोई भी राजनीतिक या आर्थिक अस्थिरता जो उसके परमाणु शस्त्रागार पर उसके नियंत्रण को कमज़ोरर करती हो, संभावित रूप से उन हथियारों की सुरक्षा के बारे में चिंता उत्पन्न कर सकती है। इससे तनाव बढ़ सकता है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिये खतरा पैदा हो सकता है।
भारत के लिये अवसर
- आतंकवाद-विरोधी सहयोग:
- पाकिस्तान की राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति भारत को सीमा-पार आतंकवाद के मुद्दे को संबोधित करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ संलग्नता का अवसर प्रदान कर सकती है।
- पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के समर्थन को उजागर कर भारत आतंकवाद का मुक़ाबला करने और राज्य-प्रायोजित आतंकवादी नेटवर्क को अलग-थलग करने में वैश्विक सहयोग के लिये अपने दावे को मज़बूत कर सकता है।
- क्षेत्रीय शक्ति प्रक्षेपण:
- पाकिस्तान के समक्ष विद्यमान आंतरिक संघर्ष के विपरीत भारत स्थिरता बनाए रखने और क्षेत्रीय चुनौतियों को प्रभावी ढंग से संभाल सकने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है।
- क्षेत्रीय गठबंधन एवं भागीदारी का सुदृढ़ीकरण (विशेष रूप से दक्षिण एशिया और मध्य-पूर्व के देशों के साथ) एक ज़िम्मेदार क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूत कर सकता है।
- क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करना:
- भारत पाकिस्तान की मौजूदा चुनौतियों के बीच ईरान में चाबहार बंदरगाह या अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) जैसी क्षेत्रीय कनेक्टिविटी पहलों को बढ़ावा देकर लाभ उठा सकता है।
- ये परियोजनाएँ मध्य एशिया, अफगानिस्तान और उससे आगे भारत की पहुँच को मज़बूत कर सकती हैं और व्यापार विविधीकरण को सक्षम करने तथा भारत के क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाने में योगदान कर सकती हैं।
- अन्य देशों के साथ आर्थिक सहयोग:
- भारत इस भूभाग में स्वयं को एक स्थिर और आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित कर सकता है।
- पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियों के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने और अन्य देशों के साथ घनिष्ठ आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिये भारत अपनी आर्थिक वृद्धि एवं स्थिरता का लाभ उठा सकता है।
- इससे व्यापार साझेदारी और सहयोग में वृद्धि हो सकती है, जिससे भारत की आर्थिक स्थिति और मज़बूत हो सकती है।
आगे की राह
- हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान से वार्ता के प्रश्न पर भारत के दृष्टिकोण को प्रकट करते हुए इस आशय का वक्तव्य दिया कि ‘‘आतंकवाद के पीड़ित आतंकवाद पर चर्चा करने के लिये आतंकवाद के कर्ता के साथ नहीं बैठ सकते।’’ लेकिन भारत पाकिस्तान को औपचारिक वार्ता का एक अवसर दे सकता है यदि वह आतंकवाद को रोकने और कश्मीर मुद्दे को हल करने पर सहमत हो। अपने मौजूदा हालात में पाकिस्तान भारत के साथ वार्ता की सख्त ज़रूरत रखता है।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने तथा आतंकवाद और मानवाधिकारों के उल्लंघन को उसके कथित समर्थन को उजागर करने के लिये अपने कूटनीतिक लाभ का उपयोग कर सकता है।
- पाकिस्तान में वर्तमान संकट से यह प्रकट हुआ कि वह स्वयं का प्रभावी ढंग से शासन कर सकने में असमर्थ है। भारत अपने लाभ के लिये इस स्थिति का उपयोग कर सकता है जहाँ आतंकवाद और परमाणु प्रसार जैसे मुद्दों पर अपना आचरण बदलने के लिये पाकिस्तान पर दबाव बना सकता है।
- पाकिस्तान के वर्तमान संकट के बीच भारत को अपनी सीमा सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिये और उग्रवाद, सीमा-पार आक्रामकता या पाकिस्तान की ओर उकसावे पर नियंत्रण के लिये अपनी सैन्य तैयारियों को सशक्त करना चाहिये।
- क्षेत्र में पाकिस्तान के प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिये भारत ईरान और अन्य मध्य एशियाई देशों के साथ अपने आर्थिक एवं रणनीतिक संबंधों को सुदृढ़ करने की ओर भी आगे बढ़ सकता है।
भारत विरोधी आतंकवादी समूहों का समर्थन करने वाले पाकिस्तानी व्यवस्था से कोई संवाद करना प्रियकर स्थिति नहीं है। लेकिन पाकिस्तान को चरमपंथी इस्लामवादियों के प्रभाव में आने का अवसर देना और भी गंभीर परिदृश्य का निर्माण करेगा। भारत को पाकिस्तान में स्थिरता लाने हेतु प्रयास करने चाहिये, क्योंकि सीमा पर तनाव और उग्रवाद जैसे इसके परिणाम भारत को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेंगे।
- यह भी पढ़े…………………….
- क्या विकास से हिंदू-मुस्लिम दोनों की स्थिति सुधरी है?
- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस क्या है?
- सांसद युवा तैराक प्रतियोगिता में 210 प्रतिभागियों में89 प्रतिभागी सफल हुए