#MY Parliament My Pride:नए संसद भवन देश के लिए गर्व की बात-राष्ट्रपति

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सुनहरे शब्दों से लिखा जाएगा आज का दिन-अर्जुन मुंडा

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन किए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह पूरे देश के लिए गर्व एवं अपार हर्ष की बात है। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन देश के इतिहास में सुनहरे शब्दों में लिखा जाएगा। उप राष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने भी इसे देश के विकास का साक्षी करार दिया। राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के संदेश को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने पढ़ा।

राष्ट्रपति ने अपने संदेश में नए संसद भवन को देश के लिए मार्गदर्शक करार देते हुए कहा कि यह देश को नई दिशा देगा और हमारी लोकतांत्रिक यात्रा में मील का महत्वपूर्ण पत्थर साबित होगा है। यह भवन देश के कोने-कोने के भिन्न-भिन्न श्रेष्ठ विचारों को प्रतिबिंबित करेगा।

नया संसद भवन आगे भी हमारे विकास का साक्षी रहेगा

प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन के मौके के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारी विविधता को भारतभूमि के सबसे उत्तरी छोर से दक्षिण तक, पूर्वी सीमा से पश्चिमी तटरेखा तक रहने वाले सभी देशवासियों के लिए अत्यंत गौरव एवं अतुलनीय आनंद का अवसर है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की विकास यात्रा की ऐतिहासिक घड़ी में बना नया संसद भवन आगे भी हमारे विकास का साक्षी रहेगा। आत्मनिर्भर भारत बनाने से लेकर जनता की जरूरतों की पूर्ति एवं समग्र गरीबी उन्मूलन तक यह भवन अनेक ऐतिहासिक पलों का अध्याय लिखेगा।

धनकड़ ने कहा कि नई ‘संसद’, हमारी शाश्वत धाराओं का प्रतीक है। यह हमारी समृद्ध भारतीय वास्तुशिल्प परंपरा एवं सांस्कृतिक विरासत के साथ प्रगति के लिए आधुनिक तकनीक को सर्वोत्तम तरीके से आत्मसात करने की हमारी क्षमता को भी प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी ने भी हमारे प्रतिबद्ध श्रम शक्ति के अटल संकल्प को रोकने में विफल रहीं। यह भव्य भवन गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के राष्ट्रीय संकल्प का भी प्रतीक है।

संसद भवन लोकतांत्रिक गतिविधियों का जीवंत केंद्र

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि वर्तमान संसद भवन लोकतांत्रिक गतिविधियों का जीवंत केंद्र और प्रगति का मार्गदर्शक रहा है। आने वाले वर्षों में परिसीमन के कारण सदस्यों की संख्या में वृद्धि की संभावना एवं संसद की बढ़ती हुई जिम्मेदारियों को देखते हुए वर्तमान संसद भवन में स्थान की कमी महसूस की जा रही थी। लिहाजा दोनों सदनों के सदस्यों ने प्रधानमंत्री से एक नए भवन के निर्माण का आग्रह किया था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उम्मीद जताई कि नई संसद देश में सशक्तीकरण सपनों को जगाने और उन्हें हकीकत में बदलने का उद्गम स्थल बनेगी। पहले चरण के सांस्कृतिक अनुष्ठान के बाद नए लोकसभा कक्ष में पहला औपचारिक उद्घाटन समारोह हुआ।देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रंगों की गौरवमयी छटाओं के बीच नई लोकसभा में पवित्र सेंगोल (राजदंड) को स्थापित कर प्रधानमंत्री ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर को देश के लोकतंत्र की नीति परायणता का प्रतीक बना दिया।

इस विशिष्ट मौके पर मोदी ने उम्मीद जताई कि नई संसद देश में सशक्तीकरण, सपनों को जगाने और उन्हें हकीकत में बदलने का उद्गम स्थल बनेगी। पहले चरण के सांस्कृतिक अनुष्ठान के बाद नए लोकसभा कक्ष में पहला औपचारिक उद्घाटन समारोह हुआ। इसमें प्रधानमंत्री ने करतल ध्वनियों की गूंज के बीच सांसदों और विशिष्ट अतिथियों के साथ राष्ट्र को संबोधित किया।

नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए वैदिक अनुष्ठानों का शुभारंभ सुबह साढ़े सात बजे प्रधानमंत्री मोदी के पहुंचने के साथ हुआ। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पीएम की अगुआनी की। इसके बाद कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ के पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पीएम ने दैवीय आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ‘गणपति होमम’ किया।

PM मोदी ने सेंगोल को किया दंडवत प्रणाम

मोदी ने इसके बाद सेंगोल के सामने झुककर दंडवत प्रणाम किया और फिर इस पवित्र राजदंड को हाथ में लेकर तमिलनाडु के विभिन्न मठों से आए आदिनम (हिंदू मठों के प्रमुख) से आशीर्वाद मांगा। नादस्वरम की धुनों और वैदिक मंत्रों की गूंज के बीच पीएम मोदी इसके बाद सेंगोल को नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में लेकर गए और लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के दाहिने ओर इसे एक विशेष खंभे में स्थापित किया।

सेंगोल स्थापित करने के बाद नए संसद भवन में सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन हुआ। इसमें अलग-अलग धर्मों से जुड़े धर्मगुरुओं और विद्वानों ने अपनी-अपनी पूजा पद्धतियों के अनुसार देश की संसद और लोकतंत्र के लिए मंगल कामना अनुष्ठान किया। इसमें हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, इस्लाम, पारसी आदि धर्मों से जुड़े विद्वान शामिल थे।

अमृत काल में एक नए विश्वास के साथ आगे बढ़ेंगे’

भाजपा नेता मुंडा ने कहा, “पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा नई संसद का उद्घाटन इतिहास में सुनहरे शब्दों में लिखा जाएगा। यह हमेशा के लिए देश के संवैधानिक सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करेगा। पूरे इतिहास में, हमारे पास औपनिवेशिक काल की संसद थी। अब, हम एक साथ नई संसद, अमृत काल में एक नए विश्वास और विचार प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ेंगे।”

75 साल में विपक्ष ने आदिवासियों के लिए किया क्या’

अर्जुन मुंडा ने कहा, “उन्हें (विपक्ष को) खुद से पूछना चाहिए कि उन्होंने 75 साल में आदिवासियों के लिए क्या किया। जब बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को अध्यक्ष बनाया, तो वे उन्हें हराने के लिए एक साथ आए। अब वे राष्ट्रपति के बारे में बात कर रहे हैं? विपक्षी दलों को नहीं करना चाहिए। उन्हें राजनीति नहीं करनी चाहिए और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लें।”

‘संसद लोकतंत्र का पवित्र मंदिर’

भाजपा नेता हरनाथ यादव ने इस दिन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि सभी को इस दिन का इंतजार था। उन्होंने कहा, “आज इस देश के सभी 145 करोड़ लोग नए संसद भवन को देख रहे हैं। संसद लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है और संविधान संसद की आत्मा है। संसद वह जगह है, जहां 145 करोड़ लोग संस्था में अपनी आशा और विश्वास व्यक्त करते हैं।”

उन्होंने कहा, “आज का दिन देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है और हम उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देते हैं, जिन्होंने देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।”

‘उद्घाटन समारोह का बहिष्कार बेहद आपत्तिजनक’

उद्घाटन समारोह के बहिष्कार के लिए विपक्ष पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने कहा कि पार्टियों ने देश के संस्थानों में सभी सम्मान खो दिया है। भाजपा नेता ने कहा, “कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा उद्घाटन समारोह का बहिष्कार बेहद आपत्तिजनक है। इससे पता चलता है कि उन्हें अब संसद में विश्वास नहीं है और वे अब देश के संविधान और लोकतंत्र का सम्मान नहीं करते हैं।”

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