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विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर एक गैर-सरकारी संगठन ने बाल अधिकार और आप (Child Rights and You- CRY) विषय पर भारत में किशोर लड़कियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता तथा ज्ञान का आकलन करने के लिये किये गए एक अध्ययन के निष्कर्ष जारी किये।

  • पूरे देश के 38 ज़िलों की 10-17 वर्ष की लगभग 4,000 लड़कियों की भागीदारी के साथ दो महीने तक किये गए इस अध्ययन में मासिक धर्म के संबंध में युवा लड़कियों की धारणाओं, प्रथाओं और चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस:

  • परिचय:
    • विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस, जिसे मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में भी जाना जाता है, 28 मई को मनाया जाने वाला एक एनुअल ग्लोबल एडवोकेसी डे है।
    • इस दिन का उद्देश्य पूरे विश्व में जागरूकता बढ़ाना तथा मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM) की उचित प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
  • 28 मई ही क्यों?
    • मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पाँचवें महीने के 28वें दिन मनाया जाता है।
      • यह मासिक धर्म चक्र की औसत अवधि का प्रतिनिधित्व करता है जो प्राय: लगभग 28 दिनों का होता है।
      • यह मासिक धर्म की औसत अवधि का प्रतीक है जो हर महीने लगभग पाँच दिनों तक रहता है।
  • पृष्ठभूमि:
    • यह वर्ष 2013 में जर्मनी स्थित NGO WASH United द्वारा शुरू किया गया।
    • शुरुआत में इसे मासिक धर्म के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये 28 दिवसीय सोशल मीडिया अभियान के रूप में शुरू किया गया।
    • सकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण 28 मई, 2014 को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस की स्थापना हुई।
  • थीम:
    • वर्ष 2023 की थीम: “वर्ष 2030 तक मासिक धर्म को जीवन का एक सामान्य तथ्य बनाना (Making menstruation a normal fact of life by 2030)
  • महत्त्व:
    • यह महिलाओं की भलाई और गरिमा हेतु मासिक धर्म स्वच्छता के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
    • यह उचित मासिक धर्म स्वच्छता विधियों को बढ़ावा देता है:
      • स्वच्छ और सुरक्षित मासिक धर्म उत्पादों का उपयोग करना।
      • मासिक धर्म के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना।
      • मासिक धर्म की समस्या को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना।
    • यह विशेष रूप से निम्न-आय वाले समुदायों की मासिक धर्म संबंधी उत्पादों तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करता है।
    • यह शरीर, मासिक धर्म चक्र और प्रजनन स्वास्थ्य के संदर्भ में ज्ञान को प्रोत्साहित करता है।

प्रमुख बिंदु 

  • लगभग 12% युवा लड़कियों का मानना था कि मासिक धर्म भगवान का अभिशाप है या बीमारी के कारण होता है।
  • 4.6% लड़कियों को मासिक धर्म के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
  • 84% लड़कियों ने मासिक धर्म को एक जैविक प्रक्रिया के रूप में सही पहचाना।
  • 61.4% लड़कियों ने मासिक धर्म से जुड़ी सामाजिक शर्मिंदगी को स्वीकार किया।
  • 44.5% लड़कियाँ सैनिटरी पैड की जगह घर में बने एब्जॉर्बेंट या कपड़े का इस्तेमाल करती हैं।
    • इसमें सैनिटरी पैड का उपयोग न करने के कारण झिझक या संकोच, पैड के निपटान में कठिनाई, खराब उपलब्धता और ज्ञान की कमी शमिल है।
  • लड़कियों को मासिक धर्म की जानकारी उनकी माताओं, महिला मित्रों और बड़ी बहनों से प्राप्त होती है।

मासिक धर्म के संबंध में युवा लड़कियों के समक्ष चुनौतियाँ: 

  • मासिक धर्म के बारे में ज्ञान और जागरूकता की कमी।
  • मासिक धर्म से संबंधित सामाजिक कलंक और वर्जनाएँ।
  • सैनिटरी उत्पादों और उचित मासिक धर्म स्वच्छता संसाधनों तक सीमित पहुँच।
  • सैनिटरी पैड या अन्य मासिक धर्म उत्पादों को वहन करने हेतु वित्तीय बाधाएँ।
  • अपर्याप्त स्वच्छता सुविधाएँ, विशेष रूप से स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों में।
  • प्रयुक्त सैनिटरी उत्पादों हेतु गोपनीयता और उपयुक्त निपटान विधियों का अभाव।
  • मासिक धर्म स्वास्थ्य शिक्षा और सहायता तक असमान पहुँच।
  • मासिक धर्म के बारे में चर्चा करने पर साथियों का दबाव और शर्मिंदगी।
  • परिवार के सदस्यों और समुदाय में खुले संवाद एवं समर्थन का अभाव।
  • मासिक धर्म की परेशानी या दर्द के कारण दैनिक गतिविधियों में व्यवधान और भागीदारी पर प्रतिबंध।

मासिक धर्म स्वच्छता हेतु भारत की पहल:

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2011 में शुरू की गई मासिक धर्म स्वच्छता योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में किशोर लड़कियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देना है।
  • वर्ष 2015 में स्वच्छ भारत दिशा-निर्देशों में स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM), सैनिटरी पैड, वेंडिंग एवं निपटान तंत्र प्रदान करना और छात्राओं के लिये विशेष वॉशरूम सुनिश्चित करना शामिल था।
    • पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM) पर दिशा-निर्देश जारी किये गए थे।
  • रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्यूटिकल्स विभाग प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) लागू करता है, जो महिलाओं के लिये स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • इस परियोजना के तहत देश भर में 8700 से अधिक जन औषधि केंद्र स्थापित किये गए हैं जो ‘सुविधा’ नाम की 1 रुपए प्रति पैड की दर से ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराती है।
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2022 में एक समान राष्ट्रीय नीति का आह्वान किया, जिसका उद्देश्य सैनिटरी पैड, वेंडिंग एवं निपटान तंत्र और छात्राओं के लिये विशेष वॉशरूम प्रदान करना है।
  • विभिन्न राज्यों में किशोरियों को रियायती या मुफ्त सैनिटरी नैपकिन वितरित करने की अपनी योजनाएँ हैं, जैसे- अस्मिता योजना (महाराष्ट्र), उड़ान (राजस्थान), स्वेच्छा (आंध्र प्रदेश), शी पैड (केरल), और खुशी (ओडिशा)।
  • केरल और कर्नाटक राज्य सरकारें सैनिटरी नैपकिन के स्थायी विकल्प के रूप में मेंस्ट्रुअल कप का वितरण कर रही हैं।

आगे की राह

  • व्यापक मासिक धर्म स्वास्थ्य शिक्षा:
    • मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में लड़कियों को शिक्षित करने, मिथकों को खत्म करने और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिये स्कूलों में आकर्षक और सहभागी कार्यशालाओं का आयोजन करना।
    • मासिक धर्म स्वास्थ्य शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना जिसमें मासिक धर्म चक्र, स्वच्छता प्रथाओं और भावनात्मक कल्याण जैसे विषयों को प्रदर्शित किया गया हो।
  • सुलभ और वहनीय मासिक धर्म उत्पाद:
    • सभी लड़कियों तक मासिक धर्म उत्पादों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों और सार्वजनिक स्थानों पर सब्सिडी देना या सैनिटरी पैड के मुफ्त वितरण की वकालत करना।
    • सामर्थ्य और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये पुन: प्रयोज्य मासिक धर्म उत्पादों या पर्यावरण के अनुकूल विकल्प जैसे नवीन समाधानों को प्रोत्साहित करना।
  • स्वच्छता सुविधाएँ:
    • मासिक धर्म उत्पादों तक आसान पहुँच के लिये सार्वजनिक स्थानों पर सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन या औषधि वितरित करने के लिये धन एकत्रित करना या साझेदारी करना।
  • पुरुष सहयोगियों को शामिल करना:
    • मासिक धर्म के बारे में सहानुभूति और समझ को बढ़ावा देना, कलंक की भावना को दूर करने तथा सहायक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिये लड़कों एवं पुरुषों के लिये  कार्यशालाओं और जागरूकता कार्यक्रमों को आयोजित करना ।
  • खेलकूद और शारीरिक गतिविधियाँ:

 

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