क्या चुनावी में फिर मुफ़्त की रेवड़ियां आने वाली है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पाँच राज्यों में चुनाव होने हैं। मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिज़ोरम। छठा राज्य ओडिशा भी इस कड़ी में शामिल हो सकता है, लेकिन यह अभी तय नहीं है। पाँच राज्यों में जहां साल के अंत तक चुनाव होने ही हैं, वहाँ इस बार मुफ़्त की रेवड़ियों की भरमार रहेगी। कांग्रेस और आप तो रेवड़ी बाँटने में जी- जान से जुटी हुई ही हैं। उन्हें बहुत हद तक इसका फ़ायदा भी हो ही रहा है। जो भाजपा मुफ़्त की रेवड़ियों का विरोध कर रही थी, कर्नाटक के नतीजों से सबक़ लेकर वह भी अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे तो कोई अजूबा नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने पिछले साल ही मुफ़्त बिजली, पानी, गैस सिलेंडर और क़र्ज़ माफ़ी जैसी घोषणाओं से परहेज़ करने का सैद्धांतिक फ़ैसला लिया था, लेकिन राज्यों की ज़रूरत के अनुसार वहाँ छोटी- छोटी घोषणाओं ने कांग्रेस को फ़ायदा पहुँचाया। इसे देखते हुए भाजपा भी केंद्र की योजनाओं के साथ राज्यों के लिए अलग-अलग तरह की छोटी- छोटी योजनाओं- घोषणाओं पर ध्यान केन्द्रित कर सकती है। राजनीति का तक़ाज़ा भी यही है। जब तमाम दल इस मुफ़्त की रेवड़ी की दौड़ में लगे हुए हैं, ऐसे में भाजपा पीछे क्यों रहे?
लगता है भाजपा केंद्र और राज्य के लिए एक कॉम्बो बनाने की जुगत में है, जिससे डबल इंजन की सरकार के उसके नारे को भी बल मिले और नेशनल-लोकल का बेहतर कॉम्बिनेशन भी बन सके। केंद्र सरकार की कुछ योजनाएँ ऐसी हैं जो स्थानीय स्तर पर भी बड़ा प्रभाव डालती हैं, उनका दायरा कुछ ही दिनों में बढ़ाया जा सकता है। जैसे किसान सम्मान निधि। इस योजना के तहत दी जाने वाली राशि भी बढ़ाई जा सकती है और इसके योग्य किसानों की अपर लिमिट भी बढ़ाई जा सकती है।
इसी तरह उज्ज्वला योजना का दायरा बढ़ाने का भी विचार चल रहा है। हो सकता है कुछ ही दिनों में इस आशय की घोषणा सामने आ जाए!
दरअसल, बुधवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में कहा था कि राज्य सरकार यहाँ मुफ़्त की रेवड़ियाँ बाँटने में जुटी हुई है। यह देश और राज्य की आर्थिक हालत के लिए ठीक नहीं है। सही भी है! जनता के पैसे को यूँ लुटाते वक्त सरकारों को कुछ तो सोचना चाहिए। आख़िर इन मुफ़्त की योजनाओं का भार तो लोगों पर ही आना है।
हैरत की बात यह है कि प्रधानमंत्री राजस्थान से दिल्ली लौटे ही थे कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक और बड़ी घोषणा कर दी। राज्य के हर घर के लिए सौ यूनिट बिजली फ़्री कर दी गई। यह घोषणा हमेशा जैसी नहीं है। पहले इस तरह की घोषणा का दायरा सीमित होता था। यानी सौ यूनिट के भीतर बिजली खर्च करने पर ही इसका फ़ायदा मिलता था। 101 यूनिट खर्च होते ही पूरा पैसा देना होता था, लेकिन इस घोषणा में कोई सीमा नहीं है।
आप कितने भी यूनिट बिजली खर्च कीजिए, सौ यूनिट का पैसा आपको नहीं देना है। यानी राज्य के हर घर को इसका फ़ायदा मिलेगा। गहलोत इस तरह की घोषणा इसलिए जल्द से जल्द कर रहे हैं ताकि दूसरी पार्टियों द्वारा बाद में की जाने वाली घोषणाओं का प्रभाव शून्य हो जाए या कम तो हो ही जाए। लगता है वे अपने प्लान में सक्सेजफुल होते जा रहे हैं।
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