भारत में खाद्य आपूर्ति की स्थिति क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
मानसून के मौसम को ध्यान में रखते हुए भारत में खाद्य आपूर्ति की स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। हालाँकि वर्तमान में खाद्य आपूर्ति में कमी की समस्या नहीं है लेकिन मानसूनी वर्षा का स्थानिक और अस्थायी वितरण इसमें एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) ने दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम (जून-सितंबर) के दौरान सामान्य वर्षा का अनुमान लगाया है।
- खाद्य आपूर्ति पर मानसून के प्रभावों का भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
खाद्य आपूर्ति की वर्तमान स्थिति:
- गेहूँ के स्टॉक की स्थिति संतोषजनक:
- वर्ष 2023 में मार्च और अप्रैल की शुरुआत में बिना मौसम वर्षा तथा तेज़ हवाओं के कारण खड़ी गेहूँ की फसल प्रभावित हुई है।
- हालाँकि उपज का नुकसान उतना गंभीर नहीं था जितना कि शुरू में आशंका थी।
- सरकारी एजेंसियों ने पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित करते हुए चालू विपणन सीज़न के दौरान लगभग 26.2 मिलियन टन गेहूँ की खरीद की है।
- हालाँकि गेहूँ के भंडार में कमी देखी जा रही है लेकिन सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये गेहूँ और चावल का पर्याप्त संयुक्त भंडार है।
- वर्ष 2023 में मार्च और अप्रैल की शुरुआत में बिना मौसम वर्षा तथा तेज़ हवाओं के कारण खड़ी गेहूँ की फसल प्रभावित हुई है।
- दुग्ध आपूर्ति में राहत:
- फरवरी-मार्च 2023 में दूध की अभूतपूर्व कमी देखी गई जिस कारण कीमतें बढ़ गईं।
- हालाँकि तुलनात्मक रूप से हल्की गर्मी और अनुकूल प्री-मानसून बारिश के कारण स्थिति में सुधार हुआ है।
- हरे चारे की निरंतर आपूर्ति और उच्च दूध की कीमतों ने किसानों की आपूर्ति प्रतिक्रिया को गति दी है।
- फरवरी-मार्च 2023 में दूध की अभूतपूर्व कमी देखी गई जिस कारण कीमतें बढ़ गईं।
- चीनी उत्पादन का अनुमान:
- चालू वर्ष (अक्तूबर-सितंबर 2023) के लिये चीनी का भंडार 5.7 मिलियन टन होने का अनुमान है।
- भंडार का यह स्तर 2.5 महीनों की घरेलू आवश्यकता को पूरा कर सकता है जिसमें त्योहारी सीज़न की मांग भी शामिल है।
- प्रमुख चिंता का विषय गन्ने पर मानसून का प्रभाव है। गन्ना उत्पादन हेतु अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है।
- आगामी वर्ष में चीनी का उत्पादन सामान्य मानसून पर निर्भर है।
- खाद्य तेल और दालें:
- घरेलू फसल की कमी को पूरा करने वाले व्यवहार्य आयात के कारण खाद्य तेलों की आपूर्ति की स्थिति सहज प्रतीत होती है।
- वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल का आयात करना आसान हो गया है।
- चने का पर्याप्त स्टॉक और लाल मसूर दाल का आयात सुविधाजनक आपूर्ति में योगदान देता है।
वर्ष 2022-23 में भारत के कृषि क्षेत्र की वैश्विक स्थिति:
- दुग्ध उत्पादन:
- भारत विश्व के सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में अग्रणी है।
- गेहूँ उत्पादन:
- चीन के बाद भारत वैश्विक स्तर पर गेहूँ का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- चावल उत्पादन:
- भारत चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और निर्यात में नंबर एक पर है।
- चीनी उत्पादन:
- भारत चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता के रूप में उभरा है, जबकि दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक भी है।
- दलहन उत्पादन:
- भारत विश्व स्तर पर दलहन के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में है।
खाद्य आपूर्ति RBI की मौद्रिक नीति को कैसे प्रभावित करती है?
- खाद्य आपूर्ति और मुद्रास्फीति:
- खाद्य आपूर्ति खाद्य वस्तुओं की कीमतों को प्रभावित करती है, जो मुद्रास्फीति को मापने के लिये उपयोग किये जाने वाले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में योगदान करती है।
- उच्च खाद्य मुद्रास्फीति सीधे हेडलाइन मुद्रास्फीति को प्रभावित करती है, जो अर्थव्यवस्था में समग्र मूल्य परिवर्तनों को दर्शाती है।
- उच्च खाद्य मुद्रास्फीति उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कम कर सकती है, जिससे अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग कम हो सकती है और आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है।
- पेय पदार्थों जैसे खाद्य पदार्थों पर निर्भर उद्योगों को उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के दौरान उत्पादन लागत में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है।
- उच्च खाद्य मुद्रास्फीति सामाजिक और राजनीतिक अशांति पैदा कर सकती है, खासकर गरीबों में जो अपनी आय का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा आहार पर खर्च करते हैं।
- खाद्य आपूर्ति और मौद्रिक नीति:
- मौद्रिक नीति में मूल्य स्थिरता, विकास और वित्तीय स्थिरता प्राप्त करने के लिये मुद्रा तथा ऋण आपूर्ति को विनियमित करना शामिल है।
- रेपो दर में परिवर्तन कुल मांग और आपूर्ति को प्रभावित करता है, जो मुद्रास्फीति एवं विकास को प्रभावित करता है।
- रेपो दर को समायोजित करते समय केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति, विकास, राजकोषीय नीति, वैश्विक परिस्थितियों और वित्तीय स्थिरता जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करता है।
- मुद्रास्फीति और विकास पर इसके प्रभाव के कारण केंद्रीय बैंक द्वारा खाद्य आपूर्ति की गहनता से निगरानी की जाती है।
- केंद्रीय बैंक हेडलाइन मुद्रास्फीति और कोर मुद्रास्फीति (खाद्य एवं ईंधन जैसी अस्थिर वस्तुओं को छोड़कर) दोनों पर खाद्य आपूर्ति के संकट का प्रभाव का आकलन करता है।
- अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में खाद्य मुद्रास्फीति के बने रहने का भी ध्यान में रखा जाता है।
- खाद्य आपूर्ति को प्रभावित करने वाली सरकारी नीतियाँ, जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Prices- MSP), खरीद, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System- PDS) और बफर स्टॉक पर केंद्रीय बैंक द्वारा विचार किया जाता है।
- अपने आकलन के आधार पर केंद्रीय बैंक +/- 2% के टॉलरेंस बैंड के साथ 4% के अपने मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु रेपो दर को समायोजित कर सकता है।
खाद्य सुरक्षा से संबंधित सरकारी पहलें:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act- NFSA) 2013
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
- तिलहन, दलहन, ताड़ के तेल और मक्का पर एकीकृत योजनाएँ (ISOPOM)
- eNAM Portal.
- कृषि उत्पादों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
- राष्ट्रीय बागवानी मिशन (National Horticulture Mission)
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