तंबाकू की खेती से संबंधित वैश्विक खाद्य संकट क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने तंबाकू की खेती के बजाय खाद्य उत्पादन को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए एक नई रिपोर्ट जारी की है।
- रिपोर्ट में इस बात पर बल दिया गया है कि विश्व भर में लगभग 349 मिलियन लोग वर्तमान में गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जबकि मूल्यवान उपजाऊ भूमि पर तंबाकू की खेती का वर्चस्व है। अपनी फसलों को प्रतिस्थापित करने के प्रयासों में तंबाकू उद्योग का हस्तक्षेप वैश्विक खाद्य संकट में वृद्धि कर रहा है।
- साथ ही हर साल 31 मई को मनाया जाने वाला विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) वैश्विक तंबाकू महामारी के खिलाफ चल रहे अभियान की याद दिलाता है। वर्ष 2023 के लिये इस दिवस की थीम है “खाद्य उगाएँ, तंबाकू नहीं”(Grow food, not tobacco)।
नोट: खाद्य असुरक्षा एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करती है जहाँ व्यक्तियों या समुदायों के पास पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की विश्वसनीय उपलब्धता, पहुँच, सामर्थ्य नहीं है जो कि एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिये उनकी आहार संबंधी ज़रूरतों और प्राथमिकताओं को पूरा करता है।
तंबाकू की खेती से संबंधित वैश्विक खाद्य संकट:
- भूमि उपयोग प्रतियोगिता: खाद्य उत्पादन और तंबाकू की खेती दोनों के लिये भूमि की आवश्यकता होती है।
- तंबाकू की खेती 124 से अधिक देशों में प्रचलित है, जो महत्त्वपूर्ण कृषि भूमि पर कब्ज़ा कर रही है इस भूमि का उपयोग खाद्य उत्पादन के लिये किया जा सकता है।
- कृषि योग्य भूमि के लिये यह प्रतियोगिता खाद्य उत्पादन को सीमित कर सकती है तथा वैश्विक खाद्य संकट को और अधिक बढ़ा सकती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ खाद्य सुरक्षा पहले से ही एक चुनौती है।
- संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) भी विश्व भर के विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती खाद्य असुरक्षा की चेतावनी दे रहा है।
- संसाधन विचलन: तंबाकू की खेती के लिये जल, उर्वरक और श्रम सहित महत्त्वपूर्ण मात्रा में संसाधनों की आवश्यकता होती है।
- तंबाकू उत्पादन के लिये इन संसाधनों के विचलन के परिणामस्वरूप खाद्य फसलों की सीमित उपलब्धता हो सकती है, जिससे कृषि उत्पादकता और भोजन की कमी हो सकती है।
- वित्तीय प्रभाव: तंबाकू की खेती किसानों के लिये आर्थिक रूप से लाभदायक हो सकती है जिससे वे खाद्य फसलों की तुलना में तंबाकू की खेती को प्राथमिकता देते हैं।
- तंबाकू जैसी नकदी फसलों के लिये यह वरीयता प्रधान खाद्य फसलें उगाने के प्रोत्साहन को कम कर सकती है जो भूख और खाद्य सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिये आवश्यक है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: तंबाकू की खेती के तरीकों के प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं।
- वनों की कटाई, मृदा क्षरण और जल प्रदूषण प्राय: तंबाकू की खेती से संबंधित होते हैं। ये पर्यावरणीय प्रभाव स्थायी खाद्य उत्पादन के लिये आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता को और अधिक प्रभावित कर सकते हैं।
- स्वास्थ्य परिणाम: तंबाकू का उपयोग एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है जिससे दुनिया भर में कई बीमारियाँ और अकाल मृत्यु की घटनाएँ होती हैं। तंबाकू की खेती किसानों के लिये गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करती है जिसमें कीटनाशकों के संपर्क में आना तथा त्वचा के माध्यम से निकोटीन का अवशोषण शामिल है।
- तंबाकू से संबंधित बीमारियों के स्वास्थ्य संबंधी परिणाम अप्रत्यक्ष रूप से खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं:
- उत्पादक श्रमबल की संख्या में कमी लाकर
- स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर अतिरिक्त बोझ डालकर
- संसाधनों को भोजन/खाद्य से संबंधित पहलों से दूर करके
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तंबाकू का उपयोग प्रत्येक वर्ष 8 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु का कारण बनता है और लाखों लोग अप्रत्यक्ष रूप से इसके धुएं के संपर्क में आते हैं।
- तंबाकू से संबंधित बीमारियों के स्वास्थ्य संबंधी परिणाम अप्रत्यक्ष रूप से खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं:
नोट: निकोटिन तंबाकू के पौधे (निकोटियाना टैबैकम) और नाइटशेड प्रजाति के कुछ अन्य पौधों की पत्तियों में पाया जाने वाला एक रासायनिक यौगिक है। यह अल्कलॉइड है जो शामक और उत्तेजक दोनों है।
भारत में तंबाकू की खपत
- स्थिति:
- तंबाकू का उपयोग कई गैर-संचारी रोगों जैसे- कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और पुरानी फेफड़ों की बीमारियों के लिये एक प्रमुख जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है। भारत में लगभग 27% कैंसर तंबाकू के उपयोग के कारण होता है।
- चीन के बाद भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक भी है।
- ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया 2016-17 के अनुसार, भारत में लगभग 267 मिलियन वयस्क (15 वर्ष और उससे अधिक) (सभी वयस्कों का 29%) तंबाकू का उपभोग करते हैं।
- तंबाकू का उपयोग कई गैर-संचारी रोगों जैसे- कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और पुरानी फेफड़ों की बीमारियों के लिये एक प्रमुख जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है। भारत में लगभग 27% कैंसर तंबाकू के उपयोग के कारण होता है।
- तंबाकू पर नियंत्रण के लिये भारतीय पहल:
- ई-सिगरेट निषेध अध्यादेश, 2019 की घोषणा ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन पर रोक लगाती है।
- भारत सरकार ने नेशनल टोबैको क्विटलाइन सर्विसेज़ (NTQLS) की शुरुआत की, जिसका एकमात्र उद्देश्य तंबाकू की समाप्ति के लिये टेलीफोन आधारित सूचना, सलाह, समर्थन और रेफरल प्रदान करना है।
- भारत के केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट 2023-24 में सिगरेट पर राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (NCCD) में 16% की वृद्धि की घोषणा की।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्ट्रीम सामग्री के दौरान तंबाकू से संबंधित स्वास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित करने के लिये ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्मों की आवश्यकता वाले नए नियमों की घोषणा की है।
- OTT प्लेटफॉर्म को तंबाकू उत्पादों या उनके उपयोग को प्रदर्शित करने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत और मध्य में तंबाकू विरोधी स्वास्थ्य स्पॉट संलग्न करना चाहिये।
- भारत में टेलीविज़न एवं फिल्मों के लिये हेल्थ स्पॉट और तंबाकू से संबंधित चेतावनियाँ पहले से ही अनिवार्य हैं।
तंबाकू की कृषि को संबोधित करने हेतु WHO द्वारा किये गए कार्य:
- WHO तंबाकू नियंत्रण पर फ्रेमवर्क अभिसमय (WHO-FCTC) के महत्त्व पर ज़ोर देता है, जो तंबाकू की खपत एवं इसके प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने के उद्देश्य से पहला अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
- WHO ने तंबाकू मुक्त कृषि पहल शुरू करने के लिये संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) तथा विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के साथ भागीदारी की है, जिसका उद्देश्य केन्या और जाम्बिया जैसे देशों में किसानों को वैकल्पिक फसलों की खेती के लिये माइक्रोक्रेडिट ऋण, ज्ञान एवं प्रशिक्षण के माध्यम से सहायता प्रदान करना है।
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