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Train Accident:भारत में रेलों के पटरी से उतरने के ज़िम्मेदार कारक क्या है?

Train Accident:भारत में रेलों के पटरी से उतरने के ज़िम्मेदार कारक क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ओडिशा के बालासोर ज़िले के बहनगा बाज़ार रेलवे स्टेशन पर 2 जून, 2023 को हुई दुखद ट्रेन दुर्घटना ने ऐसी विनाशकारी घटनाओं को रोकने के लिये प्रभावी सुरक्षा उपायों की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।

  • हाल की घटना ने कवच पहल की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जिसका उद्देश्य भारत में रेलवे सुरक्षा को बढ़ाना है। हालाँकि कवच प्रणाली को ओडिशा मार्ग पर लागू नहीं किया गया है।
  • भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की वर्ष 2022 की रिपोर्ट ‘भारतीय रेलवे का पटरी से उतरना’ में देश में ट्रेन दुर्घटनाओं के कारणों पर अनेक कमियों को चिह्नित किया गया है। 

रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताएँ:

  • परिचय:
    • CAG की रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2017-18 और वर्ष 2020-21 के बीच लगभग 75% परिणामी रेल दुर्घटनाएँ पटरी से उतरने के कारण हुई हैं।
  • रेल का अवपथन/पटरी से उतरना: ट्रेन दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण
    • 217 परिणामी ट्रेन दुर्घटनाओं में से 163 (लगभग 75%) रेल के पटरी से उतरने के कारण हुई है।
    • रेल दुर्घटनाओं के अन्य कारणों में रेलगाड़ियों में आग लगना (20 दुर्घटनाएँ), मानव रहित समपारों पर दुर्घटनाएँ (13 दुर्घटनाएँ), टक्कर (11 दुर्घटनाएँ), मानवयुक्त समपारों पर दुर्घटनाएँ (8 दुर्घटनाएँ) और विविध घटनाएँ (2 दुर्घटनाएँ) शामिल हैं।

रेल दुर्घटनाओं का वर्गीकरण: 

  • रेलवे बोर्ड रेल दुर्घटनाओं को दो श्रेणियों में वर्गीकृत करता है: परिणामी रेल दुर्घटनाएँ और अन्य रेल दुर्घटनाएँ।
  • परिणामी ट्रेन दुर्घटनाओं में जीवन की हानि, मानव चोट, संपत्ति की क्षति और रेलवे यातायात में रुकावट जैसे महत्त्वपूर्ण प्रभाव वाली दुर्घटनाएँ शामिल हैं।
  • अन्य रेल दुर्घटनाओं में वे सभी दुर्घटनाएँ शामिल हैं जो परिणामी श्रेणी में नहीं आती हैं।
  • अवपथन/पटरी से उतरने के लिये ज़िम्मेदार कारक: 
    • जाँच रिपोर्टों के विश्लेषण से पता चला कि 16 क्षेत्रीय रेलवे और 32 मंडलों में रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने में योगदान देने वाले 23 कारक थे।
    • पटरी से उतरने के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख कारक ट्रैक के रखरखाव (167 मामले), अनुमत सीमाओं से परे ट्रैक मापदंडों के विचलन (149 मामले) और खराब ड्राइविंग/ओवरस्पीडिंग (144 मामले) से संबंधित थे।
  • राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (RRSK)
    • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने वर्ष 2017-18 में स्थापित RRSK के प्रदर्शन का भी विश्लेषण किया जिसका उद्देश्य 1 लाख करोड़ रुपए के कोष के साथ दुर्घटनाओं को रोकने के लिये रेल नेटवर्क पर सुरक्षा उपायों को मज़बूत करना था।
      • लेखापरीक्षा में पाया गया कि 15,000 करोड़ रुपए के सकल बजटीय समर्थन का योगदान दिया गया था, जबकि रेलवे के आंतरिक संसाधन हेतु शेष 5,000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष RRSK को वित्तपोषित करने के लक्ष्य से कम थे।
    • आंतरिक संसाधनों हेतु वित्त की इस कमी ने रेलवे में सुरक्षा बढ़ाने के लिये RRSK बनाने के प्राथमिक उद्देश्य को कमज़ोर कर दिया।
  • ट्रैक नवीनीकरण के लिये वित्तीय आवंटन घटाना:
    • रिपोर्ट में ट्रैक नवीनीकरण कार्यों के लिये वित्तीय आवंटन में वर्ष 2018-19 के 9,607 करोड़ रुपए से वर्ष 2019-20 में 7,417 करोड़ रुपए की गिरावट दर्शायी गई है।
      • इसके अलावा ट्रैक नवीनीकरण कार्यों के लिये आवंटित वित्त का पूर्णतया उपयोग नहीं किया गया था।
      • वर्ष 2017-21 के दौरान 1,127 अवपथन में से 289 अवपथन (26%) ट्रैक नवीनीकरण से संबंधित थे।
  • सिफारिशें और लंबित परियोजनाएँ:
    • CAG की रिपोर्ट ने दुर्घटना की जाँच करने और उसे अंतिम रूप देने के लिये निर्धारित समय-सीमा का सख्ती से पालन करने की सिफारिश की थी।
      • भारतीय रेलवे (IR) ट्रैक रखरखाव और बेहतर प्रौद्योगिकियों के पूरी तरह से यंत्रीकृत तरीकों को अपनाकर रखरखाव गतिविधियों के समय पर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये एक मज़बूत निगरानी तंत्र विकसित कर सकता है।
    • भारतीय रेलवे (IR) सांकेतिक परिणामों के अनुसार सुरक्षा कार्य के प्रत्येक वस्तु के लिये ‘विस्तृत परिणाम रूपरेखा’ तैयार कर सकता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि RRSK फंड से प्राप्त लाभ फंड के निर्माण के उद्देश्यों के अनुरूप है या नहीं

नोट: पटरी से उतरना उस स्थिति को संदर्भित करता है जब कोई ट्रेन या कोई अन्य रेल वाहन पटरी से उतर जाता है, जिसके परिणामस्वरूप स्थायी का नुकसान होता है और रेल अपने इच्छित पथ पर आगे बढ़ने में असमर्थ होती है। यह एक गंभीर सुरक्षा घटना है जिससे क्षति, चोटें और यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है।

कवच

  • परिचय:
  • कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली है जिसका उद्देश्य भारतीय रेलवे के विशाल नेटवर्क में ट्रेन संचालन में सुरक्षा को बढ़ाना है।
  • तीन भारतीय विक्रेताओं के सहयोग से अनुसंधान डिज़ाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा विकसित इसे हमारी राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली के रूप में अपनाया गया है।
  • सिकंदराबाद, तेलंगाना में इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल इंजीनियरिंग एंड टेलीकम्युनिकेशंस (IRISET) कवच के लिये ‘उत्कृष्टता केंद्र’ की मेज़बानी करता है।
  • IRISET अपनी समर्पित कवच प्रयोगशाला के माध्यम से कवच पर सेवाकालीन रेलवे कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के लिये ज़िम्मेदार है।
  • कार्यक्षमता: 
    • सिस्टम सुरक्षा अखंडता स्तर-4 (SIL-4) मानकों को पूरा करता है, जो इसकी उच्च विश्वसनीयता को दर्शाता है।
    • यह ट्रेनों को रेड सिग्नल से गुज़रने से रोकता है और गति प्रतिबंध लागू करता है।
    • यदि ड्राइवर ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल रहता है तो ब्रेकिंग सिस्टम स्वचालित रूप से सक्रिय हो जाता है।
    • कवच सिस्टम दो लोकोमोटिव के बीच टकराव को रोकता है।
    • आपातकालीन स्थितियों के दौरान SoS संदेशों को रिले करता है।
    • नेटवर्क मॉनीटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की आवाजाही की केंद्रीकृत लाइव निगरानी प्रदान करता है।
    • स्टेशन मास्टर और लोको-पायलट के बीच दो-तरफा संचार हेतु ट्रैफिक टक्कर बचाव प्रणाली (Traffic Collision Avoidance System- TCAS) का उपयोग करता है।

  • कवच का कार्यान्वयन और तैनाती: 
    • हालाँकि 1.03 लाख किलोमीटर की कुल रूट लंबाई में से अभी तक केवल 1,455 किलोमीटर को कवच के तहत लाया गया है।
    • दक्षिण मध्य रेलवे (South Central Railway- SCR) ज़ोन कवच कार्यान्वयन में सबसे आगे रहा है।

आगे की राह 

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