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विश्व पर्यावरण दिवस- सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण जरूरी: सिविल सर्जन

विश्व पर्यावरण दिवस- सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण जरूरी: सिविल सर्जन

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‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएं’ थीम के तहत मनाया गया पर्यावरण दिवस:
पर्यावरण दिवस पर स्वास्थ्य संस्थाओं में वृहत पैमाने पर हुआ पौधरोपण:

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सोमवार को जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय, सिविल सर्जन कार्यालय एवं परिसर में प्लास्टिक प्रदूषण को हराने और धरती को पूरी तरह से स्वच्छ बनाते हुए पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित करने की थीम पर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। मौके पर जिला योजना समन्वयक डॉ सुधांशु शेखर ने कहा कि प्रत्येक वर्ष एक नए थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

जिला मुख्यालय सहित अन्य सभी स्वास्थ्य केंद्रों में भी विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर पौधारोपण किया गया है। जिला मुख्यालय में स्वास्थ्य विभाग ने सहयोग तरुमित्र के साथ मिलकर अशोक, पीपल सहित फ़लदार पौधों का पौधरोपण किया। सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी, एसीएमओ डॉ राजेंद्र प्रसाद मंडल, जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ विष्णु प्रसाद अग्रवाल, जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, जिला योजना समन्वयक डॉ सुधांशु शेखर, एपीडियोलॉजिस्ट नीरज कुमार निराला के अलावा अन्य के द्वारा पौधरोपण किया गया। इस अवसर पर डीसीक्यूए डॉ अनिल कुमार शर्मा, यूनीसेफ के शिव शेखर आनंद एवं मोअमर हाशमी, सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी सहित कई अन्य अधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे।

 

अत्यधिक जरूरी होने पर ही करें प्लास्टिक का उपयोग: डॉ वीपी अग्रवाल
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ विष्णु प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि ‘विश्व पर्यावरण दिवस 2023’ में प्लास्टिक प्रदूषण को हराएं थीम रखा गया है। लोगों को अत्यधिक आवश्यकता होने की स्थिति में ही प्लास्टिक का उपयोग करने को लेकर जागरूक करना है। इसके बाद उन्हें कचरे की तरह फेंकने की जगह उनके पुनर्चक्रीकरण हो सके ऐसी व्यवस्था में भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव मौसम में परिवर्तन एवं बढ़ते तापमान के रूप में देखा जा सकता है। तापमान के बढ़ने एवं अचानक परिवर्तन से विभिन्न तरह के एलर्जी, सर्दी, खांसी, बुखार, दम फूलना एवं सांस लेने में कठिनाइ जैसी बीमारियां उत्पन्न होने से श्वसन तंत्र, उत्सर्जन तंत्र एवं स्पर्श तंत्र प्रभावित होने की संभावना अत्यधिक होती है।क्योंकि देश में इस तरह की समस्याओं का दायरा बहुत बड़ा है, जिस कारण मलेरिया, डेंगू, पीला बुखार, हैजा और चिकनगुनिया के साथ-साथ पुरानी बीमारियों के बढ़ने की आशंका बनी बनी रहती हैं।

 

सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण निहायत जरूरी: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने कहा कि
जनजीवन की सुरक्षा के लिए पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रखने की जरूरत है। आधुनिकता की ओर बढ़ रहे विश्व में विकास की राह में कई ऐसी चीजों का उपयोग शुरू कर दिया गया है, जो धरती और पर्यावरण के लिए घातक साबित हो रहा है। क्योंकि इंसान और पर्यावरण के बीच सबसे गहरा संबंध है। प्रकृति के बिना बेहतर जीवन की परिकल्पना करना बेमानी होती है। लेकिन इसी प्रकृति को इंसानों के द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जिस कारण लगातार पर्यावरण दूषित हो रहा है, जो जनजीवन को प्रभावित करने के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं की भी वजह बन रहा है। सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण का संरक्षण निहायत ही जरूरी है। इसी उदेश्यों की पूर्ति के लिए प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। ताकि पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक किया जा सके। साथ ही पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी किया जाता है।

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