Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
बिहार के 1710 करोड़ गंगा में बह गए,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

बिहार के 1710 करोड़ गंगा में बह गए,कैसे?

बिहार के 1710 करोड़ गंगा में बह गए,कैसे?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के सुल्तानगंज में गंगा नदी पर बन रहे 1710 करोड़ का पुल ढहने का वीडियो तो आपने अब तक देख ही लिया होगा। ये पुल 2019 में बनकर तैयार होना था, लेकिन 8 बार इसकी डेडलाइन बढ़ाई गई। 2023 में इसका 80% काम ही पूरा हो सका था, लेकिन वो भी 4 जून की शाम भरभराकर गिर गया।

कौन है एसपी सिंगला कंपनी, जो इस पुल को बना रही
बिहार में गंगा नदी पर ये पुल बनाने का टेंडर एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन के पास है। इस कंपनी के मुख्य दफ्तर दिल्ली और हरियाणा में हैं। कंपनी के मालिक का नाम सतपाल सिंगला है।1996 में इस कंपनी को पहला प्रोजेक्ट मिला था। 10 लाख रुपए में यमुना नदी पर एक छोटा सा पुल बनाया था। इसके बाद इस कंपनी को छत्तीसगढ़ में एक पुल बनाने के लिए 12 करोड़ का ठेका मिला।

बिहार में कोसी नदी पर आरा और छपरा के बीच इसी कंपनी ने पुल बनाया है। इस वक्त इस कंपनी के प्रोजेक्ट देश के करीब 15 राज्यों में चल रहे हैं। कॉर्पोरेट डिक्लेरेशन के मुताबिक 2022 में कंपनी की नेटवर्थ करीब 869 करोड़ रुपए है।मई 2020 में पहली बार ये कंपनी तब विवादों में आई थी, जब लोहिया पथ निर्माण के दौरान कंक्रीट स्लैब गिरने से 3 बच्चों की मौत हो गई थी। सरकार ने जांच के लिए एक कमेटी बनाई। कंपनी से पूछताछ हुई, लेकिन इसके बावजूद कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि जब सुल्तानगंज में गंगा पर बने रहे इस ब्रिज के लिए टेंडर हुआ तो उसमें एसपी सिंगला कंपनी का नाम नहीं था। इसे पिछले दरवाजे से लिस्टेड करके टेंडर दिया गया।हालांकि, बिहार में सत्ताधारी JDU के प्रवक्ता नीरज कुमार के मुताबिक एसपी सिंगला कंपनी को ई-टेंडरिंग के जरिए पुल का ठेका दिया गया था।

14 महीने में 2 बार पुल गिरने की सबसे बड़ी वजह- फॉल्टी डिजाइन

बिहार के डिप्टी CM तेजस्वी यादव ने कहा है कि गंगा पर बन रहे पुल के डिजाइन में गलती की आशंका हम लोगों को पहले से ही थी। IIT रुड़की की टीम इसके डिजाइन की जांच कर रही है। फाइनल रिपोर्ट इस हफ्ते आने की संभावना है। पथ निर्माण विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत का कहना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर रिसर्च करने वाले विशेषज्ञों ने हमें डिजाइन में फॉल्ट होने की जानकारी दी है।

30 अप्रैल 2022 को पुल के पिलर नंबर 4, 5 और 6 का हिस्सा गिरा था। आंधी को इसकी वजह बताई गई है। तब कंपनी पर खराब गुणवत्ता वाले मटेरियल के इस्तेमाल का आरोप लगा था। इसकी जांच के आदेश भी हुए, लेकिन अब तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है। इस ब्रिज को बनाने वाली कंपनी के MD ने मौके पर जाकर जांच की। इसके बावजूद 4 जून 2023 को पुल फिर से गिर गया।

एक अलग बहसः पुल गिरा नहीं, गिराया गया

पुल गिरने के बाद डिप्टी CM तेजस्वी यादव ने कहा, ‘अप्रैल 2022 में इस पुल का एक हिस्सा के गिरने के बाद ही हम लोगों को ये आशंका थी कि कुछ ना कुछ गड़बड़ है। इसलिए हम लोगों ने इसे तुड़वाने का फैसला लिया। जहां तक इससे होने वाले नुकसान की बात है तो ये सरकार पर नहीं बल्कि संवेदक पर आया है।’

बिहार पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने भी इस प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, ‘बिहार सरकार ने IIT रुड़की के फाइनल रिपोर्ट का इंतजार किए बिना पुल गिराने का फैसला किया। अब हम कोई चांस नहीं लेना चाहते हैं, फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है।’इन दो बयानों के बाद ही सोशल मीडिया पर कुछ लोग दावा करने लगे कि इस पुल को सरकार ने ही गिरवाया है। हालांकि 4 जून को हुई घटना प्लांड डेमोलिशन नहीं थी।

पथ निर्माण विभाग के मुताबिक पहली घटना के बाद ही माना जा रहा था कि इस पुल के डिजाइन में कोई कमी है। उसके बाद विभाग के अधिकारियों, IIT रुड़की के एक्सपर्ट और अपने अमेरिकन डिजाइनर के साथ एसपी सिंगला कंपनी के बीच 14 दिसंबर 2022 को एक बैठक भी हुई थी।पुल पर IIT रुड़की की पूरी रिपोर्ट इसी सप्ताह सौंपी जा सकती है और बिहार सरकार का दावा है कि जरूरत पड़ने पर पूरे स्ट्रक्चर को तोड़कर फिर से निर्माण कराया जा सकता है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!