हमारे लिए जल जीवन मिशन का क्या महत्त्व है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक अध्ययन के आधार पर जल जीवन मिशन के संभावित प्रभावों के बारे में बताया है जिसमें इसके सामजिक-आर्थिक लाभों की चर्चा की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • अतिसार/डायरिया के कारण होने वाली मौतों को रोकना:
    • जल जीवन मिशन में डायरिया से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोकने की क्षमता है। इससे भारत के घर-घर पाइप की सहायता से पेयजल की सुविधा प्रदान करने के जीवन-रक्षक प्रभावों के बारे में पता चलता है।
  • विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (Disability Adjusted Life Years- DALYs) से बचाव:
    • जल जीवन मिशन डायरिया से जुड़े लगभग 14 मिलियन DALY से बचने में मदद करने के साथ ही प्रतिदिन लगभग 101 बिलियन अमेरिकी डॉलर और मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा जल एकत्रित करने में खर्च किये जाने वाले 66.6 मिलियन घंटे की बचत कर सकता है।
    • एक DALY से तात्पर्य एक वर्ष के बराबर पूर्ण स्वास्थ्य के नुकसान से है और यह  किसी आबादी में बीमारी अथवा अन्य स्वास्थ्य समस्या के सामान्य मामलों के परिणामस्वरूप समय से पहले मौत और दिव्यांगता के साथ रहने वाले वर्षों का आकलन करने का एक तरीका है।
  • लैंगिक समानता: 
    • नल के माध्यम से जल की उपलब्धता महिलाओं पर जल संग्रह करने के बोझ को कम करने के साथ ही उन्हें शिक्षा एवं रोज़गार के अधिक अवसर प्रदान कर लैंगिक समानता की प्राप्ति में योगदान दे सकती है।

जल जीवन मिशन:

  • परिचय:
    • वर्ष 2019 में शुरू किया गया यह मिशन वर्ष 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर जल की आपूर्ति की परिकल्पना करता है।
    • जल जीवन मिशन पेयजल हेतु एक जन आंदोलन बनना चाहता है, जिससे यह हर किसी की प्राथमिकता बन जाए।
    • यह जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
  • लक्ष्य:
    • इस मिशन का लक्ष्य मौजूदा जल आपूर्ति प्रणालियों एवं जल कनेक्शन, जल गुणवत्ता निगरानी और परीक्षण के साथ-साथ सतत् कृषि की कार्यक्षमता सुनिश्चित करना है।
    • यह संरक्षित जल के संयुक्त उपयोग को सुनिश्चित करता है। इसके साथ ही यह पेयजल स्रोत में वृद्धि, पेयजल आपूर्ति प्रणाली, ग्रे जल उपचार और पुन: उपयोग को भी सुनिश्चित करता है।
  • विशेषताएँ:
    • जल जीवन मिशन स्थानीय स्तर पर जल की एकीकृत मांग और आपूर्ति पक्ष प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण और पुन: उपयोग के लिये घरेलू अपशिष्ट जल के प्रबंधन जैसे अनिवार्य तत्त्वों के रूप में स्रोत सतत् उपायों हेतु स्थानीय बुनियादी ढाँचे का निर्माण अन्य सरकारी कार्यक्रमों/योजनाओं के साथ अभिसरण में किया जाता है।
    • यह मिशन जल के लिये सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है तथा मिशन के प्रमुख घटकों के रूप में व्यापक सूचना, शिक्षा और संचार शामिल हैं।
  • कार्यान्वयन: 
    • जल समितियाँ ग्राम जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना, क्रियान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव करती हैं।
      • इनमें 10-15 सदस्य होते हैं, जिनमें कम-से-कम 50% महिला सदस्य एवं स्वयं सहायता समूहों के अन्य सदस्य, मान्यता प्राप्त सामाजिक और स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता (आशा), आंँगनवाड़ी, शिक्षक आदि शामिल होते हैं।
    • समितियाँ सभी उपलब्ध ग्राम संसाधनों को मिलाकर एक बारगी ग्राम कार्ययोजना तैयार करती हैं। योजना को लागू करने से पहले इसे ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित किया जाता है।
  • वित्तपोषण: 
    • केंद्र और राज्यों के बीच वित्तपोषण स्वरूप हिमालयन तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिये 90:10, अन्य राज्यों के लिये 50:50 है, जबकि केंद्रशासित प्रदेशों के मामलों में शत-प्रतिशत योगदान केंद्र द्वारा किया जाता है।

JJM की प्रगति:

  • अब तक 12.3 करोड़ (62%) ग्रामीण घरों में पाइप के पानी के कनेक्शन हैं, जो वर्ष 2019 के 3.2 करोड़ (16.6%) से अधिक है।
  • पाँच राज्यों अर्थात् गुजरात, तेलंगाना, गोवा, हरियाणा, और पंजाब एवं 3 केंद्रशासित प्रदेशों- अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, दमन दीव तथा दादरा नगर हवेली और पुद्दुचेरी में 100% नल के पानी के कनेक्शन हैं।
  • निकट भविष्य में हिमाचल प्रदेश 98.87% उसके बाद बिहार 96.30% नल के पानी का कनेक्शन करने हेतु तैयार हैं।

जल जीवन मिशन (शहरी):

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