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लोकसभा 2024 में मोदी का हारना निश्चित है-विपक्ष - श्रीनारद मीडिया

लोकसभा 2024 में मोदी का हारना निश्चित है-विपक्ष

लोकसभा 2024 में मोदी का हारना निश्चित है-विपक्ष

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं और अभी से भाजपा को हराने के लिए विपक्षी पार्टियां एकजुट होने लगी हैं। भाजपा को मात देने के लिए धुरविरोधी भी हाथ मिलाने को राजी हैं। इसका नजारा नीतीश कुमार की ‘पटना पार्टी’ में देखने को मिलने वाला है।

दरअसल, विपक्षी एकता के सूत्रधार बनते दिख रहे जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने 23 जून को पटना में प्रमुख पार्टियों के आला नेताओं की बैठक रखी है। इस बैठक में राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं को न्योता दिया गया है। हालांकि, देखना यह होगा कि कौन इसमें शामिल होगा और कौन नहीं।

बता दें कि बैठक में विपक्षी पार्टियों का फोकस सीट बंटवारे और जीतने वाले उम्मीदवार को खड़े करने पर ही होने वाला है। जानकारी के अनुसार, विपक्ष 450 सीटों पर एक उम्मीदवार लड़ाने पर सहमति बनाने में जुटा है। हालांकि, अभी भी कई राज्य हैं, जहां पेंच फंस सकता है और विपक्षी एकता को झटका लग सकता है।

नीतीश की ‘पटना पार्टी’ में कौन होंगे मेहमान

नीतीश कुमार की पटना में होने वाली पार्टी में कांग्रेस, आप और सीपीएम जैसी तीन राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा सपा, एनसीपी, टीएमसी, आरजेडी, शिवसेना (यूबीटी), आरएलडी, जेएमएम, नेशनल कॉन्फ्रेंस, सीपीआई, डीएमके, मुस्लिम लीग और एमडीएमके जैसी राज्य स्तरीय पार्टी को भी आमंत्रण भेजा गया है।

बैठक में राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, मल्लिकार्जुन खरगे, लालू प्रसाद, एमके स्टालिन, शरद पवार, अखिलेश, सीताराम येचुरी, डी राजा, हेमंत सोरेन और जयंत जौधरी शामिल हो सकते हैं। अगर विपक्षी गठबंधन को लेकर बात बनती है तो उसके चेयरमैन का नाम भी उसी दिन तय हो सकता है।

किन पार्टियों को मिला न्योता

  • कांग्रेस
  • आम आदमी पार्टी
  • सीपीएम
  • सपा
  • टीएमसी
  • शिवसेना (यूबीटी)
  • एनसीपी
  • जेएमएम
  • सीपीआई
  • डीएमके
  • नेशनल कॉन्फ्रेंस
  • मुस्लिम लीग
  • एमडीएमके

इस फॉर्मूले पर बन सकती है सहमति

कांग्रेस महाराष्ट्र (48 सीट), यूपी (80 सीट) और बिहार (40 सीट) में अपने पुराने गठबंधन को दोहरा सकती है। वहीं, बंगाल (42), तमिलनाडु (39) और हरियाणा की 10 सीटों पर भी सहमति बनाने में विपक्ष जुटा है।

इसके लिए विपक्ष 2014 और 2019 के वोट शेयर को देखते हुए सीट बंटवारे का फॉर्मूला बना सकता है। विपक्षी गठबंधन एक कमेटी बनाकर इस बार पार्टी से ज्यादा जीताऊ उम्मीदवार को तरजीह दे सकता है।

कितनी सीटों पर फंसेगा पेंच

विपक्षी एकता के केंद्र में कांग्रेस होने के कारण ज्यादातर सीटों पर पेंच भी उसी के चलते फंसा है। कांग्रेस कई राज्यों में छोटी पार्टियों को सीट देने को राजी नहीं है। इसे देखते हुए मुख्यतः सात राज्यों में पेंच फंसता दिख रहा है।

  • दिल्ली- 7 सीटः दिल्ली में भाजपा को टक्कर देने के लिए आम आदमी पार्टी को सबसे बड़ा विपक्ष माना जा रहा है। इसी के चलते केजरीवाल की पार्टी दिल्ली की सात सीटों पर कांग्रेस से गठबंधन की राह देख रही है। हालांकि, दिल्ली कांग्रेस के नेता आप का साथ देने को तैयार नहीं है।
  • पंजाब- 13 सीटः पंजाब की 13 सीटों पर भी यही हाल है। पंजाब में कांग्रेस को हराकर सत्ता संभालने वाली AAP से कांग्रेस के स्थानीय नेता हाथ मिलाने को राजी नहीं है। इन नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान के साथ बैठक कर कड़ा एतराज भी जताया है। दरअसल, नेताओं का मानना है कि इससे उनकी पार्टी को राज्य के चुनाव में बड़ा झटका लग सकता है।
  • केरल- 20 सीटः केरल में सीपीएम की सरकार है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिली थी। इसी कारण कांग्रेस अपनी जीती सीट सीपीएम को देने को राजी नहीं है। वहीं, सीपीएम भी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
  • महाराष्ट्र – 48 सीटः महाराष्ट्र में भी स्थिति साफ नहीं है। महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी मुख्य पार्टी होने के चलते ज्यादा सीट चाह रहे हैं। वहीं, शिवसेना और एनसीपी आपस में भी अपनी जमीन बचाने की कोशिश में होगी।
  • पश्चिम बंगाल- 42 सीटः बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार होने के चलते मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और सीपीएम का एकसाथ मिलना आसान नहीं लग रहा है। बंगाल में भी सीटों को लेकर पेंच फंस सकता है।
  • तेलंगाना- 17 सीटः केसीआर की पार्टी का नाम ही पार्टी प्रमुख ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) रख लिया है। केसीआर ने राष्ट्रीय राजनीति में आने की महत्वकांक्षाओं के चलते ऐसा किया। यही कारण है कि तेलंगाना में भी विपक्षी एकता खतरे में है।
  • उत्तर प्रदेश- 80 सीटः यूपी की 80 सीटों पर भी सपा और कांग्रेस में सीट बंटवारे को लेकर अड़चन आ सकती है। दरअसल, यूपी में फिलहाल देखा जाए तो भाजपा के बाद सपा का ही सबसे बड़ा जनाधार है। इसके चलते कई ऐसी सीटें होंगी, जिसपर विवाद हो सकता है।

7 राज्यों की 157 सीटों पर सिर्फ कांग्रेस का लड़ना तय

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना और ओडिशा में कांग्रेस का अकेले चुनाव लड़ना तय है। हालांकि, इन राज्यों की 157 सीटों पर 2019 के चुनाव में कांग्रेस को केवल 10 सीटें मिली थी, लेकिन इसके बावजूद विपक्ष यहां वाकऑवर दे सकता है।  दरअसल, इन राज्यों में कांग्रेस का मुकाबला केवल भाजपा से है।

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