केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा क्या है?

केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा क्या है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्र सरकार ने जून 2023 में राज्य सरकारों को कर अंतरण (Tax Devolution) की तीसरी किस्त के रूप में 1,18,280 करोड़ रुपए जारी किये, जबकि सामान्य मासिक अंतरण 59,140 करोड़ रुपए है।

  • यह राज्यों को पूंजीगत व्यय में तेज़ी लाने, उनके विकास/कल्याण संबंधी व्यय को वित्तपोषित करने और प्राथमिकता वाली परियोजनाओं/योजनाओं के लिये संसाधन उपलब्ध कराने में सक्षम बनाएगा।
  • उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक (21,218 करोड़) रुपए प्राप्त हुए, उसके बाद बिहार (11,897 करोड़ रुपए), मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान का स्थान रहा।

कर अंतरण: 

  • परिचय:
    • कर अंतरण केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच कर राजस्व के वितरण को संदर्भित करता है। यह संघ तथा राज्यों के बीच उचित एवं न्यायसंगत तरीके से कुछ करों की आय को आवंटित करने के लिये स्थापित एक संवैधानिक तंत्र है।
    • भारत के संविधान के अनुच्छेद 280(3)(a) में कहा गया है कि वित्त आयोग (FC) की ज़िम्मेदारी संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय के विभाजन के संबंध में सिफारिशें करना है।
  • 15वें वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशें:
    • केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा (ऊर्ध्वाधर अंतरण):
      • वर्ष 2021-26 की अवधि के लिये केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 41% करने की सिफारिश की गई है, जो कि वर्ष 2020-21 के बराबर है।
        • यह वर्ष 2015-20 की अवधि के लिये 14वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित 42% हिस्सेदारी से कम है।
        • केंद्र के संसाधनों से नवगठित केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिये 1% का समायोजन प्रदान करना है।
    • क्षैतिज विचलन (राज्यों के बीच आवंटन):
      • क्षैतिज विचलन हेतु इसने जनसांख्यिकीय प्रदर्शन के लिये 12.5%, आय के लिये 45%, जनसंख्या तथा क्षेत्र दोनों के लिये 15%, वन एवं पारिस्थितिकी के लिये 10% और कर एवं वित्तीय प्रयासों के लिये 2.5% के अधिभार का सुझाव दिया है।
    • राज्यों को राजस्व घाटा अनुदान:
      • राजस्व घाटे को राजस्व या वर्तमान व्यय और राजस्व प्राप्तियों के बीच अंतर के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें कर एवं गैर-कर शामिल हैं।
      • इसने वित्त वर्ष 2026 को समाप्त पाँच साल की अवधि में लगभग 3 ट्रिलियन रुपए के हस्तांतरण के बाद राजस्व घाटे के अनुदान की सिफारिश की है।
    • प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन और राज्यों को अनुदान: ये अनुदान चार मुख्य विषयों के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
      • पहला, सामाजिक क्षेत्र है, जहाँ इसने स्वास्थ्य और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है।
      • दूसरा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था है, जहाँ इसने कृषि और ग्रामीण सड़कों के रखरखाव पर ध्यान केंद्रित किया है।
        • ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि इसमें देश की दो-तिहाई आबादी, कुल कार्यबल का 70% और राष्ट्रीय आय का 46% योगदान शामिल है।
      • तीसरा, शासन और प्रशासनिक सुधार जिसके तहत इसने न्यायपालिका, सांख्यिकी और आकांक्षी ज़िलों एवं ब्लॉकों के लिये अनुदान की सिफारिश की है।
      • चौथा, इसने विद्युत क्षेत्र के लिये एक प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन प्रणाली विकसित की है जो अनुदान से संबंधित नहीं है लेकिन राज्यों के लिये एक महत्त्वपूर्ण, अतिरिक्त ऋण सीमा प्रदान करती है।
    • स्थानीय सरकारों को अनुदान:
      • नगरपालिका सेवाओं और स्थानीय सरकारी निकायों के लिये अनुदान के साथ इसमें नए शहरों के ऊष्मायन और स्थानीय सरकारों को स्वास्थ्य अनुदान के लिये प्रदर्शन-आधारित अनुदान शामिल हैं।
      • शहरी स्थानीय निकायों हेतु अनुदान में मूल अनुदान केवल दस लाख से कम आबादी वाले शहरों/कस्बों के लिये प्रस्तावित हैं। मिलियन-प्लस शहरों हेतु 100% अनुदान मिलियन-प्लस सिटीज़ चैलेंज फंड (MCF) के माध्यम से प्रदर्शन से जुड़े हैं।
        • MCF राशि इन शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार और शहरी पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु सेवा स्तर के बेंचमार्क को पूरा करने के प्रदर्शन से संबंधित है।

राजकोषीय संघवाद को बनाए रखने में वित्त आयोग की भूमिका: 

  • कर आय का वितरण: 
    • वित्त आयोग केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच करों की शुद्ध आय के वितरण की सिफारिश करता है।
    • यह राजकोषीय क्षमताओं और राज्यों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए कर राजस्व का उचित एवं समान बँटवारा सुनिश्चित करता है।
  • राज्यों के बीच करों का आवंटन: 
    • वित्त आयोग वित्तीय मदद की आवश्यकता वाले राज्यों को सहायता अनुदान के सिद्धांतों और मात्रा का निर्धारण करता है।
    • यह राज्यों की वित्तीय ज़रूरतों का आकलन करता है और राज्यों के समेकित कोष से धन आवंटित करने के उपायों की सिफारिश करता है।
  • स्थानीय सरकारों के संसाधनों में वृद्धि:
    • वित्त आयोग राज्य में पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों के पूरक हेतु राज्य के समेकित कोष को बढ़ाने के उपाय सुझाता है।
  • सहकारी संघवाद: 
    • वित्त आयोग सरकार के सभी स्तरों के साथ व्यापक परामर्श करके सहकारी संघवाद के विचार को बढ़ावा देता है।
    • यह आँकड़े एकत्रण और निर्णय लेने में भागीदारी दृष्टिकोण सुनिश्चित करने हेतु केंद्र सरकार, राज्य सरकारों एवं अन्य हितधारकों के साथ परामर्श में शामिल है।
  • सार्वजनिक व्यय और राजकोषीय स्थिरता: 
    • वित्त आयोग की सिफारिशों का उद्देश्य सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता में सुधार करना और राजकोषीय स्थिरता को बढ़ावा देना है।
    • संघ और राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करके यह आयोग राजकोषीय प्रबंधन, संसाधन आवंटन और व्यय प्राथमिकताओं हेतु मार्गदर्शन प्रदान करता है।

पंद्रहवाँ वित्त आयोग

Leave a Reply

error: Content is protected !!