Gujarat Cyclone: कच्छ को आज भी याद है वह 1998 का ‘तूफान’

Gujarat Cyclone: कच्छ को आज भी याद है वह 1998 का ‘तूफान’

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

22 साल के अंतराल के बाद मई, 2021 में तौकते गुजरात से टकराया था

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कच्छ के लोगों में 1998 में आए चक्रवात की यादें ताजा हो रही हैं जब जून महीने में ही आए समुद्री तूफान ने भयंकर तबाही मचाई थी। बिपरजॉय को भी 1998 के तूफान की तरह बेहद खतरनाक माना जात रहा है। उस तूफान का लैंडफाल गुजरात में हुआ था।तब वह समुद्री चक्रवा सिंध-गुजरात बॉर्डर पर आठ जून को टकराया था।

यह विनाशकारी चक्रवात 4 जून को बना था और आठ जून को इसका लैंडफाल हुआ था। इस चक्रवात में 165 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से हवाएं चली थीं। इस चक्रवात से पूरे देश में 10,000 लोगों की मौत हुई थी। इसमें ज्यादा मौतें गुजरात में सामने आई थीं। गुजरात में 1173 लाेगों की मौत हुई थी। 1500 से अधिक लोग लापता हुए थे। इस तूफान की तबाही का मंजर ऐसा था कि कच्छ के लोग आज भी इस तूफान की याद करके कांप उठते हैं।

कांडला को हुआ था नुकसान
तब कच्छ के कांडला बंदरगाह को काफी क्षति पहुंची थी। इस बार भी कांडला बदंरगाह को पूरी तरह से खाली करवा लिया गया है। हजारों की संख्या में ट्रक के पहिए पूरी तरह से ठप हैं और सभी को दूर शेल्टर होम में शिफ्ट कर दिया गया है। 25 साल के अंतरात के बाद फिर से बिपरजॉय (Biparjoy) के बड़ी तबाही होने की आंशका व्यक्त की जा रही है, हालांकि राज्य सरकार ने तूफान के दिशा बदलने और खतरनाक होते ही इससे संभावित नुकसान को घटाने में पूरी ताकत झोंकी दी है।

दो साल पहले मई महीने में आए तौकते तूफान में सरकार की तैयारियों के चलते ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। 174 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 81 लोग लापता हुए थे। उस वक्त अधिकतम हवा की गति 185 रही थी। 1960 से लेकर अभी तक गुजरात में सात समुद्री चक्रवात का लैंडफाल हुआ है। 1998 के खतरनाक तूफान के बाद तौकते सातवां चक्रवात था जिसका लैंड फाल गुजरात में हुआ था।

बचाव अभियान कैसा था?

करीब एक महीने तक कांडला के पास टापू पर लाशें पहुंचती रहीं। दर्जनों शव तो समुद्र में तैरते हुए मांडवी के तट तक पहुंच गए थे। आपदा प्रबंधन नहीं था। तूफान के बाद तटों पर कीचड़ हो गया था। स्थानीय लोगों ने कीचड़ में खोजबीन कर सैकड़ों लाशें निकालीं।

सरकारी सुविधाएं कैसी थीं?

एसआरपी रेस्क्यू ऑपरेशन कर रही थी। इसके अलावा भारत सरकार की दो से तीन बटालियन और नेवी भी आई थी। इसरो ने भी रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए अंतरिक्ष से तस्वीरें मुहैया करवाई थीं।

कितनी मौतें हुई होंगी?

उस आपदा में 2,300 से ज्यादा लोग मरे थे। मुख्य रूप से कांडला, गांधीधाम में हताहत हुए थे। जामनगर के पास दो या तीन जहाज भी डूब गए थे। इसमें कितने लोगों की संख्या थी। इसका सही अंदाजा नहीं लग पाया।

मौतों का सही आंकड़ा आज तक नहीं पता चल सका, क्योंकि कई लोग समुद्र में डूब गए। 1 अगस्त तक शव बरामद होते रहे।
मौतों का सही आंकड़ा आज तक नहीं पता चल सका, क्योंकि कई लोग समुद्र में डूब गए। 1 अगस्त तक शव बरामद होते रहे।

इसके अलावा कच्चे मकान व पेड़ों के गिरने, करंट लगने से भी कई मौतें हुईं। मरने वालों में ज्यादातर पर प्रांतीय मजदूर थे, जो कांडला और गांधीधाम पोर्ट में काम करते थे। ज्यादा तबाही भी पोर्ट एरिया में ही हुई थी। इसी के चलते ये लोग तूफान की चपेट में आ गए। इस आपदा में तकरीबन ढाई हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

चेतावनी नहीं दे सकते थे तो पर्याप्त कदम क्यों नहीं उठाए गए?

सूचना पहले सही मिली थी कि तूफान 200 किमी की स्पीड से आगे बढ़ रहा है। बाद में इसके कमजोर पड़ने की बात भी सही थी, लेकिन कमजोर होने के बाद तूफान फिर से रफ्तार पकड़ लेगा, इसका अंदाजा किसी को नहीं था। अमूमन ऐसा होता भी नहीं है। सरकार ने भी मान लिया था कि तूफान कमजोर हो गया है, लेकिन तूफान ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि उसे कांडला व गांधीधाम पोर्ट तक पहुंचने में मात्र 20 से 25 मिनट का समय ही लगा। इस आपदा से सरकार ने भी सबक लिया। इसके करीब 11 महीनों बाद भी एक तूफान आया था, लेकिन अलर्ट उसके गुजर जाने के बाद ही वापस लिया गया था।

हालांकि इस बार जब हम तूफान का सामना कर रहे हैं तो एक बात तय है कि तूफान खत्म होने के 12-15 घंटे बाद तक सतर्कता बरती जाए क्योंकि चक्रवात की गर्मी हवा में होती है। इससे समुद्र का पानी अवशोषित होने लगता है और तूफान की रफ्तार दोबारा बढ़ जाती है।

09 जून 1998, उस दिन जेठ की गर्मी से थोड़ी राहत थी। गुजरात के कांडला पोर्ट में लोग अपने रूटीन कामों में लगे थे। दोपहर होते-होते हालात बदलने लगे। पहले 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं और थोड़ी देर में इनकी स्पीड 160 से 180 किमी प्रति घंटे पर पहुंच गई। अरब सागर में कम दबाव के चलते बना चक्रवात कांडला में लैंडफॉल हुआ था।

मरने वालों की आधिकारिक संख्या 1,485 थी। 1,700 लोग लापता बताए गए, जो आज तक लापता ही हैं। इसके साथ 11 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हुई। इस चक्रवात से मची तबाही की भयावहता इन आंकड़ों से कहीं ज्यादा थी।

Leave a Reply

error: Content is protected !!