भारत के लिए इतना क्यों महत्वपूर्ण है G20 का मंच?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जी20 बाली शिखर सम्मेलन में 16 नवंबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी 20 की अध्यक्षता सौंपी गई थी. अध्यक्षता सौंपे जाने के बाद, भारत की साल भर चलने वाली जी 20 अध्यक्षता 1 दिसंबर, 2022 को शुरू हुई. भारत इस साल 30 नवंबर तक जी 20 का अध्यक्ष है. जी 20 समूह की सबसे बड़ी बैठक सालाना शिखर सम्मेलन है. भारत की अध्यक्षता में जी 20 का शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित होगा. शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होते है. ये वो मौका होगा जब दुनिया के तमाम विकसित देशों के राष्ट्र प्रमुख एक साथ भारत में जुटेंगे
भारत की जी 20 की अध्यक्षता का ध्येय वाक्य – ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ है. जी 20 LOGO को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में डिजाइन किया गया. भारत में आयोजित हो रही बैठकों में जी 20 सदस्य देशों और आमंत्रित देशों का एक साथ आकर व्यापक, बड़े पैमाने पर और उत्साहपूर्ण भागीदारी दुनियाभर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. ये दिखाता है कि समकालीन वैश्विक चुनौतियों को सामूहिक रूप से हल करने के लिए दुनिया के तमाम देश भारत की अगुवाई स्वीकार कर रहे हैं. या फिर ये कहें कि उन चुनौतियों के समाधान को लेकर भारत पर दुनिया की निगाहें टिकी हैं.
G20 दुनिया का सबसे ताकतवर आर्थिक समूह है. यह यूरोपीय संघ और दुनिया की 19 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का समूह है. यह समूह अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक सोच को आकार देने और मजबूत बनाने का काम करता है. एशियाई वित्तीय संकट के बाद 1999 में G20 की स्थापना की गई थी. शुरुआत में ये वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के लिए एक मंच था. इसकी पहली बैठक दिसंबर, 1999 में बर्लिन में हुई.
क्यों इतना महत्वपूर्ण है G20 का मंच ?
दुनिया की सभी बड़ी आर्थिक शक्तियां G20 के सदस्य हैं. वैश्विक जीडीपी में जी 20 का हिस्सा करीब 85 प्रतिशत है. वैश्विक व्यापार में इस समूह का योगदान 75 फीसदी से भी ज्यादा है. मानव संसाधन के नजरिए से भी ये बेहद महत्वपूर्ण है. इस समूह के सदस्य देशों में विश्व की कुल आबादी का 67 प्रतिशत हिस्सा रहता है. यही सारे देश वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा तय करते हैं. हम कह सकते हैं कि The Group of Twenty यानी G20 अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का सबसे महत्वपूर्ण और ताकतवर मंच है. इसमें विकसित देश भी हैं और विकासशील देश भी. अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना में सुधार के साथ ही ये समूह वैश्विक वित्तीय संकट को टालने के उपाय खोजता है.
कौन-कौन देश हैं G20 के सदस्य ?
जी 20 समूह में यूरोपीय संघ के साथ ही 19 देश शामिल हैं. G-20 में उत्तर अमेरिका से कनाडा, मेक्सिको और संयुक्त राज्य अमेरिका है. दक्षिण अमेरिका अर्जेंटीना और ब्राज़ील शामिल हैं. अफ्रीका महाद्वीप से दक्षिण अफ्रीका है. पूर्व एशिया से तीन देश चीन, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल हैं. दक्षिण एशिया से भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया से इंडोनेशिया शामिल हैं. वहीं मध्य-पूर्व एशिया से सऊदी अरब शामिल हैं. यूरेशिया से रूस और तुर्की के अलावा यूरोप से फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूनाइटेड किंगडम इसके सदस्य हैं. ओशियानिया से ऑस्ट्रेलिया G20 का सदस्य है. इनके अलावा यूरोपीय संघ भी इसका सदस्य है.
जी 20 अध्यक्षता में 200 से ज्यादा मीटिंग होनी है
भारत की अध्यक्षता के दौरान एक साल के दौरान कुल 200 से ज्यादा मीटिंग होनी हैं, ये बैठकें करीब 60 शहरों में निर्धारित है. आप समझ सकते हैं कि भारत पहली बार कितने बड़े पैमाने पर 200 से ज्यादा बैठकों के लिए विदेशी प्रतिनिधियों की मेजबानी कर रहा है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक ये किसी भी जी20 अध्यक्षता में सबसे व्यापक भौगोलिक विस्तार है. सभी 13 शेरपा ट्रैक वर्किंग ग्रुप, 8 फाइनेंस ट्रैक वर्कस्ट्रीम, 11 इंगेजमेंट ग्रुप और 4 इनिशिएटिव्स ने ठोस बातचीत शुरू की है. अब तक 110 से ज्यादा राष्ट्रीयता वाले 12,300 से अधिक प्रतिनिधियों ने जी20 से जुड़े बैठकों में हिस्सा लिया है. इसमें G20 सदस्यों, 9 आमंत्रित देशों और 14 अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भागीदारी शामिल है.
भारत क्या नया कर रहा है?
भारत की जी 20 अध्यक्षता के दौरान आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) पर एक नया वर्किंग ग्रुप, एक नया इंगेजमेंट ग्रुप “स्टार्टअप 20” और एक नई पहल के रूप में मुख्य विज्ञान सलाहकार गोलमेज सम्मेलन (CSAR) का संचालन किया गया है. अब तक तीन मंत्रिस्तरीय बैठक हो चुकी हैं. वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की पहली बैठक 24-25 फरवरी को बेंगलुरु में, वहीं जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक 1-2 को नई दिल्ली में आयोजित की गई. वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की दूसरी बैठक 12-13 अप्रैल 2023 को वाशिंगटन डीसी में आयोजित की गई. दो शेरपा बैठक 4 से 7 दिसंबर 2022 के बीच उदयपुर और 30 मार्च से 2 अप्रैल के बीच कुमारकोम में हुईं. 28 विदेश मंत्रियों और 2 उप विदेश मंत्रियों ने जी 20 विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया था.
क्या हो G20 के भविष्य की दिशा ?
अध्यक्षता ग्रहण करने के बाद ही भारत ने G20 के भविष्य की दिशा भी स्पष्ट कर दी थी. उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि क्या जी20 अब भी और आगे बढ़ सकता है? क्या हम समूची मानवता के कल्याण के लिए मानसिकता में मूलभूत बदलाव ला सकते हैं. भारत की ये सोच ही बताती है कि वो सिर्फ चुनिंदा देशों को लेकर चलने वाला नहीं है. उसके लिए पूरी मानवता महत्वपूर्ण है. भारत का ये हमेशा से नजरिया रहा है कि G20 शिखर सम्मेलन सिर्फ राजनयिक बैठक नहीं है. बतौर अध्यक्ष भारत इसे एक नई जिम्मेदारी और दुनिया के भरोसे के तौर पर लेकर आगे बढ़ रहा है.
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