Breaking

International Yoga day:योग भारत की सकारात्मक वैश्विक पहल है

International Yoga day:योग भारत की सकारात्मक वैश्विक पहल है

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सनातन काल से यह सर्वसिद्ध है कि व्यवस्थित योग क्रिया के माध्यम से शरीर को पुष्ट किया जा सकता है, निरोग रखा जा सकता है। योग जीवन के सर्वांगीण विकास का एक ऐसा माध्यम है, जो व्यक्ति के लिए सहज है। वास्तव में योग व्यवस्थित जीवन का आधार है। योग के कारण ही व्यक्ति की तमाम प्रकार की व्याधियां दूर होती हैं।

मानसिक तनाव को भी कम करता है। आजकल की भागदौड़ भरी दिनचर्या के चलते अधिकतर व्यक्ति मानसिक अवसाद की अवस्था की ओर जा रहे हैं, यही अवसाद व्यक्ति के जीवन के सार्वभौमिक विकास की राह में अवरोध बनते हैं। इस सबको दूर करने के योग ही एक माध्यम है। योग व्यक्ति की एकाग्रचित्तता को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति किसी कार्य को अच्छी प्रकार से संपादित करता है।

योग ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है। इसलिए योग से जुड़ना व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत जरूरी है, योग को आज से ही अपने जीवन का अपरिहार्य हिस्सा बनाएं।

वर्तमान में विश्व में जितनी भी ज्ञान और विज्ञान की बातें की जाती हैं, वह भारत में युगों पूर्व की जा चुकी हैं। इससे कहा जा सकता है कि भारत में ज्ञान और विज्ञान की पराकाष्ठा थी, लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि हम विदेशी चमक के मोहजाल में फंसकर अपने ज्ञान को संरक्षित नहीं कर सके। जिसके कारण हम स्वयं ही यह भुला बैठे कि हम क्या थे। भारत की भूमि से विश्व को एक परिवार मानने का संदेश प्रवाहित होता रहा है, आज भी हो रहा है।

यह अकाट्य सत्य है कि विश्व को शांति के मार्ग पर ले जाने का ज्ञान और दर्शन भारत के पास है। योग विधा एक ऐसी शक्ति है, जिसके माध्यम से दुनिया को स्वस्थ और मजबूती प्रदान की जा सकती है। 21 जून को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से आज विश्व के कई देश भारत के साथ खड़े हुए हैं। यह विश्व को निरोग रखने की भारत की सकारात्मक वैश्विक पहल है।

देव भूमि भारत में वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को आत्मसात करने वाले मनीषियों ने बहुत पहले ही विश्व को स्वस्थ और मजबूत बनाने का संदेश दिया है। लेकिन योग की महत्ता को कम आंकने वाले लोगों के बारे में यही कहना तर्कसंगत होगा कि यह संकुचित मानसिकता का परिचायक है। पिछले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पूरे विश्व में योग का जो स्वरूप दिखाई दिया, वह अपने आप में एक करिश्मा है। करिश्मा इसलिए क्योंकि ऐसा न तो पहले कभी हुआ है और न ही योग के अलावा दूसरा कार्यक्रम हो सकता है।

इतनी बड़ी संख्या में भाग लेने वाले लोगों के मन में योग के बारे में अनुराग पैदा होना वास्तव में यह तो प्रमाणित करता ही है कि अब विश्व एक ऐसे मार्ग पर कदम बढ़ा चुका है, जिसका संबंध सीधे तौर पर व्यक्तिगत स्वस्थता से है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को लेकर भले ही संकुचित मानसिकता वाले लोगों ने विरोध किया हो, लेकिन इसके बावजूद भी योग दिवस पर भाग लेने वालों ने एक कीर्तिमान बनाया है और संकुचित मानसिकता वालों के मुंह पर करारा प्रहार किया है। अब विश्व के कई देशों ने स्वस्थ और मजबूती की राह पर अपने कदम बढ़ा दिए हैं। अब विश्व को निरोग बनाने से कोई ताकत नहीं रोक सकती।

वर्तमान में विश्व के अनेक देश इस सत्य से भली भांति परिचित हो चुके हैं कि योग जीवन संचालन की एक ऐसी शक्ति है, जिसके सहारे तनाव मुक्त जीवन की कल्पना की जा सकती है। हम जानते हैं कि विश्व के कई देशों में जिस प्रकार का विचार प्रवाह है, उससे जीवन की अशांति का वातावरण तैयार हो रहा है और अनेक लोग इसकी गिरफ्त में आते जा रहे हैं। विश्व के कई देश इस बात को जान चुके हैं कि योग के सहारे ही मानसिक शांति को प्राप्त किया जा सकता है। हम यह भी जानते हैं कि वर्तमान में हमारी जीवनशैली में व्यापक परिवर्तन आया है, जो मानसिक अशांति का कारण बन रहा है। इसके चलते व्यक्ति अवसाद के घेरे में आ रहा है।

विश्व को सुख और समृद्धि के मार्ग पर ले जाने के लिए भारत के दर्शन को विश्व के कई देश खुले रूप में स्वीकार करने लगे हैं। इससे पहले जो भारत विश्व के सामने अपना मुंह खोलने से कतराता था, आज वही भारत एक नए स्वरूप में विश्व के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। विश्व को भारत की विराट शक्ति का अहसास हो चुका है। कोरोना की लड़ाई भारत जिस तरीके से लड़ी, वह शक्ति संपन्न देशों को अचंभित कर रहा है।

इस लड़ाई में योग का भी पूरा योगदान है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब से देश के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से हमारे देश के बारे में वैश्विक दृष्टिकोण में गजब का बदलाव दिखाई दे रहा है। सवाल यह है कि क्या यह बदलाव नरेन्द्र मोदी को देखकर आया है, नहीं। इसका जवाब यह है कि भारत के पास पूर्व से ही ऐसी विराट शक्ति थी, जिसका भारत की पूर्व सरकारों को भारतीय जनता को बोध नहीं था। हर भारतवासी के अंदर शक्ति का संचय है, हम शक्ति को प्रदर्शित नहीं कर पा रहे थे, इतना ही नहीं हम यह भूल भी गए थे कि हमारे अंदर भी शक्ति है। नरेन्द्र मोदी ने जामवंत की भूमिका अपनाकर देशवासियों के मन में इस भाव को जाग्रत किया कि आप महाशक्ति हैं।

भारत के दर्शन में एक ठोस बात यह भी है कि भारत में हमेशा सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया वाला भाव ही रहा है।  भारत का दर्शन वसुधैव कुटुम्बकम का है। योग जहां स्वस्थ मानसिकता का निर्माण करने में सहायक है वहीं, शांति स्थापना का उचित मार्ग है। योग से विचारों में शुद्धता आती है। पैसे के पीछे भाग रहा पूरा विश्व तनाव भरा जीवन जी रहा है। इस तनाव से मुक्ति पाने का एक ही मार्ग है योग को अपनाया जाए। जिसने अपने जीवन में योग को महत्व दिया है, वह इस तनाव से छुटकारा पाने में सफल रहा है।

हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि आध्यात्मिकता और ध्यान योग के मामले में हम विश्व के सभी देशों से बहुत आगे हैं। इस बारे में दुनिया का ज्ञान भारत के समक्ष अधूरा ही है। भारत को जब तक इस बात का बोध था, तब तक विश्व का कोई भी देश भारत का मुकाबला करने का सामर्थ्य नहीं रखता था। हम योग के माध्यम से एक बार फिर से आदर्श स्थापित कर सकते हैं।

जिसके लिए यह समय अनुकूल है। भारत की इस शक्ति का प्रस्फुटन हो चुका है। अब जरूरत इस बात की है कि हम सभी सरकार के कदम के साथ सहयोग का भाव अपनाकर अपना कार्य संपादित करें। आने वाले समय में भारत का भविष्य उज्जवल है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!