International Yoga day: स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ परिवार, स्वस्थ ग्राम,स्वस्थ राष्ट्र, स्वस्थ संसार,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
स्वामी विवेकानंद ने कहा था- “योग ही आयु में वृद्धि करता है।” उनका यह कथन शत प्रतिशत यथार्थ है। हमसे पहले वाली पीढ़ी और पूर्वज लंबी आयु तक स्वस्थ रहते हुए जीवित रहते थे और शारीरिक रूप से ज़्यादा मजबूत भी थे। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि भारत में प्राचीन काल से ही योग पद्धति को मनुष्य के जीवन लिए महत्वपूर्ण बताया गया है। हमारे यहां कहा भी गया है कि हमारा शरीर स्वस्थ है तो हमसे ज्यादा भाग्यशाली इंसान दुनिया में और कोई नहीं है। अगर स्वास्थ्य अच्छा होगा तभी हमारी मानसिक स्थिति भी अच्छी होगी। स्वस्थ तन में ही स्वच्छ मन का वास होता है। स्वस्थ तन और लंबी आयु के लिए नियमित योग करना आवश्यक है। अब तो हमारी इस प्राचीन पद्धति को वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक मुहर लगी है।
आज पूरी दुनिया के लोग योग के महत्व को समझते हुए योग दिवस मना रहे हैं। दुनिया में इसकी स्वीकार्यता हर भारतीय के लिए बहुत ही गर्व का विषय है कि मन और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमारी प्राचीन कला पूरी दुनिया में स्वीकार की गई और दुनिया भर में इसकी सराहना की गई है। भारत अपनी विरासत और विशेषताओं के लिए विख्यात है। भारत कई तरह की अमूल्य धरोहरों का देश है, जिससे जगत का कल्याण होता है। हमने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के आधार पर दुनिया के साथ अपनी सबसे अच्छे धरोहरों में से एक योग को साझा किया है, जो लोगों की भलाई के लिए है और हमारे लिए बहुत ही प्रसन्नता की बात है।
कोरोना जैसी महामारी के दौरान योग की महत्ता लोगों के सामने आई और रोगों से बचने के लिए इसका सहारा लिया जाने लगा। चिकित्सकों ने भी योग को रोगों से बचाव के लिए न सिर्फ आवश्यक बताया, बल्कि इसे करने की सलाह भी देने लगे। इसके बाद विभिन्न शिक्षण संस्थानों में योग शिक्षकों की नियुक्ति होने लगी तो यह रोजगार देने में कारगर हुआ। लोग स्वयं भी योग केंद्र खोलकर लोगों को योग सिखाने लगे।
परिणामस्वरूप योग एक ओर जहां स्वस्थ समाज के निर्माण में सहायक हुआ, वहीं रोजगार के भी अवसर पैदा हुए हैं। अब योग शिक्षक, योग प्रशिक्षक, योग चिकित्सक, योग शोधकर्ता, योग सहायक जैसे पदों का सृजन विभिन्न संस्थानों में हुआ। इससे युवाओं को अच्छे वेतनमान पर नौकरियां भी मिलने लगी हैं। इसके कारण युवाओं में योग के प्रति और भी आकर्षण बढ़ा है। डिजिटल युग में ऑनलाइन योग कक्षा के माध्यम से भी रोजगार के अवसर मिलने लगे हैं।
योग के प्रचार-प्रसार और प्रयोग के बाद रोगों पर भी नियंत्रण हुआ है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में योग प्रशिक्षण केंद्र खुलने एवं योग सीखने वालों की संख्या में वृद्धि के बाद इसमें प्रयुक्त होनेवाली सामग्रियों का भी उत्पादन बढ़ा, जिससे व्यापार के भी नये अवसर मिले।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:खभाग्भवेत् ।।
ॐ शांतिः! शांतिः!! शांतिः!!!
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