भारतीयों के लिए 28 अमेरिकी उत्पादों से हटी कस्टम ड्यूटी,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत और अमेरिका ने World Trade Organization (WTO) से संबंधित 6 प्रमुख व्यापार विवादों को खत्म करने पर सहमति जताई है। जानकारों का कहना है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अपने छह व्यापार विवादों को समाप्त करने के भारत और अमेरिका के फैसले से टू-वे कॉमर्स को बढ़ावा देने और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी। क्या होगा इसका असर और क्या थे विवाद, आइए जान लेते हैं।
द्विपक्षीय व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
भारत और अमेरिका विश्व व्यापार संगठन में छह व्यापार विवादों को समाप्त करने पर सहमत हुए हैं। वहीं नई दिल्ली की ओर से बादाम, अखरोट और सेब जैसे 28 अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी सीमा शुल्क भी हटा दिया जाएगा।
अनमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और वहां की प्रथम महिला जिल बिडेन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के बीच ये फैसला हुआ है। कहा जा रहा है कि ये एक सकारात्मक घोषणा है और इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
दोनों देशों द्वारा की गई इस घोषणा का स्वागत करते हुए, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि इससे अमेरिका में भारत के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, जो नई दिल्ली का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। सहाय ने आगे कहा, “यह सकारात्मक विकास है। हम इस फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। इससे अमेरिका को भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।”
दोनो देशों के हैं 3-3 विवाद
आपको बता दें कि इन छह विवादों में तीन भारत द्वारा शुरू किए गए और इतने ही अमेरिका द्वारा शुरू किए गए विवाद शामिल हैं। इनमें भारत से कुछ हॉट-रोल्ड कार्बन स्टील फ्लैट उत्पादों पर प्रतिकारी उपाय, सौर सेल्स और मॉड्यूल से संबंधित कुछ उपाय, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित उपाय, निर्यात-संबंधी उपाय, स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों पर कुछ उपाय और अतिरिक्त शुल्क शामिल हैं।
व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, दोनों देश आपसी सहमति वाली शर्तों पर विवादों को सुलझा सकते हैं और बाद में जिनेवा स्थित डब्ल्यूटीओ को इसके बारे में सूचित कर सकते हैं।
भारत और अमेरिका विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अपने छह व्यापार विवादों को समाप्त करने पर सहमत हो गए हैं। नयी दिल्ली ने बादाम, अखरोट और सेब जैसे 28 अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी सीमा शुल्क भी हटाने का फैसला किया है। राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के बीच यह कदम उठाया गया है।
2018 में अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर कुछ इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों पर क्रमशः 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया था। इसके जवाब में भारत ने जून 2019 में काबुली चना, दाल, बादाम, अखरोट, सेब, बोरिक एसिड और डायग्नोस्टिक अभिकर्मकों समेत 28 अमेरिकी उत्पादों पर सीमा शुल्क लगा दिया था।
आज का समझौता हमारे आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को करेगा गहराः कैथरीन ताई
संयुक्त राज्य अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने आज घोषणा की कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारतीय गणराज्य विश्व व्यापार संगठन में छह बकाया विवादों को समाप्त करने के लिए सहमत हुए हैं। भारत ने इस्पात और एल्यूमीनियम पर धारा 232 राष्ट्रीय सुरक्षा उपायों के जवाब में लगाए गए जवाबी टैरिफ को हटाने पर भी सहमति व्यक्त की। इसमें कहा गया है कि इन शुल्क कटौती से अमेरिकी कृषि उत्पादकों और निर्माताओं के लिए बाजार के अवसरों को बहाल और विस्तारित किया जाएगा।
ताई ने कहा, ”आज का समझौता हमारे आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को गहरा करने के लिए अमेरिका-भारत व्यापार नीति मंच सहित पिछले दो वर्षों में गहन द्विपक्षीय संबंधों की परिणति को दर्शाता है। हमारे काम के परिणामस्वरूप, अमेरिकी कृषि उत्पादकों और निर्माताओं को अब एक महत्वपूर्ण वैश्विक बाजार में नए सिरे से पहुंच का आनंद मिलेगा और हम अपने निकटतम भागीदारों में से एक के साथ अपने व्यापार संबंधों को मजबूत करेंगे। मैं अपने समकक्ष (भारत के वाणिज्य और उद्योग) मंत्री (पीयूष) गोयल के साथ काम करना जारी रखने के लिए उत्सुक हूं, क्योंकि हम अपने लोगों और हमारी अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाने के लिए अतिरिक्त तरीकों की पहचान करते हैं।”
छह विवादों में तीन अमेरिका तो तीन भारत की ओर से शुरू किए गए थे
इन छह विवादों में तीन भारत और इतने ही विवाद अमेरिका की ओर से शुरू किए गए हैं। इनमें भारत के कुछ हॉट रोल्ड कार्बन स्टील फ्लैट उत्पादों पर काउंटरवेलिंग उपाय, सौर सेल और मॉड्यूल से संबंधित कुछ उपाय, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित उपाय, निर्यात से संबंधित उपाय, इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों पर कुछ उपाय और अमेरिका के कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क शामिल हैं। व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, दोनों देश पारस्परिक रूप से सहमत शर्तों पर विवादों को हल कर सकते हैं और बाद में जिनेवा स्थित डब्ल्यूटीओ को इसके बारे में सूचित कर सकते हैं।
अमेरिका ने विभिन्न योजनाओं के तहत अपने निर्यात क्षेत्र को भारत के समर्थन उपायों के बारे में डब्ल्यूटीओ में शिकायत दर्ज कराई थी। 2019 में, एक डब्ल्यूटीओ विवाद पैनल ने फैसला सुनाया कि भारत के निर्यात उपाय वैश्विक व्यापार मानदंडों के साथ असंगत हैं। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2022-23 में द्विपक्षीय वस्तु व्यापार बढ़कर 128.8 अरब डॉलर हो गया, जो 2021-22 में 119.5 अरब डॉलर था।
वैश्विक मानदंडों से इतर कर लगाने पर डब्ल्यूटीओ में अपील का ये है प्रावधान
डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुसार, कोई सदस्य देश जिनेवा स्थित बहुपक्षीय निकाय में मामला दर्ज कर सकता है यदि उन्हें लगता है कि कोई विशेष व्यापार उपाय विश्व निकाय के मानदंडों के खिलाफ है। द्विपक्षीय परामर्श किसी विवाद को हल करने के लिए पहला कदम है। यदि दोनों पक्ष परामर्श के माध्यम से मामले को हल करने में सक्षम नहीं हैं, तो दोनों में से कोई भी विवाद निपटान के लिए बने पैनल से संपर्क कर सकता है।
पैनल के फैसले या रिपोर्ट को डब्ल्यूटीओ के अपीलीय निकाय की ओर से चुनौती दी जा सकती है। दिलचस्प बात यह है कि अपीलीय निकाय अपने सदस्यों को नियुक्त करने के लिए सदस्य देशों के बीच मतभेदों के कारण काम नहीं कर रहा है। इस निकाय के साथ पहले से ही कई विवाद लंबित हैं। अमेरिका सदस्यों की नियुक्ति को रोकता रहा है।
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