Emergency: 1975 का आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दौर,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
Emergency 1975: ‘भाइयो और बहनो, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है।’ 48 साल पहले देशवासियों ने रेडियो में जब यह घोषणा सुनी तो वह दंग रह गए। 25 और 26 जून की दरमियानी रात में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर करने के साथ ही देश में आपातकाल लागू हो गया था। अगली सुबह पूरे देश ने रेडियो पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सुना।
25 जून 1975 से शुरू होकर 21 मार्च 1977 तक यानी 21 महीनों तक यह इमरजेंसी चली। देश ने आजादी के बाद का सबसे काला दौर आपातकाल का ही देखा था। नागरिकों के लिए संभवतः सबसे कठिन समय था। आपातकाल के दौरान तस्वीरों से समझिए कैसा था वो दौर?
भारत का तीसरा आपातकाल
आजादी के बाद से यह भारत का तीसरा आपातकाल था जो यह बताता है कि उस समय राजनीतिक परिस्थितियाँ कितनी अस्थिर थी।
भारत की अर्थव्यवस्था हुई थी प्रभावित
पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध ने भारत को बुरी स्थिति में ला दिया था। सूखे और तेल संकट जैसी समस्याओं ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया जिसके कारण तनाव का स्तर काफी ज्यादा बढ़ गया था।
हर जगह हड़तालें और विरोध प्रदर्शन हुए
जैसे ही आपातकाल की घोषणा हुई, हर जगह हड़तालें और विरोध प्रदर्शन होने लगे। इससे भारत की आर्थिक विकास दर की रफ्तार धीमी हुई।
इंदिरा गांधी लेकर आई 20-सूत्रीय कार्यक्रम
इस दौरान, इंदिरा गांधी अर्थव्यवस्था में मदद करने और गरीबी और अशिक्षा से लड़ने के लिए 20-सूत्रीय कार्यक्रम लेकर आई।
सेंसरशिप ने निभाई बड़ी भूमिका
इमरजेंसी में सेंसरशिप ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। प्रेस, सिनेमा और कला पर रोक लगाई गई और सरकार की इच्छानुसार राजनीतिक नेताओं को गिरफ्तार किया जाने लगा।
अंडरग्राउंड होने लगे राजनेता
राजनीतिक नेता और प्रदर्शनकारी अंडरग्राउंड होने लगे लेकिन, उन्होंने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा। गांधी परिवार सत्ता के मद में चूर हो रहा था।
चुनाव नहीं हुए, लोग मारे गए
चुनाव स्थगित कर दिए गए। इमरजेंसी के दौरान कई लोग मारे गए और यह सब रिपोर्ट तक नहीं किया गया।
जब जनता पार्टी ने गांधी परिवार को सत्ता से उखाड़ फेंका
इंदिरा गांधी और उनके कार्यों के लिए उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पड़ा। 1977 में आपातकाल के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी ने गांधी परिवार को सत्ता से उखाड़ फेंका।
जब INDIAN EXPRESS ने खाली छोड़ा था संपादकीय कॉलम
इमरजेंसी के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान मीडिया को हुआ। अखबारों में जो कुछ भी जाता, उसकी पहले सरकार द्वारा जांच की जाती थी। आपातकाल लागू होने के बाद इंडियन एक्सप्रेस विशेष रूप से इंदिरा गांधी के सेंसरशिप खिलाफ आया और उसने अपना संपादकीय पेज खाली छोड़ दिया था।
वहीं, फाइनेंशियल एक्सप्रेस में रबींद्रनाथ टैगोर की कविता को डाला गया था। इस कविता में लिखा था, ‘जहां दिमाग बिना किसी डर के होता है और सिर ऊंचा रखा जाता है।’ (Where the mind is without fear, and the head is held high)
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