दक्षिण भारत में क्यों हो रहा ‘मिल्क वॉर’?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अक्सर दो राज्यों को पानी और सीमा के मुद्दों पर लड़ते हुए देखा गया है, लेकिन अब दक्षिण के राज्यों में दूध को लेकर घमासान मचा हुआ है। दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में दूध पर जंग छिड़ गया है।
गुजरात, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के दुग्ध सहकारी समितियों द्वारा क्रॉस-मार्केटिंग के बीच राज्य सरकार ने इन कंपनियों को चेतावनी दी है। इतना ही नहीं, अब किसानों से दूध खरीद, बिक्री और वितरण को लेकर भी राज्यों में विवाद छिड़ गया है।
केरल: राज्य का ब्रांड मिल्मा बनाम कर्नाटक का ब्रांड नंदिनी
सबसे ताजा विवाद केरल में मिल्मा दूध बनाम नंदिनी दूध पर शुरू हुआ है। यहां कर्नाटक के दूध ब्रांड नंदिनी का विरोध किया जा रहा है। यह मामला केन्द्र सरकार तक पहुंच गया है। दरअसल, केरल के पशुपालन मंत्री ने राज्य में कर्नाटक के दूध ब्रांड नंदिनी की एंट्री को लेकर चिंता जताते हुए, इसका कड़ा विरोध किया है। उन्होंने नंदिनी की बिक्री को लेकर केंद्र सरकार के नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीबी) से अपील की है कि वो इसमें हस्तक्षेप करते हुए इसे सुलझाए।
दोनों राज्यों की सहमति से बेचा जाता है ब्रांड
केरल के पशुपालन मंत्री चिनचुरानी ने कहा कि कर्नाटक मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन, जो कर्नाटक के नंदिनी दूध और उसके ब्रांड की बिक्री करता है तथा केरल मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन, जो केरल के मिल्मा ब्रांड के दूध और दूध के उत्पादों की बिक्री करता है, वो दोनों ही सरकार द्वारा संचालित होती है।
ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि यदि एक राज्य का ब्रांड किसी दूसरे राज्य में अपना ब्रांड बेचना चाह रहा है, तो इसके लिए दोनों राज्यों की मंजूरी जरूरी होती है। हालांकि, अब तक इस मामले में कर्नाटक मिल्क फेडरेशन की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है।
तमिलनाडु में भी आउटलेट खोलने की योजना बना रहा मिल्मा
गौरतलब है कि केरल दुग्ध महासंघ और उसके ब्रांज मिल्मा की पूरे केरल में 3 हजार से अधिक प्राथमिक दुग्ध सहकारी समितियां हैं, जिनमें 15.2 लाख स्थानीय दुग्ध उत्पादक किसान सदस्य हैं। केरल के दूध ब्रांड मिल्मा ने भी कर्नाटक और तमिलनाडु में अपने आउटलेट खोलने की योजना बनाई है। साथ ही, यह तर्क भी दिया है कि यह किसी तरह की प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं है, बल्कि किसानों को लाभ देने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
कर्नाटक: राज्य का नंदिनी बनाम गुजरात का अमूल ब्रांड
दूध को लेकर सबसे पहला बवाल कर्नाटक में शुरू हुआ था। वहां पर गुजरात के ब्रांड अमूल की बिक्री का विरोध किया जाने लगा था। दरअसल, यह विवाद इतना बढ़ गया था कि यह विधानसभा चुनाव के दौरान एक मुद्दा बनकर उभरा गया था। एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि कोऑपरेटिव मॉडल बेस्ड डेयरी कंपनियों अमूल और नंदिनी को मिलकर काम करना चाहिए। इस मुद्दे को तत्कालीन विपक्षी दलों ने भाजपा को घेरना शुरू कर दिया था।
चुनावी मुद्दा बन गया था दूध
विपक्ष ने राज्य में अमूल के ताजा दूध और दही बेचने की अनुमति देने के लिए तत्कालीन भाजपा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की आलोचना की। विपक्ष का कहना था कि गुजरात के दूध ब्रांड अमूल की कर्नाटक में बिक्री होने से राज्य के दूध ब्रांड नंदिनी की बिक्री पर बुरा असर पड़ेगा। इससे नंदिनी ब्रांड से जुड़े किसानों को भारी नुकसान होगा। विपक्ष की ओर से पूरी कोशिश की गई थी कि राज्य में अमूल ब्रांड की बिक्री पर रोक लगा दी जाए।
नंदिनी ब्रांड के 14 हजार से अधिक सहकारी समितियां
गौरतलब है कि केएमएफ की नंदिनी ब्रांड भारत की दूसरी सबसे बड़ी डेयरी सहकारी समिति है और यह पूरे राज्य के किसानों द्वारा आपूर्ति किए गए दूध का 50 प्रतिशत हिस्सा खरीदती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, नंदिनी ब्रांड से 2.5 लाख से अधिक दूध उत्पादक जुड़े हुए हैं और इसके लगभग 14,000 दूध सहकारी समितियां हैं।
तमिलनाडु: राज्य के एविन बनाम गुजरात के अमूल ब्रांड
कर्नाटक के नंदिनी बनाम अमूल ब्रांड के बाद यह बवाल तमिलनाडु पहुंच गया। तमिलनाडु में राज्य के ब्रांड एविन और गुजरात के अमूल ब्रांड के बीच घमासान शुरू हो गया था। तमिलनाडु सरकार ने पूरी कोशिश करते हुए राज्य में अमूल ब्रांड के दूध और उसके उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाने की कोशिश की थी। सीएम स्टालिन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से राज्य में अमूल ब्रांड की खरीद-बिक्री की गतिविधियों को रोकने के निर्देश देने का आग्रह किया था।
तमिलनाडु ने स्पष्ट तौर पर यह कहा है कि सहकारी समितियों को एक-दूसरे के दुग्ध क्षेत्र का उल्लंघन किए बिना फलने-फूलने की अनुमति देने की प्रथा को जारी रखना चाहिए। गौरतलब है कि एविन तमिलनाडु का ब्रांड है और इसके अंतर्गत 9, 673 से अधिक दूध उत्पादक और सहकारी समितियां कार्यरत है।
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