कालाजार को खत्म करने के लिए सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध 

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भवानीपुर अस्पताल में कालाजार को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन:

आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा चलाया जाता हैं जागरूकता अभियान: एमओआईसी
कालाजार के लक्षण एवं पहचान करना अतिआवश्यक: समन्यवयक

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):

 

कालाजार बीमारी अब अंतिम पड़ाव में हैं। हालांकि इस अंतिम चरण में हमें कुछ जटिल प्रक्रियाओं जैसे- प्लीहा, आकांक्षा और उपचार में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिसको लेकर ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, कर्मी एवं आशा कार्यकर्ता अपने-अपने पोषक क्षेत्रों में वखूबी अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। इसी को लेकर भवानीपुर प्रखंड की चार आशा फैसिलिटेटर एवं 80 आशा कार्यकर्ताओं के लिए ड्रग्स फ़ॉर नेगलेक्टेड डिजीज इनिशिएटिव (डीएनडीआई)
के सहयोग से एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के सभागार में किया गया। इस अवसर पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नवीन कुमार उफरोजिया, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक (बीसीएम) सतीश कुमार राम, बीएमएनई प्रशांत कुमार जायसवाल, बीएचडब्ल्यू अशोक कुमार मालाकार, परिवार नियोजन के परामर्शी दुर्गेश कुमार, स्वास्थ्य कर्मी सुरेश राम, आईईसी बिहार के समन्वयक राज किशोर राय, सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी सहित स्थानीय चार आशा फैसिलिटेटर एवं 80 आशा कार्यकर्ता सहित कई अन्य अधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे।

 

कालाजार को खत्म करने के लिए सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध: डॉ आरपी मंडल
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ राजेंद्र प्रसाद मंडल ने बताया कि ड्रग्स फ़ॉर नेगलेक्टेड डिजीज इनिशिएटिव (डीएनडीआई) के सहयोग से ज़िले की आशा कार्यकर्ताओं को कालाजार के संबंध में प्रशिक्षित किया जा रहा है। हालांकि जिले में कालाजार के मरीज़ों की संख्या बहुत ही कम हो गई है। वहीं इसको जड़ से मिटाने को लेकर समय-समय पर कालाजार खोजी अभियान एवं आईआरएस छिड़काव कराया जाता है। जिले से कालाजार को खत्म करने के लिए सरकार के साथ ही स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसके लिए जिले के सभी चिकित्सा पदाधिकारियों और पारा मेडिकल स्टाफ के सहयोग और कड़ी मेहनत से ही इस अंतिम पड़ाव तक पहुंचे हैं।

 

आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा मरीज़ों के बीच चलाया जाता है जागरूकता अभियान: एमओआईसी
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नवीन कुमार उफरोजिया ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा कालाजार खोजी अभियान में महती भूमिका निभाई जाती है। इसके अलावा विभागीय स्तर पर कालाजार संक्रमित गांवों में आईआरएस छिड़काव भी कराया जाता है। हालांकि इस वर्ष स्थानीय प्रखंड में मात्र एक ही पीकेडीएल मरीज मिला था लेकिन उसका इलाज़ पूरा हो चुका है।

 

कालाजार के लक्षण एवं पहचान करना अतिआवश्यक: समन्वयक
आईईसी बिहार के समन्वयक राज किशोर राय ने कहा कि यदि किसी भी व्यक्ति को लगातार दो सप्ताह से अधिक समय तक बुखार रहता है। साथ ही वजन कम होना, भूख नही लगना, चेहरे का रंग काला होना और पेट का आकार बड़ा होना जैसे कालाजार बीमारी के मुख्य लक्षण है। इसीलिए कालाजार के लक्षण और पहचान करना अतिआवश्यक हैं। ताकि समय रहते बीमारी का समुचित उपचार कर मरीज़ों को ठीक किया जा सके। इसके लिए सरकारी अस्पतालों में उचित परामर्श एवं जांच के अलावा पूरी तरह से इलाज़ की व्यवस्था निःशुल्क है। ताकि समय पर लक्ष्य को पूरा कर कालाजार मुक्त घोषित किया जा सके।

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