महालनोबिस: भारत के बिग डेटा और AI चुनौतियों का हल
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत के ‘प्लान मैन’ के रूप में प्रसिद्ध प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस के जन्मदिन के उपलक्ष्य में भारत में 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाया गया।
- आज के समय में हम भारत को बिग डेटा की चुनौतियों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की परिवर्तनकारी शक्ति से जूझते हुए देख सकते है, ऐसे में महालनोबिस का दृष्टिकोण और उनकी अंतर्दृष्टि भारत को इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल करने में मदद कर सकती है।
प्रशांत चंद्र महालनोबिस के प्रमुख योगदान:
- परिचय:
- प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस एक प्रमुख वैज्ञानिक और सांख्यिकीविद् थे जिन्होंने राष्ट्रीय विकास के लिये डेटा संग्रह, विश्लेषण तथा योजना निर्माण के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- उनका जन्म कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। उनके दादा गुरुचरण एक समाज सुधारक और रवींद्रनाथ टैगोर के पिता देबेंद्रनाथ टैगोर के अनुयायी थे।
- प्रमुख योगदान:
- वर्ष 1931 में उन्होंने सांख्यिकी और संबंधित विषयों में अनुसंधान एवं शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कलकत्ता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना की थी।
- उन्होंने वर्ष 1933 में पहली भारतीय सांख्यिकीय पत्रिका ‘सांख्य’ की भी स्थापना की थी।
- वर्ष 1955 में उन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा भारत के योजना आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था।
- उन्होंने दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) में औद्योगीकरण और आर्थिक विकास के लिये भारत की रणनीति को डिज़ाइन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसे गणितीय मॉडल के आधार पर महालनोबिस योजना के रूप में भी जाना जाता है। इस योजना में भारी उद्योगों और पूंजीगत वस्तुओं पर बल दिया गया था।
- इसके साथ ही रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना तथा उसे आकार देने में भागीदारी उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को उजागर करती है।
- वर्ष 1968 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1931 में उन्होंने सांख्यिकी और संबंधित विषयों में अनुसंधान एवं शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कलकत्ता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना की थी।
भारत के बिग डेटा और AI संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिये महालनोबिस दृष्टिकोण क्या अंतर्दृष्टि प्रदान करता है?
- AI और महालनोबिस प्रभाव को विनियमित करना:
- चूँकि AI नौकरी विस्थापन, गलत सूचना के प्रसार और अन्य नैतिक चिंताओं जैसी चुनौतियाँ पेश करता है, इसलिये इसके विनियमन के लिये वैश्विक दबाव है।
- डेटा अखंडता सुनिश्चित करने में महालनोबिस की दूरदर्शिता उनके सर्वेक्षणों में अंतर्निहित क्रॉस-चेक के प्रावधान से देखी जाती है, जो कौटिल्य के अर्थशास्त्र से प्रेरित थे।
- महालनोबिस दृष्टिकोण हमें AI एल्गोरिदम में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने, कठोर डेटा प्री-प्रोसेसिंग के महत्त्व की याद दिलाता है।
- उदाहरण के लिये भर्ती प्रक्रियाओं में AI की तैनाती करते समय सभी उम्मीदवारों के लिये समान अवसर सुनिश्चित करने हेतु पूर्वाग्रहों का आकलन करना और उन्हें कम करना महत्त्वपूर्ण है।
- महालनोबिस दृष्टिकोण ज़िम्मेदार और समावेशी AI सिस्टम के सृजन हेतु ऐसी चुनौतियों का सामना करने और संबोधित करने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।
- अनेक डेटा स्रोतों का एकीकरण:
- महालनोबिस ने अर्थव्यवस्था और समाज का समग्र दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिये विविध डेटा स्रोतों को एकीकृत करने की वकालत की।
- बिग डेटा और AI के संदर्भ में इसका तात्पर्य संरचित और गैर-संरचित डेटा, सोशल मीडिया फीड, सैटेलाइट इमेजरी तथा सेंसर डेटा सहित विभिन्न डेटा प्रवाह को शामिल करना है।
- इस तरह का एकीकरण व्यापक विश्लेषण की सुविधा प्रदान कर सकता है और नवीन अनुप्रयोगों को सक्षम कर सकता है।
- उदाहरणतः कृषि क्षेत्र हेतु मौसम संबंधी डेटा, उपग्रह इमेजरी और किसान-जनित डेटा का संयोजन फसल स्वास्थ्य, कीट प्रकोप तथा इष्टतम सिंचाई प्रथाओं पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है।
- यह दृष्टिकोण सटीक कृषि, फसल की पैदावार और किसानों की आजीविका में सुधार जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता-संचालित समाधानों के विकास को सक्षम बनाता है।
सांख्यिकीय मॉडल का महत्त्व:
- महालनोबिस ने सार्थक निष्कर्ष और पूर्वानुमान हेतु सांख्यिकीय मॉडल के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
- बिग डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में उन्नत मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और पूर्वानुमानित मॉडलिंग तकनीक विशाल डेटासेट का विश्लेषण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- इन मॉडलों को स्वास्थ्य देखभाल, वित्त और शहरी नियोजन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नियोजित किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिये स्वास्थ्य देखभाल डेटा पर पूर्वानुमानित मॉडल लागू करके नीति निर्माता जनसंख्या स्वास्थ्य प्रवृत्ति की पहचान कर सकते हैं, बीमारी के प्रकोप का पूर्वानुमान लगा सकते हैं और संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित कर सकते हैं।
- यह दृष्टिकोण साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने और सक्रिय हस्तक्षेप की सुविधा प्रदान करता है।
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