France Riots:दंगों के लिए सोशल मीडिया जिम्मेदार है-फ्रांसीसी राष्ट्रपति

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

France Riots: फ्रांस में एक किशोर की हत्या के बाद फैला तनाव अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस पर काबू पाने के लिए हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है और अब तक ढाई हजार से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। कई दुकानें, गाड़ियां और मकानों को फूंक दिया गया है, लेकिन अब भी हिंसा पर लगाम नहीं लग पाया है।

इस तनाव के कारण देश में स्थिति काफी गंभीर हो गई है, जो राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन चुकी है। जिस समय वह दूसरे महत्वपूर्ण जनादेशों के साथ आगे बढ़ना चाहते थे, उस दौरान उनका ध्यान इस दंगे को शांत करने पर लग गया है। इस पूरे हालात को लेकर फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया को जिम्मेदार बताते हुए उस पर सीधे तौर पर निशाना साधा है।

दरअसल, इस पूरे दंगे के लिए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोशल मीडिया को जिम्मेदार बताते हुए चेतावनी दी है। मैक्रों का कहना है कि स्नैपचैट, ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और टिकटॉक ने इस हिंसा को बढ़ावा दिया है। इन सभी सोशल मीडिया साइट पर ऐसे कुछ वीडियो, फोटो और जानकारी साझा किए गए, जिसके बाद छोटी-सी झड़प एक बड़े हिंसा में तब्दील हो गई और देश धूं-धूं कर जलने लगा है।

मैक्रों ने कहा है कि वो उन सभी सोशल मीडिया साइट से वीडियो गेम और उन उपयोगकर्ताओं की पहचान करने के लिए काम करेगी, जिसके कारण हिंसा को और भी अधिक बढ़ावा मिल गया है। साथ ही, कहा है कि इसके लिए जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ सख्त-से-सख्त कार्रवाई की जाएगी।

आखिर क्यों सोशल मीडिया को ठहराया जिम्मेदार?

एक फ्रांसीसी अधिकारी ने उदाहरण देते हुए समझाया कि आखिर सोशल मीडिया को क्यों जिम्मेदार बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी ने उस घटना का पोस्ट शेयर किया था, जिसमें पुलिस अधिकारी 17 साल के नाबालिग को गोली मारते हुए नजर आ रहा है।

उसके बाद कई लोगों ने उस वीडियो को देखा और दूसरों के साथ शेयर किया। इसके अलावा, जेल में बंद आरोपी पुलिसकर्मी ने भी सोशल मीडिया पर वो वीडियो देखा, जिसके बाद उसे डर है कि उसके परिवार को लोगों से खतरा है, क्योंकि लोग आरोपी को पहचानने लगे हैं।

हालांकि, राष्ट्रपति मैक्रों ने खुलकर इसपर बात नहीं की कि उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐसी कौन-सी वीडियो देखी, जिसको उन्होंने दंगे को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार माना है, लेकिन इस ओर इशारा कर दिया है कि जिम्मेदार व्यक्ति और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई होगी।

फ्रांस में सोशल मीडिया को लेकर क्या है कानून?

फ्रांस में साइबर नियमों का उल्लंघन एक गंभीर अपराध माना जाता है, जिसमें उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है। देश में दुष्कर्म और हत्या जैसे अपराधों की तरह ही सोशल मीडिया के जरिए किए गए क्राइम के खिलाफ सख्त कानून है।

साल 2020 में फ्रांस में एक विधेयक पास किया था, जिसके तहत यदि सोशल मीडिया और सर्च इंजन में कोई प्रतिबंधित सामग्री है, तो उसे अगले 24 घंटे के भीतर हटाना अनिवार्य होता है। ऐसा नहीं करने पर संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई की जा सकती है।

कार्रवाई में जुटे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म

फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों के आदेश के बाद ट्विटर और स्नैपचैट ने अपने प्लेटफॉर्म से सभी कंटेंट की जांच करने के बाद उसको हटाना शुरू कर दिया है। स्नैपचैट के प्रवक्ता राचेल राक्यूसेन ने कहा कि उनका प्लेटफॉर्म किसी भी तरह के दंगे और हिंसा को बढ़ावा देने वाले पोस्ट का विरोध करते हैं और जैसे ही ऐसा कोई पोस्ट नजर आता है, तो उसे तत्काल प्रभाव से हटाने की कोशिश करते हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की मदद करेगी सरकार

सरकार की ओर से कहा गया है कि वो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की मदद करने के लिए उन सभी पोस्ट को कंपनी के साथ शेयर करेगी, जो आपत्तिजनक और दंगे को बढ़ावा देने वाले होंगे। इससे कंपनी के लिए पोस्ट को जल्दी और आसानी से डिलीट करना संभव हो जाएगा।

हालांकि, मेटा और इंस्टाग्राम की ओर से फ्रांसीसी राष्ट्रपति की इस घोषणा को गंभीरता से नहीं लिया गया है, क्योंकि अब तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। यहां तक कि अब तक टिकटॉक की ओर से भी खास प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

अक्सर यदि देश में किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसी कोई भी पोस्ट नजर आती है, जो सरकार के नीतियों के खिलाफ होती है, तो कंपनी उसे खुद ही डिलीट कर देती है। ऐसा न करने पर कंपनी और यूजर के लिए देश के कानून काफी सख्त है। इसके बाद भी यदि कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने राष्ट्रपति मैक्रों के घोषणा को गंभीरता से नहीं लिया है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है।

आखिर क्यों सुलग रहा फ्रांस?

फ्रांस में कुछ दिन पहले एक 17 साल के नाबालिग युवक पर पुलिस ने गोली चला दी थी, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। मृतक नाबालिग की पहचान पेरिस निवासी नाहेल के तौर पर हुई है। पुलिस का कहना है कि उसने यातायात नियम तोड़े थे और जब उसे रोका गया, तो वो दो पुलिसकर्मियों को कुचलने वाला था। इस कारण मौके की गंभीरता को देखते हुए नाहेल पर गोली चला दी गई।

हालांकि, इस घटना के तुरंत बाद गोली चलाने वाले पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया, लेकिन इसके बाद भी दंगे भड़कते रहे। इसमें अब तक हजारों लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, कई पुलिसवाले घायल भी हुए हैं। इस दंगे में जान-माल दोनों का ही भारी नुकसान भी हुआ है।

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