पूर्णिया में कटाव निरोधी कार्य पर उठ रहे हैं सवाल:ग्रामीणों ने लगाए अनियमितता के आरोप, विभागीय इंजीनियर बोले- होगी जांच
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क:
बिहार में संभावित बाढ़ के खतरे से गांव का कटाव रोकने के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा करोड़ों रुपए खर्च की जाती है। ताजा मामला पूर्णिया के अमौर प्रखण्ड स्थित सिमलवाड़ी नगड़ाटोला गांव से सामने आई है। यहां 45 लाख की लागत से जलसंधान विॆभाग द्वारा कराई जा रही कटावरोधी कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि गुणवत्ता को ताक पर रखकर ये निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। वहीं रोजाना हो रही बारिश से लोगों को कटाव का खतरा सता रहा है।
परमान और कनकई नदी से लगे सिमलवाड़ी नगड़ाटोला गांव में जारी कटाव निरोधी निर्माण कार्य को लेकर लोगों में भारी असंतोष व्याप्त है। स्थानीय ग्रामीण मो. फिरोज का आरोप है कि गांव से लगी कनकई नदी से होने वाले कटाव से बचाव के लिए जलसंसाधन विभाग द्वारा चलाई जा रही कटावरोधी कार्य योजना के निर्माण में गुणवत्ता मानकों को ताक पर रखकर घटिया स्तर का निर्माण किया किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि रोजाना हो रही बारिश से नदी का परमान और कनकई नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते कटाव तेज हो सकती है। इसे लेकर गांव के सभी लोग सहमे हुए हैं।
बालू की जगह भरा जा रहा है मिट्टी
योजना में लगाये जा रहा समाग्री घटिया क्वालिटी का है और सस्ती प्लास्टिक की बोरियों में बालू की जगह मिट्टी भरकर कटावरोधी कार्य किया जा रहा है। जबकि कटाव रोधी कार्यों के लिए विशेष प्रकार के जिओ बैग में बालू डालने का विभागीय निर्देश है। कटाव स्थल में जगह- जगह दिए जाने वाले मजबूत खंभाे की जगह कमजोर बांस का टुकड़ा दिया जा रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि कटाव से सुरक्षा को लेकर होने वाले कार्य में पार्को पाइलिंग व मजबूत बांस के सहारे बालू से भरे जीओ बैग का प्रयोग किया जाना है। पार्को पाइलिंग कार्य में जिस सीमेंट और कंक्रीट के पिलर का प्रयोग कटाव निरोधी कार्य में लाया जाता है। इस पिलर को 3- 4 फीट नदी में गाड़ा जाना है। ऐसा करने से कटाव पूरी तरह से रूक जाती है। इससे बहाव की दिशा में भी बदलाव आता है। वहीं बालू से भरे जीओ बैग को 62 एमएम के बांस से चार फीट तक गाड़ कर सहारा दिया जाता है। मगर यहां कटाव निरोधक कार्य में जिस प्रकार बम्बू पाइलिंग की गई है उसमें काफी गैप है।
क्या बोले अभियंता
पार्कोपाइल के कार्य में सतह से 50 मीटर की दूरी होनी चाहिए थी, मगर जिस प्रकार पार्कोपाइल का निर्माण किया जा रहा है, इससे बाढ़ के पानी का दबाब बढ़ने से दर्जनों गांव कटाव की चपेट में आ जाएंगे। ग्रामीणों का आरोप है कि योजना मेंं लगे ठिकेदार कटावरोधी कार्य के नाम पर महज खानापूर्ति करने में लगे हैं। जिससे कटाव निरोधी कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है।दैनिक भास्कर से बात करते हुए जल संसाधन विभाग के अभियंता अभिषेक कुमार ने कहा कि ग्रामीणों की ओर से ऐसी शिकायत आई है। तत्काल प्रभाव से स्थल निरीक्षण कर निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच की जाएगी। आरोंप सही निकले तो संबंधित ठेकेदार और फील्ड अभियंता पर कार्रवाई की जाएगी।
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