शिक्षा मंत्री और IAS केके पाठक पहुंचे सीएम हाउस, विवादित बयानों के लिए चर्चित मंत्री ने यह कहा
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क:
बिहार के विवादित शिक्षा मंत्री और विवादों के कारण सुर्खियों में रहने वाले IAS केके पाठक की लड़ाई सरकार के मुखिया तक पहुंच चुकी है। लालू ने दिल्ली जाने से पहले मंत्री को शिक्षा दी, अब नीतीश ने कड़े अंदाज में बैठक बुलाई है।
राम और रामचरितमानस पर विवादित बयान देने के कारण चर्चा में रहे बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर का विवादित बोल के लिए चर्चित रहे IAS केके पाठक से विवाद इतना गहरा गया है कि दोनों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को अणे मार्ग स्थित सीएम आवास पर बुलाया। विवाद के समाधान की ताजा हालत यह है कि शिक्षा मंत्री ने सीएम आवास से निकलने के बाद कहा कि शिक्षा विभाग से संबंधित मुद्दों पर मुख्यमंत्री ने बात की। उनसे जब पूछा गया कि केके पाठक भी आए थे तो उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता।
पाठक पर सवाल पर अटपटा जवाब देकर निकले
शिक्षा मंत्री से जब मुख्यमंत्री आवास से निकलते समय पूछा गया कि अपर मुख्य सचिव से चल रहे विवाद पर क्या बात हुई तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से इस संबंध में कोई बात नहीं हुई है। इस तरह से बुलाए जाने की वजह पूछने पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि विभाग की प्रगति के बारे में मैं मिलने के लिए आया था। पाठक से विवाद के मुद्दे पर उन्होंने कहा- “जिस विषय में आप लोग कहना चाह रहे हैं, उसे मुख्यमंत्री देख रहे हैं। समीक्षा कर रहे हैं। जो उचित कदम होगा, वह उठाएंगे। केके पाठक की अंदर मौजूदगी के सवाल का जवाब उन्होंने बेहद उलटे तरीके से दिया। कहा- “आप लोग को मालूम होगा, मुझे मालूम नहीं। जिनके बारे में आप कह रहे हैं, उनको मैंने वहां नहीं देखा।”
जानिए, कहां से शुरू हुआ था विवाद
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वसनीय IAS अधिकारी केके पाठक और तेजस्वी यादव के चर्चित शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने। शिक्षा मंत्री ने 23 दिन पहले अपने विभाग में बतौर अपर मुख्य सचिव ट्रांसफर होकर आए सीनियर IAS केके पाठक को कई लाइनों में सीख दी थी। इसमें एक लाइन यह भी साफ था- “ध्यान रखें कि विभाग के अफसर नायक मूवी का हीरो या रॉबिनहुड वाली छवि बनान का प्रयास न करें।” इसके बाद सीनियर IAS केके पाठक ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने पीत पत्र के जवाब में आप्त सचिव को पत्र लिखा है। उन्होंने इस पत्र के जरिए आप्त सचिव की कार्यशैली पर सवाल उठाया था। पत्र के माध्यम से उन्होंने आप्त सचिव को कड़ी फटकार लगाई और नसीहत भी दी।
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