लास्ट ऑप्शन होता है लाठीचार्ज, जानिए कब और किसके आदेश पर पुलिस कर सकती है बल का प्रयोग
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क:
पटना: बिहार बीजेपी ने गुरुवार को कई मुद्दों को लेकर पटना में विधानसभा मार्च निकाला। गांधी मैदान से निकला यह मार्च जैसे ही डाक बंगला पहुंचा, पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्च में घायल बीजेपी के एक नेता की मृत्यु हो गई। मृतक नेता की पहचान जहानाबाद जिले के महामंत्री विजय कुमार सिंह के रूप में हुई। बताया जा रहा है कि प्रदर्शन को काबू करने के लिए पटना पुलिस ने बल का प्रयोग किया और लाठी भांजी। ऐसे में ये जानन जरूरी है कि हमारा संविधान पुलिस को किन-किन परिस्थितियों में बल प्रयोग करने की इजाजत देता है।
शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की अनुमति
भारतीय संविधान में देश के प्रत्येक नागरिक को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई है। संविधान के अनुच्छेड 19 (1) (ब) के अनुसार, देश के सभी नागरिक, राजनीतिक पार्टियों को एक जगह एकत्रित हो कर विरोध जताने का अधिकार है। हालांकि विरोध जताने के दौरान प्रदर्शनकारियों के हाथ में किसी तरह का कोई हथियार नहीं होने चाहिए। वहीं, CRPC-1973 और IPC-1860 और पुलिस अधिनियम-1861 के तहत किसी आंदोलन, विरोध प्रदर्शन और गैर कानूनी सभाओं को संभालने का अधिकार पुलिस को दिए गए हैं।
तितर-बितर करने के लिए बल का प्रयोग
सीआरपीसी ( Code of Criminal Procedure ) की धारा-129 और 130 में पुलिस को कई अधिकार दिए गए है। इसके अनुसार, प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए किस तरह का बल का प्रयोग किया जाए, इसके बारे में जानकरी दी गई है। वहीं धारा-129 के अनुसार, कार्यकारी मजिस्ट्रेट या जिस क्षेत्र में प्रदर्शन हो रहा है, वहां का थाना प्रभारी प्रदर्शन को तितर-बितर करने का आदेश दे सकता है, जिससे शांति बिगड़ने या हिंसा फैलने की आशंका हो।
गिरफ्तार भी कर सकती है पुलिस
धारा-129 में यह भी कहा गया है कि अगर जरूरत पड़े तो पुलिस प्रदर्शन में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर सकती है। इसके अलावे कानून के अनुसार सजा भी दे सकती है। वहीं, धारा 130 में यह भी बताया गया है कि तितर-बितर करने के लिए पुलिस द्वारा किस तरह के बल का प्रयोग किया जा सकता है। इसके बताया गया है कि पुलिस को इस बात का ध्यान रखना है कि वह प्रदर्शनकारियों पर उतने ही बल का प्रयोग करें, जिससे उन्हें हटाया जा सके। गिरफ्तार किया जा सके। धारा-130 में कम से कम बल का प्रयोग करने की बात विशेष रूप से की गई है।
गैरकानूनी प्रदर्शन किसे कहते हैं?
अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि गैरकानूनी प्रदर्शन किसे कहते हैं? अगर कोई गैर कानूनी प्रदर्शन करता है तो उनके खिलाफ क्या-क्या कार्रवाई हो सकती है। आईपीसी की धारा 141 में इसके बारे में विस्तृत जानकरी दी गई। धारा 141 के अनुसार, पांच या पांच से अधिक लोग संसद या विधानसभा का घेराव करते हैं। सरकारी अधिकारी को काम नहीं करने देते हैं या सभी मिलकर गैरकानूनी काम करते हैं, तो इसे गैरकानूनी प्रदर्शन कहा जाएगा। वहीं, आईपीसी धारा-146 में कहा गया है कि गैरकानूनी तरीके से इक्ट्ठा हुए लोगों द्वारा अगर हिंसा की जाएगी तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पंजाब हाईकोर्ट ने दिया था बड़ा फैसला
1979 में पंजाब हाईकोर्ट में भीड़ पर पुलिसिया कार्रवाई को लेकर एक मामला आया था। उस वक्त हाईकोर्ट में अपने फैसले में कहा था कि पुलिस को किसी भीड़ या प्रदर्शन पर बल प्रयोग करने के लिए तीन शर्तें पूरी करनी जरूरी होगी।
प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन गैरकानूनी
, हिंसा फैलाना और सामाजिक शांति खत्म करना हो
कार्यकारी मजिस्ट्रेट से भीड़ को तीतर-बितर करने की इजाजत लेनी होगी।अगर बार-बार अपील करने के बाद भी भीड़ नहीं हटती है तो उस पर हल्के बल का प्रयोग कर सकती है।
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