क्या मधुमेह मेलिटस और तपेदिक के कारण कई जन ग्रस्त है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत लंबे समय से दो गंभीर महामारियों- मधुमेह मेलिटस और तपेदिक (Tuberculosis) के कारण उत्पन्न समस्याओं से ग्रस्त है, हालाँकि ये दोनों रोग आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं लेकिन इस बारे में काफी कम  लोगों को जानकारी होती है।

  • वर्तमान में भारत में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 74.2 मिलियन है, जबकि प्रत्येक वर्ष लगभग 2.6 मिलियन भारतीय तपेदिक से पीड़ित होते हैं।

मधुमेह मेलिटस और तपेदिक के बीच अंतर्संबंध:

  • श्वसन संबंधी संक्रमण विकसित होने का जोखिम:
    • मधुमेह मेलिटस के कारण श्वसन संबंधी संक्रमण विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। यह एक प्रमुख जोखिम कारक है जिस कारण टीबी के मामले और इसकी गंभीरता में वृद्धि होती है।
    • वर्ष 2012 में चेन्नई के तपेदिक संस्थानों में किये गए अध्ययन में तपेदिक रोगियों में मधुमेह मेलिटस की व्यापकता 25.3% पाई गई थी, जबकि इनमें से 24.5% पीड़ित प्री-डायबिटिक थे।
  • मधुमेह मेलिटस का तपेदिक पर प्रभाव:
    • मधुमेह मेलिटस के कारण न केवल तपेदिक होने का खतरा बढ़ जाता है बल्कि यह तपेदिक से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार की गति को भी बाधित करता है जिसके कारण शरीर से तपेदिक के बैक्टीरिया को खत्म करने काफी अधिक समय लग सकता है।
    • मधुमेह मेलिटस में खराब कोशिका-मध्यस्थ प्रतिरक्षा तपेदिक सहित संक्रमणों से लड़ने की शरीर की क्षमता को प्रभावित करती है।
  • रक्षा तंत्र पर प्रभाव:
    • अनियंत्रित मधुमेह मेलिटस फेफड़ों में रक्षा तंत्र को प्रभावित करता है , जिससे व्यक्ति तपेदिक संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
    • इसके अतिरिक्त फेफड़ों में छोटी रक्त वाहिकाओं के परिवर्तित कार्य और खराब पोषण स्थिति, जो मधुमेह मेलिटस में आम है, एक ऐसा वातावरण बनाते हैं जो तपेदिक बैक्टीरिया के आक्रमण को बढ़ावा देते हैं
  • प्रतिकूल तपेदिक उपचार परिणामों की संभावना:
    • मधुमेह मेलिटस से प्रतिकूल तपेदिक उपचार परिणामों की संभावना बढ़ जाती है, जैसे कि उपचार विफलता, पुनरावृत्ति/पुन: संक्रमण और यहाँ तक कि मृत्यु भी।
    • रोगियों में तपेदिक और मधुमेह मेलिटस का सह-अस्तित्व तपेदिक के लक्षणों, रेडियोलॉजिकल निष्कर्षों, उपचार, अंतिम परिणामों तथा पूर्वानुमान को भी संशोधित कर सकता है।
    • मधुमेह मेलिटस और तपेदिक का दोहरा बोझ न केवल व्यक्तियों के स्वास्थ्य और अस्तित्व को प्रभावित करता है, बल्कि स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, परिवारों एवं समुदायों पर भी अत्यधिक बोझ डालता है।

मधुमेह मेलिटस और तपेदिक से निपटने के उपाय:

  • तपेदिक और मधुमेह मेलिटस रोगियों की व्यक्तिगत देखभाल सुनिश्चित करना, उपचारों को एकीकृत करने के साथ ही सहवर्ती बीमारियों का प्रभावी ढंग से समाधान करना।
  • तपेदिक के उपचार के परिणामों को बढ़ाने के लिये रोगी की जानकारी, सहायता और पोषण में सुधार करना।
  • TB तथा DM के लिये स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों को मज़बूत करने के साथ लचीली और एकीकृत स्वास्थ्य प्रणालियों का निर्माण करना। इसमें साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिये अनुसंधान का उपयोग करना भी शामिल है।

मधुमेह मेलिटस (DM):    

  • परिचय:
    • DM एक विकार है जिसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या सामान्य रूप से उत्पादित इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं करता है, जिससे रक्त शर्करा (ग्लूकोज़) का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है।
    • इस विकार को मधुमेह इन्सिपिडस से अलग करने के लिये केवल मधुमेह के स्थान पर प्राय: मधुमेह मेलिटस नाम का उपयोग किया जाता है।
      • मधुमेह इन्सिपिडस एक अपेक्षाकृत दुर्लभ विकार है जो रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन मधुमेह मेलिटस की तरह मूत्र त्याग में वृद्धि का कारण बनता है।
    • जबकि 70–110 mg/dL उपवास रक्त ग्लूकोज़ को सामान्य माना जाता है, 100 से 125 mg/dL के बीच रक्त ग्लूकोज़ स्तर को प्री-डायबिटीज़ माना जाता है तथा 126 mg/dL या इससे अधिक को मधुमेह के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • प्रकार:
    • टाइप 1 मधुमेह:
      •  शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय की इंसुलिन-उत्पादक कोशिकाओं पर आक्रमण करने के साथ उनमें से 90% से अधिक को स्थायी रूप से नष्ट कर देती है।
      • परिणामस्वरूप अग्न्याशय बहुत कम या बिल्कुल भी इंसुलिन उत्पन्न नहीं करता है।
      • सभी लोगों में से केवल 5 से 10% ही टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित है। जिन लोगों को टाइप 1 मधुमेह है उनमें से अधिकांश लोगों में यह बीमारी 30 वर्ष की आयु से पहले ही विकसित हो जाती है, हालाँकि जीवन में यह बाद के वर्षों में भी विकसित हो सकती है।
    •  टाइप 2 मधुमेह:
      • विशेष रूप से बीमारी की शुरुआत में अग्न्याशय अक्सर इंसुलिन का उत्पादन (कभी-कभी सामान्य से अधिक मात्रा में भी) जारी रखता है।
      • हालाँकि शरीर इंसुलिन के प्रभावों के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेता है इसलिये शरीर की ज़रूरतों को पूरा करने हेतु पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं होता है। जैसे-जैसे टाइप 2 मधुमेह बढ़ता जाता है, अग्न्याशय की इंसुलिन उत्पादन क्षमता कम होती जाती है।
        • टाइप 2 मधुमेह एक समय बच्चों एवं किशोरों में दुर्लभ था लेकिन अब आम हो गया है। हालाँकि यह सामान्यतः 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होता है तथा उम्र के साथ उत्तरोत्तर अधिक सामान्य होता जाता है।
        • 65 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 26% लोगों को टाइप 2 मधुमेह है।

तपेदिक (TB): 

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