राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक से क्या तात्पर्य है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
नीति आयोग ने “राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: प्रगति समीक्षा 2023″ रिपोर्ट जारी की है जिसमें दावा किया गया है कि भारत में बड़ी संख्या में लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आ गए हैं।
राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक:
- यह रिपोर्ट नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (वर्ष 2019-21) के आधार पर तैयार की गई है तथा राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) का दूसरा संस्करण है।
- MPI का पहला संस्करण वर्ष 2021 में जारी किया गया था।
- MPI अपने कई आयामों में गरीबी को मापने का प्रयास करता है तथा प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय के आधार पर मौजूदा गरीबी के आँकड़ों का पूरक है।
- इसके तीन समान महत्त्व वाले आयाम हैं- स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर।
- इन तीन आयामों को पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, विद्युत, आवास, संपत्ति और बैंक खाते जैसे 12 संकेतकों द्वारा दर्शाया जाता है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- बहुआयामी गरीबी में कमी:
- वर्ष 2015-16 और वर्ष 2019-21 के बीच भारत में बहुआयामी गरीब व्यक्तियों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई।
- इस अवधि में लगभग 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले।
- गरीबी प्रतिशत में गिरावट:
- बहुआयामी गरीबी में जीने वाली भारत की जनसंख्या वर्ष 2015-16 के 24.85% से घटकर वर्ष 2019-21 में 14.96% हो गई, यह 9.89% अंकों की गिरावट दर्शाती है।
- ग्रामीण-शहरी विभाजन:
- भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में सबसे तेज़ गिरावट देखी गई है, वर्ष 2015-16 और 2019-21 के बीच गरीबी दर 32.59% से गिरकर 19.28% हो गई।
- इसी अवधि में शहरी क्षेत्रों में गरीबी दर 8.65% से घटकर 5.27% हो गई।
- राज्य स्तरीय प्रगति:
- MPI गरीबों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश में गरीब व्यक्तियों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, जहाँ 3.43 करोड़ (34.3 मिलियन) लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए।
- बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिसा और राजस्थान राज्यों में भी बहुआयामी गरीबी को कम करने में महत्त्वपूर्ण प्रगति देखी गई।
- बिहार में पूर्ण रूप से MPI मूल्य में सबसे तेज़ गिरावट (वर्ष 2019-21 में बहुआयामी गरीबों की 51.89% से घटकर 33.76%) देखी गई, इसके बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश का स्थान है।
- SDG लक्ष्य:
- भारत के लिये MPI मूल्य वर्ष 2015-16 और वर्ष 2019-21 के बीच 0.117 से लगभग आधा होकर 0.066 हो गया है।
- गरीबी की तीव्रता 47% से घटकर 44% हो गई है, जो दर्शाता है कि भारत वर्ष 2030 की निर्धारित समयसीमा से पहले SDG (सतत विकास लक्ष्य) लक्ष्य 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम-से-कम आधा करना) हासिल करने की राह पर है।
- संकेतकों में सुधार:
- बहुआयामी गरीबी को मापने के लिये उपयोग किये जाने वाले सभी 12 संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया।
- स्वच्छ भारत मिशन (SBM) और जल जीवन मिशन (JJM) का प्रभाव स्वच्छता में तेज़ी से 21.8% अंकों के सुधार से स्पष्ट है।
- पोषण अभियान एवं एनीमिया मुक्त भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अभावों को कम करने में योगदान दिया है।
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) में सब्सिडी के माध्यम से खाना पकाने के ईंधन के प्रावधान ने जीवन को सकारात्मक रूप से बदल दिया है, खाना पकाने के ईंधन की कमी में 14.6% का सुधार देखा गया।
अभावों को कम करने एवं नागरिकों के कल्याण में सुधार के लिये सरकारी पहल:
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM)
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 (MNREGA)
- प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G)
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS)
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)
- जल जीवन मिशन (JJM)
- स्वच्छ भारत मिशन (SBM)
- प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य)
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)
- यह भी पढ़े……………….
- BIMSTEC:क्षेत्रीय सहयोग के लिये बिम्सटेक का क्या महत्व है?
- Indo-France रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगाँठ:क्या पाया?
- अप्रूवल वोटिंग के लाभ और चुनौतियाँ क्या है?
- संसद के मानसून सत्र के लिए हुई सर्वदलीय बैठक