कब-कब बदला गया देश का नाम,और क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
प्राचीनकाल से भारतभूमि के अलग-अलग नाम रहे हैं मसलन जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी पार्टियों ने अभी से कमर कस ली है। मोदी विरोधी गुट ने जहां एकजुट होकर विपक्ष का एक बड़ा 26 पार्टियों का गठबंधन बनाया तो वहीं भाजपा ने एनडीए को 38 दलों के साथ मजबूत करने का काम किया।इस बीच कांग्रेस, एनसीपी, आम आदमी पार्टी समेत कई पार्टियों के विपक्षी गुट ने इस गठबंधन को नया नाम दिया है। नाम ऐसा जो चर्चा का विषय बन गया।
दरअसल, विपक्षी पार्टियों के नए गठबंधन को इंडिया नाम दिया गया है। इस नाम को राजनीतिक विशलेषक एक बड़ा दांव मान रहे हैं, क्योंकि हमारे देश का नाम होने के चलते भाजपा के लिए इसका विरोध करना मुश्किल होगा।
इस बीच एक सवाल ये भी उठने लगा कि आखिर देश का नाम इंडिया कब और कैसे पड़ा। साथ ही अलग-अलग नामों से क्यों जाना जाता है और क्या है इसके पीछे की कहानी, आइए जानें…
इन नामों से भी जाना जाता था देश
- भारत
- हिन्दुस्तान
- इंडिया
- आर्यावर्त
- जम्बूदीप
- हिमखण्ड
- भरतखण्ड
- देश का नाम भारत कैसे पड़ा
देश का नाम पहले के जमाने में भारतवंश था, जिसे अब भारत कहा जाता है। दरअसल, कुछ लोगों का मानना है कि भारत का नाम भरत राजवंश पर पड़ा था। महाराजा दुष्यंत और रानी शकुंतला के बेटे राजा भरत को भारत का पहला राजा माना जाता था।
हिन्दुस्तान के नाम का इतिहास
भारत के बाद देश का नाम हिन्दुस्तान पड़ा। इस नाम के पीछे भी एक बड़ी रौचक कहानी है। दरअसल, तुर्की और ईरान के लोग जब भारत में दाखिल हुए तो उन्होंने सिंधु घाटी से प्रवेश किया था। ये लोग स को ह बोला करते थे, इसलिए उन्होंने सिंधु को हिंदू कहना शुरू कर दिया और यहीं से हिंदुओं के देश को हिंदुस्तान कहना शुरू हो गया।
INDIA कैसे पड़ा देश का नाम
हिन्दुस्तान क बाद देश का नाम इंडिया रखा गया। इसका कारण यह था कि जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी बनाई। इसके बाद जब अंग्रेजों ने धीरे-धीरे शासन करना शुरू किया उन्हें हिंदुस्तान बोलने में दिक्कत आती थी, इसलिए उन्होंने सिंधु घाटी से ही एक और नाम निकाला।
सिंधु घाटी को इंडस वैली भी कहा जाता है और इंडस को लैटिन में इंडिया कहते हैं। यहीं से भारत का नाम इंडिया पड़ा और दुनिया में इस नाम को खूब प्रसिद्धि मिली।
ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना
बता दें कि ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 400 साल पहले 1600 में हुई थी। जानकारी के अनुसार, विलियम हॉकिन्स 1608 में ईस्ट इंडिया के जहाज लेकर भारत आए थे और उन्होंने गद्दे और रजाई के काम के लिए इसकी शुरुआत की। साल 1613 में मुगल बादशाह जहांगीर की इजाजत से ईस्ट इंडिया कंपनी ने सूरत में पहला कारखाना लगाया।
बता दें कि कंपनी एक व्यापारिक कंपनी थी, लेकिन उसके पास ढाई लाख सैनिकों की एक फौज थी। जब भी कंपनी को व्यापार से फायदा नहीं होता, वो उस जगह सेना की मदद से उसे संभव बना देती। इसी रणनीति के तहत कंपनी की सेना ने केवल सालों में ही भारत की आधी धरती पर कब्जा कर लिया था।
सबसे पुराना नाम था आर्यवर्त
देश का सबसे पुराना नाम आर्यवर्त था। इतिहासकारों का मानना है कि आर्यों से पहले यहां इंसान नहीं रहते थे और आर्यों ने ही उनको बसाया, जिसके बाद इसे आर्यवर्त नाम दे दिया गया।
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