बाबा की नगरी काशी में हो रहा है मंदिरों का महाकुंभ
32 देशों के 350 मंदिरों के मुख्य प्रबंधक लेंगे भाग
मोहन भागवत बोले- देश और संस्कृति के लिए त्याग करें
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्वच्छ भारत अभियान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि इसका मंदिरों पर भी बहुत प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता मंदिर प्रबंधन का अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि मंदिर पवित्रता के प्रतीक हैं।
मोहन भागवत ने यहां रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मंदिर सम्मेलन एवं एक्सपो-2023 का उद्घाटन करने के बाद कहा “मंदिर प्रबंधन का एक बड़ा और अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू स्वच्छता है क्योंकि मंदिर पवित्रता के प्रतीक हैं।” उन्होंने कहा ”निश्चित रूप से, प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान का मंदिरों पर भी बहुत प्रभाव पड़ा है, हालांकि अंतरराष्ट्रीय मंदिर सम्मेलन के साथ हम इसे दुनिया के हर छोटे या बड़े मंदिर में गहरे स्तर पर हासिल करना चाहते हैं।” कार्यक्रम के आयोजक गिरीश कुलकर्णी ने बताया कि इस कार्यक्रम में 32 देशों और भारत के 350 मंदिरों के मुख्य कार्यकारी (सीईओ) और प्रबंधन से जुड़े प्रमुख भाग लेंगे।
उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय (22-24 जुलाई) सम्मेलन में कुल 16 सत्र होंगे, जिनमें सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, सुरक्षा, फण्ड मैनेजमेंट, निगरानी, मेडिकल पहल तथा लंगर जैसे विभिन्न विषयों पर व्याख्यान होंगे। भागवत ने उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “हमें मंदिर सेवा की विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की जरूरत है, जिसके लिए मंदिर पारिस्थितिकी तंत्र पर शिक्षा और जागरूकता महत्वपूर्ण है। इसके मद्देनजर, हमें मंदिर प्रबंधन के हर पहलू को मजबूत करने की जरूरत है, चाहे वह स्वच्छता हो, सेवा हो या बुनियादी ढांचा…।”
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने आयोजन के लिए काशी को चुनने के फैसले की सराहना की। उन्होंने इसके महत्व और भारतीय आध्यात्मिकता और संस्कृति की चर्चा की। चौबे ने कहा कि “हमारी भारतीय संस्कृति सबसे पुरानी संस्कृति में से एक है और हमारे मंदिर केवल पूजा स्थल तक ही सीमित नहीं हैं, वे शैक्षिक, औषधीय और स्वास्थ्य के साथ-साथ कई अन्य मानवीय कारणों के लिए काम करते हैं। इसके अलावा, तीर्थ और मंदिर समग्र पर्यटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंदिर सम्मेलन के अध्यक्ष और महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य प्रसाद लाड ने कहा, “भारत में मंदिरों का इतिहास 5000 साल से अधिक पुराना है और हमारा धर्म इन वर्षों में मजबूत रहा है।” उन्होंने कहा, “मंदिर में आने वाला हर भक्त एक इच्छा लेकर आता है, एक ऐसी इच्छा जो हमेशा सकारात्मक होती है। मंदिर में कोई भी बुरा नहीं चाहता है। वे सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आते हैं।” लाड ने कहा कि यह सम्मेलन भारत भर के मंदिरों को जोड़ने के साथ-साथ धर्म और समाज को जोड़ने का प्रयास है।
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