भारत में सौर ऊर्जा का विकास और इससे संबंधित चुनौतियाँ क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के साथ साझेदारी में वर्ष 2023 में भारत की G20 अध्यक्षता के अंतर्गत विकसित ‘सार्वभौमिक ऊर्जा पहुँच के लिये सौर ऊर्जा के रोडमैप’ पर रिपोर्ट का अनावरण किया, जिसमें दर्शाया गया है कि कैसे सौर ऊर्जा वैश्विक स्तर पर विद्युत तक पहुँच प्राप्त करने और सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

  • गोवा में आयोजित G20 ऊर्जा रूपांतरण कार्य समूह (Energy Transition Working Group) की चौथी बैठक के दौरान रोडमैप का अनावरण किया गया। यह वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक ऊर्जा पहुँच प्राप्त करने पर केंद्रित है और टिकाऊ ऊर्जा समाधान में सौर मिनी ग्रिड की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • रोडमैप वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक ऊर्जा पहुँच प्राप्त करने के लिये एक प्रमुख समाधान के रूप में सौर ऊर्जा पर ज़ोर देता है।
  • यह गैर-विद्युतीकृत आबादी के लगभग 59% (396 मिलियन लोगों) की पहचान करता है जो सौर-आधारित मिनी-ग्रिड के माध्यम से विद्युतीकरण के लिये सबसे उपयुक्त हैं।
  • लगभग 30% गैर-विद्युतीकृत आबादी (203 मिलियन लोग) को ग्रिड विस्तार के माध्यम से विद्युतीकृत किया जा सकता है और शेष 11% गैर-विद्युतीकृत आबादी (77 मिलियन लोग) को विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा समाधान के माध्यम से विद्युतीकृत किया जा सकता है।
  • सौर-आधारित मिनी-ग्रिड, सौर-आधारित विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा समाधान और ग्रिड विस्तार के बीच वितरित विद्युतीकरण लक्ष्यों को पूरा करने के लिये लगभग 192 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कुल निवेश की आवश्यकता है।
  • मिनी-ग्रिड परिनियोजन का समर्थन करने के लिये लगभग 50% (48.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की व्यवहार्यता अंतर-निधि की आवश्यकता है।
  • रोडमैप सौर ऊर्जा समाधानों के सफल और टिकाऊ विस्तार के लिये नीतियों, विनियमों और वित्तीय जोखिमों से संबंधित चुनौतियों के समाधान के महत्त्व को रेखांकित करता है।
  • यह विद्युतीकरण पहल को आगे बढ़ाने के लिये ऊर्जा पहुँच की कमी वाले क्षेत्रों में तकनीकी और वित्तीय विशेषज्ञता, कौशल विकास एवं जागरूकता सृजन की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
  • रिपोर्ट सार्वभौमिक ऊर्जा पहुँच में तेज़ी लाने के लिये बढ़े हुए निवेश, पारिस्थितिकी तंत्र विकास और इष्टतम संसाधन उपयोग की वकालत करती है
  • दूरस्थ और अविकसित क्षेत्रों में ऊर्जा पहुँच बढ़ाने के एक तरीके के रूप में विद्युतीकरण पहल के साथ सौर PV-आधारित खाना पकाने के समाधानों के एकीकरण पर ज़ोर दिया गया है।

सौर मिनी ग्रिड: 

  • परिचय: 
    • सौर मिनी-ग्रिड छोटे पैमाने पर विद्युत उत्पादन और वितरण प्रणालियाँ हैं जो विद्युत उत्पन्न करने तथा इसे बैटरी में संग्रहीत करने के लिये सौर फोटोवोल्टिक (PV) तकनीक का उपयोग करती हैं।
    • वे आमतौर पर उन समुदायों या क्षेत्रों को विद्युत प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किये गए हैं जिन्हें या तो मुख्य पावर ग्रिड से कनेक्ट करने की आवश्यकता होती है या बार-बार विद्युत कटौती का अनुभव होता है।
  • महत्त्व:
    • वैश्विक आबादी के लगभग 9% के पास अभी भी विद्युत तक पहुँच नहीं है, उप-सहारा अफ्रीका और ग्रामीण क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हैं।
      • सौर मिनी ग्रिड इन समुदायों को विश्वसनीय और किफायती विद्युत प्रदान करके इस चुनौती से निपटने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
    • इसके अलावा वैश्विक स्तर पर 1.9 बिलियन से अधिक लोगों के पास स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुँच नहीं है और सौर मिनी-ग्रिड भी इलेक्ट्रिक स्टोव या अन्य खाना पकाने के उपकरणों को विद्युत प्रदान कर सकते हैं।
  • सौर मिनी ग्रिड के लाभ:
    • विश्वसनीयता: सौर ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण प्रणालियों की सहायता से विद्युत का एक विश्वसनीय स्रोत प्रदान करती है जो प्राकृतिक आपदाओं या विद्युत कटौती के दौरान भी लचीला बना रहता है।
    • वहनीयता: सौर ऊर्जा एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करता है।
    • मापनीयता: सौर मिनी ग्रिड को समुदाय की ऊर्जा मांग के आधार पर ऊपर या नीचे बढ़ाया जा सकता है, जिससे वे ऊर्जा पहुँच के लिये एक लचीला विकल्प बन जाते हैं।
  • सौर मिनी-ग्रिड सामर्थ्य:
    • दूरदराज़ के क्षेत्रों या द्वीपों में सौर ऊर्जा डीज़ल जनरेटर का एक लागत प्रभावी विकल्प है, जहाँ महँगे ईंधन परिवहन के कारण विद्युत की लागत 36 रुपए प्रति यूनिट तक हो सकती है।
      • सौर ऊर्जा का उपयोग इन क्षेत्रों में विद्युत के खर्च को कम करने के लिये एक स्थायी और आर्थिक रूप से व्यवहार्य समाधान प्रदान करता है।
    • विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा की तैनाती को फीड-इन टैरिफ और ग्रिड-कनेक्टेड क्षमता के लिये टैरिफ पुनर्गठन के माध्यम से समर्थित किया जाता है।
    • बड़े पैमाने पर खरीद के साथ बैटरी की लागत में अपेक्षित कमी से सौर मिनी-ग्रिड के विकास को और बढ़ावा मिलेगा।

सार्वभौमिक ऊर्जा पहुँच के लिये सौर ऊर्जा की परिनियोजन चुनौतियाँ:

  • ऐसी सक्षम नीतियों एवं विनियमों का अभाव जो सार्वभौमिक ऊर्जा पहुँच के लिये सौर ऊर्जा की तैनाती का समर्थन कर सकें।
  • निरंतर आपूर्ति के लिये उपकरण निर्माण, ऑन-ग्राउंड निष्पादन तथा रखरखाव में चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है।
  • सौर पैनलों पर धूल जमा होने से एक महीने में उनका उत्पादन 30 प्रतिशत तक कम हो जाता है, जिससे नियमित सफाई की आवश्यकता होती है।
    • जल रहित सफाई तकनीकें श्रम-गहन हैं और सतहों को खरोंचती हैं, लेकिन वर्तमान जल-आधारित सफाई तकनीकें वार्षिक लगभग 10 बिलियन गैलन जल का उपयोग करती हैं।
  • विकासशील देशों में उच्च वित्तीय जोखिमों के परिणामस्वरूप उपभोक्ता सामर्थ्य और आपूर्तिकर्त्ता व्यवहार्यता के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है।
  • सौर मिनी ग्रिड को लागू करने के साथ उनको बनाए रखने के लिये अधिक तकनीकी और वित्तीय विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA): 

  • परिचय:
    • संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान वर्ष 2015 में भारत और फ्राँँस द्वारा सह-स्थापित ISA सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की बढ़ती तैनाती के लिये एक कार्य-उन्मुख, सदस्य-संचालित, सहयोगी मंच है।
    • इसका मूल उद्देश्य अपने सदस्य देशों में ऊर्जा पहुँच को सुविधाजनक बनाना, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा देना है।
    • ISA, वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG) को लागू करने के लिये नोडल एजेंसी है, जो एक क्षेत्र में उत्पन्न सौर ऊर्जा को दूसरों की विद्युत मांगों को पूरा करने के लिये स्थानांतरित करना चाहता है।
  • मुख्यालय:
    • इसका मुख्यालय भारत में है तथा इसका अंतरिम सचिवालय गुरूग्राम में स्थापित किया गया है।
  • सदस्य राष्ट्र:
    • कुल 109 देशों ने ISA फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, साथ ही 90 देशों ने इसकी पुष्टि की है।
    • संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राज्य ISA में शामिल होने के पात्र हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा:
    •  संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) को पर्यवेक्षक का दर्जा प्रदान किया है।
    • यह गठबंधन और संयुक्त राष्ट्र के बीच नियमित एवं स्पष्ट रूप से परिभाषित सहयोग में सहायता प्रदान करेगा जिससे वैश्विक ऊर्जा वृद्धि के साथ विकास भी होगा।
  • SDG 7:
    • सतत विकास लक्ष्य 7 (SDG7) वर्ष 2030 तक “सभी के लिये सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा” का आह्वान करता है। इसके तीन मुख्य लक्ष्य वर्ष 2030 तक हमारे कार्य की नींव हैं।

भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने हेतु सरकारी योजनाएँ:

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
  • राष्ट्रीय सौर मिशन
  • किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-कुसुम)
  • एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड (OSOWOG)
  • सोलर पार्क योजना
  • रूफटॉप सौर योजना

आगे की राह

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