कथा सम्राट प्रेमचंद की याद में कवि सम्मेलन और संगोष्ठी का हुआ आयोजन
श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):
जनवादी लेखक संघ एवं जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा सीवान के संयुक्त तत्वावधान में प्रेमचंद की याद में कवि सम्मेलन सह मुशायरा एवम् संगोष्ठी का आयोजन निराला नगर सघवान में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के सभागार में आयोजित किया गया।जिसमें संक्षिप्त विषय प्रवेश कराते हुए साहित्यकार मार्कण्डेय ने कहा कि प्रेमचंद ऐसे साहित्यकार थे।
जिन्होंने आम आदमी को साहित्य में जगह दी।सिर्फ पूंजीवाद ही नहीं जमींदारों एवम सामंतवादियों के शोषण के खिलाफ खड़े रहे। उन्होंने सांप्रदायिकता पर गहरी चोट करते हुए कहा कि इसके अपने मूल रूप में आने पर शर्म आती है। इसलिए वो हमेशा संस्कृति की ओर लेकर आती है।
जलेस के उपाध्यक्ष युगल किशोर दुबे ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां सामाजिक अंतर्विरोधों को रेखांकित कर मानवीय संवेदना को स्वर देती है। बड़े घर की बेटी और ईदगाह इसके मिसाल हैं। प्रेमचंद का सपना शिक्षित समाज का था। जिसके लिए उनका माध्यम साहित्य रहा। जबकि रवींद्र सिंह अधिवक्ता ने गांधी जी, भगत सिंह एवम् प्रेमचंद को याद करते हुये कहा कि तीनों ने अपने क्षेत्र में ऊंचाइयों को छुआ।
प्रेमचंद की लेखनी ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय फलक तक पहुंचाया। आज देश की दुर्दशा का मूलकारण गांधी भगत सिंह एवम् प्रेमचंद के विचारों की उपेक्षा है। गणेश दत्त पाठक ने कहा कि प्रेमचंद के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। वही डॉ के एहतेशाम अहमद ने कर्बला कहानी की चर्चा करते हुए कहा कि प्रेमचंद को सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ने वाला महान योद्धा थे कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की 144 वी जयंती पर सीवान जिला माध्यमिक शिक्षक संघ के सभागार में शिक्षाविद डॉ गणेश दत्त पाठक ने कहा उनके विचारों कि प्रासंगिकता आज भी उतना ही है।
.उनकी कहानी पंचपरमेश्वर,नमक का दारोगा, बड़े घर की बेटी, गोदान,गबन,पूस की रात जीवन का यथार्थ और समाज का आईना हैं। सामाजिक कुरीतियां, सामाजिक विसंगतियां एवं भ्रष्टाचारियों पर जमकर प्रहार किया। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी ने जग में सच्चाई की ज्योति जलाकर हिन्दी,और उर्दू अदब को एक जैसा प्यार किया।वक्ताओं में मुख्य रूप से मुंशी सिंह , साहेब सिंह विजेता,उपेन्द्र यादव, विभूति राम ,कंहैया चौधरी, अखिलेश्वर दीक्षित ,परमा चौधरी भोगेंद्र झा, परशुराम प्रसाद, योगेंद्र सिंह ने अपने-अपने विचार प्रकट किये। जबकि द्वितीय सत्र में मुशायरा सह कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ।जिसमे कवियों ने अपने रचनाओं से सभी को भाव विभोर कर दिया।शायर नूर सुल्तानी ने कहा कि ‘वह गोते मार कर कहता है यारो
समंदर है मगर गहरा नहीं है।’वरिष्ठ शायर उस्ताद कमर सीवानी ने कहा कि-‘एक जुगनू के जगमने से चांद तारों में खलबली क्यों है।’ शायर गुलाम सरवर हाशमी ने
कहा कि- ‘दिले आशिक में कुछ कुछ शक की बीमारी होती है,
मोहब्बत करने वालों में अदाकारी भी होती है।’
रहमान सीवानी ने कहा कि-‘जुर्म साबित है जब वकालत क्या?कीजिए फैसला मरव्वत क्या?’
डॉ के एहतेशाम अहमद ने कहा कि ‘फसाना बनता जा रहा है मगर किरदार मरता जा रहा है।’ विक्रमा पंडित विवेकी ने कहा कि ‘आजादी के बाद देख लो गजब आई यह बेला सज्जन साहस छोड़ चले,दुर्जन का लगता मेला।’ इस मौकेलयाची हरि राही और डॉ इल्तेफात अमजदी आदि ने अपनी रचना पाठ की।
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