राहुल गांधी ही नहीं देश के कई नेताओं को अदालत से मिली सजा,लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की सदस्यता को बहाल कर दिया। कोर्ट ने सूरत सेशन कोर्ट द्वारा दी गई सजा पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है। कोर्ट ने आगे कहा कि अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।
कब रद्द होती है सांसद या विधायक की सदस्यता?
जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हुई हो तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है। वहीं, सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं।
सिर्फराहुल गांधी ही नहीं, देश के कई नेताओं को निचली अदालत से सजा मिलने के बाद उनकी संसद और विधानसभा सदस्यता रद्द हो चुकी है। हालांकि, कई नेताओं को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से राहत भी मिली है। आइए आज जरा उन नेताओं की बात करें, जिन्हें निचली अदालत से सजा मिलने के बाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल चुकी है।
हिमाचल हाई कोर्ट ने प्रदीप चौधरी को वापस दिलाई थी विधानसभा की सदस्यता
हिमाचल प्रदेश की बद्दी की एक अदालत ने कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी को तीन साल की सजा सुनाई थी। साल 2011 में एक युवक की मौत के बाद हिमाचल प्रदेश के बद्दी चौक पर जाम लगाने और सरकार के काम में बाधा डालने के मामले में कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई था।
सजा सुनाने के बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता चली गई। उस समय वो हरियाणा के कालका विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक थे। इसके बाद प्रदीप ने हिमाचल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट ने उनके खिलाफ निचली अदालत की सजा को रोक लगा दी।
केरल हाई कोर्ट से मिली थी मोहम्मद फैजल को राहत
लक्षद्वीप के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सांसद मोहम्मद फैजल को कवारती के सेशन कोर्ट ने हत्या की कोशिश के मामले में 10 साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट के इस फैसले के बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गई थी। हालांकि, केरल हाई कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराये जाने और सजा के फैसले को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद उनकी संसदीय सदस्यता एक बार फिर बहाल हो गई।
जब ‘आप’ के 20 विधायकों की दोबारा सदस्यता हुई बहाल
चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ का पद रखने के कारण अयोग्य करने की सिफारिश कर दी थी। दो दिन बाद तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अयोग्यता को मंजूरी दे दी थी। इस फैसले के खिलाफ आप ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट ने चुनाव आयोग द्वारा 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को ठहराए जाने के फैसले को पलट दिया और मामले को चुनाव आयोग के पास वापस भेज दिया था।
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