मेवात को लेकर ऐतिहासिक तथ्य आज भी जीवित है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
हरियाणा के विश्व हिंदू परिषद की ब्रज मंडल यात्रा के दौरान भड़की हिंसा में सैकड़ों लोग घायल हैं। कुछ मौतों की भी खबरें हैं जिसमें दो होम गार्ड के जवान शामिल हैं। हिंसा की आग गुरुग्राम के शोभना और फरिदाबाद समेत कई इलाकों में पहुंच गई है। शांति और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए, नूंह, फरीदाबाद और पलवल जिलों के अधिकार क्षेत्र में और गुरुग्राम जिले के सोहना, पटौदी और मानेसर उप-मंडलों के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दिया गया है।
मेवात को क्या कहा गया मिनी पाकिस्तान?
हरियाणा के एकलौता मुस्लिम बहुल इलाके नूंह जिसे मेवात के नाम से भी जाना जाता रहा है। इसका इतिहास बेहद ही दिलचस्प है। जिसे जानना मेवात में रह रहकर भड़क रहे संघर्ष को समझने के लिए जरूरी है। मेवात राज्य की सीमा में नहीं बंधा है। हरियाणा का नूंह भी पहले मेवात ही कहलाता था। नूंह हरियाणा का एकमात्रा मुस्लिम बहुल जिला है। जहां 80 फीसदी मुस्लिम रहते हैं। मेव या मेवोस एक मुस्लिम समुदाय है जो मेवात और उसके आसपास पाया जाता है। जिसमें हरियाणा का नूंह जिला, राजस्थान के अलवर और भरतपुर जैसे इलाके शामिल हैं।
मेव मुस्लिमों के बारे में कहा जाता है कि ये हिंदू राजपूतों के इस्लाम अपनाने के बाद बनी कौम है। मेव इस्लाम को तो मानते हैं लेकिन हिंदुओं में चलने वाली गोत्र व्यवस्था को गहराई से मानते हैं। शादी विवाह भी गोत्र के हिसाब से करते हैं। जाटों की खाप व्यवस्था की तरह मेव मुस्लिमों में पाल नाम का संगठन है।
मेवात में कुछ मुस्लिम देशों खासकर सऊदी अरब से पेट्रो डॉलर की घुसपैठ के कारण मदरसों और मस्जिदों की बाढ़ आ गई। तबलीग जमात का मेवात में जबरदस्त प्रभाव है। मेवात में महिलाओं की साक्षरता दर महज 36 फीसदी है। तबलीग जमात महिलाओं की शिक्षा को जरूरी नहीं मानता है।
नूंह में हिंसा के बाद दर्ज एफआईआर में मेव मुस्लिमों का जिक्र है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है कि इस इलाके में हिंसा को लेकर मेव मुसलमानों का नाम आया है। 1947 में आजादी के दौर में मेव मुसलमानों को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की अलग-अलग राय है। सरदार पटेल और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बीच ऐसे खत लिखे गए जिन्हें पड़कर आप हैरान रह जाएंगे।
मेव मुसलमानों को रोकने के लिए महात्मा गांधी खुद चलकर मेवात के गांव तक पहुंच गए। तब महात्मा गांधी ने कहा था कि मेव मुसलमानों को हिंदुस्तान में बसाओ और उन्हें सुधारने में मदद करो।
चिंतित होकर डॉ. राजेंद्र प्रसाद (जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने) ने 5 सितंबर 1947 को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल को पत्र में लिखा कि-
कल रात मेवों की एक बड़ी भीड़, लगभग 500, करोलबाग में निकली और सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। धीरे-धीरे सैन्य दल आ गया और वे तितर-बितर हो गये। हालाँकि, स्थिति बेहद विस्फोटक है और उस क्षेत्र के गैर-मुस्लिम, जो अल्पसंख्यक हैं, किसी हमले से बहुत आशंकित हैं। मुझे आज के समाचार पत्रों में एक रिपोर्ट मिली कि मेवों को पश्चिमी पंजाब (पाकिस्तान का पंजाब) में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है।
इसे जितनी जल्दी किया जाए, उतना अच्छा है, लेकिन जब तक यह प्रक्रिया चलती रहेगी, और इसमें समय लगने की संभावना है, यह बेहतर होगा यदि उन सभी को जामा मस्जिद के पास या हिंदू बस्तियों (इलाकों) से अलग कहीं और शिविरों में केंद्रित किया जाए और रखा जाए। अगर एक बार शहर में परेशानी शुरू हो गयी तो उसे रोकना मुश्किल हो जायेगा।
मैं जानता हूं कि स्थानीय अधिकारी बहुत सतर्क हैं, फिर भी मैंने इस तथ्य पर आपका ध्यान आकर्षित करना जरूरी समझा। (स्रोत – सलेक्टेड कॉरपॉडेंट ऑफ सरदार पटेल 1945-50, वॉल्यूम-4, पेज नं – 337)
डॉ. राजेंद्र बाबू ने मेवाती मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने और दिल्ली से दूर रखने की सलाह दी… इस पत्र के जवाब में सरदार पटेल ने लिखा –
मुझे मेव शरणार्थियों के तीन कैंपों से शहर की कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य और सफाई के प्रति गंभीर खतरे का अहसास हुआ है। हम कोशिश कर रहे हैं कि सेना के ट्रकों द्वारा इन मेव लोगों को पश्चिम पंजाब (पाकिस्तान का पंजाब) भेज दिया जाए। जामा मस्जिद मेव शरणार्थियों से भरी पड़ी है और वहां की स्थिति असंतोषजनक है। ऐसी गंदी स्थितियों के कारण शहर में वास्तव में लोगों के स्वास्थ्य को खतरा है और यहां और लोगों (मेव मुसलमानों) को लाने का अर्थ खतरे को बढ़ाना ही है। (स्रोत – सलेक्टेड कॉरपॉडेंट ऑफ सरदार पटेल 1945-50, वॉल्यूम-4, पेज नं – 338)
महात्मा गांधी मेव मुसलमानों को रोकने के लिए हरियाणा के मेवात के गांव में पहुंच गए। 19 दिसंबर 1947 को गांधी जी मेवात के झरसा गांव में एक सभा करने गए। जहां उन्होंने मेव मुसलमानों से भारत में ही रूकने का आग्रह किया। उन्होंने मेवों को देश की रीढ़ की हड्डी बताया और पाकिस्तान नहीं जाने की सलाह दी।
इसके बाद करीब 50 फीसदी मेव पाकिस्तान नहीं गए। झरसा गांव में गांधी जी ने कहा था कि मुझसे ये कहा गया है कि मेव करीब करीब जरायम पेशा यानी अपराध करके आजीविका चलाने वाली जाति की तरह हैं। अगर ये बात सही है को आप लोगों को अपने आपको सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। मुझे उम्मीद है आप मेरी इस सलाह पर नाराज नहीं होंगे।गांधी जी के आग्रह और सरकार पर बने दवाब की वजह से मेव मुसलमान पाकिस्तान नहीं गए।
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