कला के मर्मज्ञ: कमल किशोर प्रसाद।
कला से मेरा भावपूर्ण लगाव है-कमल किशोर प्रसाद
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
“साहित्य संगीत कला विहीन:
साक्षात पशु: पुच्छ विषाण हीन:।”
साहित्य संगीत और कल से विहीन मनुष्य साक्षात नाखून और सिंघ रहित पशु के समान है।
जी हां कला से ही संस्कृति का ज्ञान होता है। कला कई प्रकार के ज्ञान से हमें विभूषित करती है। ऐसा ही कुछ कर रहे हैं सीवान नगर के नया बाजार स्थित उजाॅय मार्केट के एक छोटे से कमरे में पिछले 33 वर्षों से बालक बालिकाओं को कला के गुर से कमल किशोर प्रसाद उन्हें गुणवान बना रहे हैं। इसके लिए कक्षाएं नियमित रूप से आयोजित होती है।
कौन है कमल किशोर प्रसाद?
कमल किशोर प्रसाद पिता स्वर्गीय विश्वनाथ प्रसाद सीवान नगर के स्थाई रहवासी है। आपने 1970 से लेकर 1990 तक ललित बस स्टैंड के निकट सनातन धर्म थियोसोफिकल मोंटेसरी स्कूल में शैक्षणिक कार्य किया। तत्पश्चात 1990 में ही नटराज आर्ट एंड क्राफ्ट नाम से बालक-बालिकाओं को कला में प्रशिक्षण हेतु संस्था की स्थापना की। यह संस्था आज भी कार्यरत है और इससे हजारों बच्चे प्रतिवर्ष लाभान्वित हो रहे हैं। एक समय ऐसा भी था कि छपरा और गोपालगंज से बालक-बालिकाएं कला का गुर सीखने कमल जी की संस्था में आते थे।
कमल जी बताते हैं कि मैंने इस संस्था का नाम ‘नटराज’ इसलिए रखा कि भगवान शंकर कला के पुजारी है, वहीं से कला की उत्पत्ति हुई है और भगवान नटराज की आकृति हमें सचमुच में मोह लेती है। संसार में इससे बढ़िया आकृति और कुछ नहीं हो सकती है इसलिए मैंने इस संस्था का नाम नटराज रखा, जो मेरे लिए एक भावुक करने वाली छवि है।
कला से व्यक्तित्व का विकास होता है
कमल जी अपने मित्र जादूगर विजय के साथ मिलकर रंगमंच एवं ललित कलाओं के लिए समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती को 1990 में सीवान में स्थापित किया। आप इसके संस्थापक अध्यक्ष रहे। कला साधक कमल किशोर प्रसाद का मानना है कि मनुष्य का जन्म से ही कला से संबंध हो जाता है अर्थात जीवन ही कला है। चित्रकला, शिल्पकला, मूर्तिकला, गायनकला, नृत्यकला ही कला नहीं है बल्कि मनुष्य का उठना, बैठना, चलना, दौड़ना, बोलना, भोजन करना इत्यादि भी कला का ही एक रूप है। इसके समग्र विकास को ही हम व्यक्तित्व विकास कहते हैं।
कमल किशोर प्रसाद 73 वर्ष की उम्र में भी बिना थके रुके अपनी संस्थान नटराज आर्ट्स एंड क्राफ्ट के माध्यम से बालक-बालिकाओं को भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चंडीगढ़ से डिप्लोमा विशारद पूर्ण खंड तथा भास्कर पूर्ण खंड की डिग्री प्राप्त करवाते है। इनके संस्था से चित्रकला, स्केचिंग, पेंटिंग,फैब्रिक पेंटिंग,नीब पेंटिंग, सिल्क पेंटिंग, ऑयल पेंटिंग, वाटर कलर पेन्टिंग, कलर पेंटिंग, हैंडीक्राफ्ट, फ्लावर मेकिंग, मेहंदी रचना, मूर्ति रचना, सैंड आर्ट, कोलाज आर्ट,टाई एंड डाई, पेस्टल कलर, अल्मुनियम एमबोजिंग, लेटर डिजाइनिंग,कैलीग्राफी तथा शोला पेपर जैसे कला का प्रशिक्षण दिया जाता है।
मुझ पर ईश्वरीय कृपा है-कमल किशोर प्रसाद
अपने इस कला का जुनून के बारे में कमल जी बताते हैं यह मुझ पर ईश्वरीय कृपा है। मैं इस विधा की कहीं से भी औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया। एक साथ कई गुणों के धनी कमल किशोर स्वभाव से मिलनसार और मृदुभाषी है। अहर्निश अपने कार्य में लगे कमल जी कला के माध्यम से युवाओं को स्वावलंबी बनाने में लगे हुए है। आपके शिष्य आकाश कुमार कहते हैं कि मैं गुरु जी के पास 1996 में आया और मैं इनसे कला के गुर सीखे, आज मैं स्वतंत्र रूप से चित्रकार हूं, सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर अपने काम में गुरु जी के आशीर्वाद से लगा हुआ हूँ। आकाश आगे बताते हैं कि संसार में जितने महान लोग हुए हैं वह किसी न किसी कला से अवश्य जुड़े हुए है। कला मर्मज्ञ कभी कठोर नहीं होते। कला साधक सदैव सृजनशील होते है वह नई-नई स्तर का सृजन करते है।
जब वातावरण प्रतिकूल हो और नकारात्मक संवाद का दौर हो उसमें एक जुगनू की भांति नवोदित बालक बालिकाओं को अपने हुनर को जानने-पहचानने-समझने का अवसर प्रदान करना कमल किशोर जी का ध्येय है। सूचना तंत्र के दौर में जहां इसे एक नई ऊंचाई मिली है वहीं युवा अपना बहुमूल्य समय मोबाइल पर रील,व्हाट्सएप व चैट पर नष्ट कर दे रहे है। युवाओं को चाहिए कि वह अपनी दिनचर्या से एक-दो घंटे समय निकालकर इस प्रकार के विधा का प्रशिक्षण प्राप्त करें।
कला में है सुखद अनुभूति
कहते हैं जब कोई व्यक्ति सपने के आश्व पर सवार होकर अतिशय कल्पना के संसार में गोते लगाता है तो कई प्रकार के सुध को अपने निकट पाता है। वह अपने आकांक्षाओं से रू-ब-रू होता है तो कभी वह स्वप्निल दृश्यों से साक्षात्कार करता है। कुछ इसे देखकर तो कुछ इसे मूर्त रूप देकर सुखद अनुभूति प्राप्त करते है। अपने कलाकृतियों में व्यक्ति विभिन्न प्रकार के रंग भर कर अपना जीवनी प्रस्तुत करता है,वह उसके सकारात्मक तत्वों से गुणवान होते हुए अपने शिखर को प्राप्त करता है, शायद यही कला का मर्म है।
इसे साकार करने में कमल किशोर प्रसाद लगे हुए है।
कमल किशोर जी सीवान के पिकासो है,एम एफ हुसैन है,सतीश गुजराल है-जादूगर विजय
कमल किशोर प्रसाद जी के मित्र जादूगर विजय कहते है कि मेरा उनका पिछले 33 वर्षों का साथ है, न जाने कितने मंचों पर हम लोगों ने एक साथ कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं। संस्कार भारती को सीवान में स्थापित करने का श्रेय कमल किशोर प्रसाद जैसे व्यक्तित्व को है। कमल किशोर जी सीवान के पिकासो है,एम एफ हुसैन है,सतीश गुजराल हैं। विडंबना है कि कोई इस व्यक्तित्व को पहचान ना पाया, जिसके कारण जितनी ऊंचाई इस व्यक्तित्व को मिलनी चाहिए वह नहीं मिला।
बहरहाल ईश्वर से कामना है कि आप दीर्घायु हो, स्वस्थ हो,शतायु हो और बालक-बालिकाओं को प्रशिक्षण देते रहे।
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