फर्जी राइस मिल-पता भी गलत’, करोड़ों के धान घोटाले में नीलामी एक्शन के बीच बड़ा खुलासा
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क:
बिहार के मुजफ्फरपुर में करीब आठ साल पहले हुए 11 करोड़ रुपये के धान घोटाले को लेकर तीन राइस मिल चलाने वालों पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस मामले में जांच दर जांच में कई परतें खुलकर सामने आ रही। पता लगा है कि कागज पर ही सिर्फ मिल को दर्शाया गया था। यहां तक की धान की ढुलाई में जिस गाड़ी का इस्तेमाल करने का जिक्र किया गया था वह भी फर्जी पाया गया। मामले का खुलासा नीलाम वाद के मामले के निष्पादन के दौरान हुआ।
क्या है पूरा मामला जानिए
मुजफ्फरपुर के सभी पदाधिकारियों से डीएम प्रणव कुमार ने 20-20 बड़े बकायेदारों की सूची मांगी थी। एसडीओ पूर्वी ने इनकी सूची भी जारी की थी। इन बकाएदारों को अंतिम नोटिस भी भेजा गया। लेकिन जांच में पता लगा कि कई राइस मिलरों का नाम और पता फर्जी है। एसडीओ पूर्वी कार्यालय से पिछले दिनों 20 बड़े बकाएदारों की सूची जारी करते हुए इन्हें नोटिस भेजा गया था। इसमें एक राइस मिल संचालक ने महज एक लाख रुपये का चेक भेजा। वहीं उसके यहां पर करीब 80 लाख रुपये बकाया है। अब इन सभी को 31 अगस्त तक का अंतिम समय देने की तैयारी की जा रही है। करीब तीन सौ से अधिक वैसे बकाएदार हैं, जिनके यहां अरबों रुपये बकाया है। इसमें कई राइस मिलर भी शामिल हैं। जिनका नाम धान के बदले चावल घोटाले में भी दर्ज है।
अधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध
कई अधिकारियों की भी भूमिका पर सवाल उठ रहे है। हालांकि अब तक विभाग इनपर कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है कि ये किनकी जिम्मेवारी थी। इसका भी जिक्र अब तक नहीं किया गया। इसमें कई मिल संचालक पश्चिम बंगाल समेत अलग-अलग अन्य राज्यों के हैं। इनपर भी नीलामी के मामले चल रहे हैं, लेकिन फर्जी पता होने से परेशानी हो रही है।
डीएसपी-थानाध्यक्ष कराएंगे नोटिस की तामिल
सभी बकाएदारों की सूची अलग-अलग नीलाम पत्र पदाधिकारियों ने तैयार कर लिया है। अब इन सभी को डीएसपी और थानाध्यक्ष के माध्यम से भी नोटिस तामिल कराने की कवायद की जा रही है। सभी थानाध्यक्ष बकाएदारों के नाम पते का सत्यापन करते हुए राशि जमा करने के लिए दबिश बनाएंगे।
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