बाँध सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये संभावित उपाय क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जल शक्ति राज्य मंत्री ने बाँध सुरक्षा और जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में भारत की महत्त्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला।

भारत में बाँध सुरक्षा और जल संसाधन प्रबंधन से सबंधित प्रमुख पहलें:

  • बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021: एक नियामक ढाँचा:
    • यह केंद्र सरकार द्वारा अधिनियमित एक अधिनियम है।
    • इसके तहत निर्दिष्ट बाँध की उचित निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव का कार्य किया जाता है।
    • इसका उद्देश्य बाँध विफलता से संबंधित आपदाओं को रोकना और बाँध सुचारु रूप से कार्य कर सकें, इसके लिये संस्थागत तंत्र की स्थापना करना है।
  • संस्थागत तंत्र:
    • बाँध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति (National Committee on Dam Safety-  NCDS):
      • इसका कार्य राष्ट्रीय स्तर पर बाँध सुरक्षा हेतु राष्ट्रीय समिति का गठन करना है।
      • यह बाँध सुरक्षा संबंधी नीतियों को विकसित करने और आवश्यक नियमों की सिफारिश करने के लिये उत्तरदायी है ।
      • यह समान सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने के लिये एक रणनीतिक मंच प्रदान करता है।
    • राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण (National Dam Safety Authority- NDSA):
      • इसका कार्य एक नियामक संस्था के रूप में राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण का गठन करना है।
      • यह बाँध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति की नीतियों को लागू करता है।
      • राज्य बाँध सुरक्षा संगठनों (State Dam Safety Organisations- SDSO) को तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ अंतर-राज्यीय विवादों का समाधान करता है।
    • राज्य स्तरीय बाँध सुरक्षा उपाय:
      • यह बाँध सुरक्षा पर राज्य समिति की स्थापना के लिये राज्य सरकारों को सशक्त बनाता है।
      • यह बाँध सुरक्षा मानकों को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार राज्य बाँध सुरक्षा संगठनों का गठन करता है।
      • यह सुरक्षा प्रोटोकॉल और उपचारात्मक कार्रवाइयों के संबंध में बाँध प्रबंधकों को महत्त्वपूर्ण निर्देश प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (National Hydrology Project- NHP):
    • राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना को चार प्रमुख घटकों; जल संसाधन निगरानी प्रणालीजल संसाधन सूचना प्रणालीजल संसाधन संचालन और योजना प्रणाली तथा संस्थागत क्षमता वृद्धि के साथ डिज़ाइन किया गया है।
    • इस परियोजना का लक्ष्य देश भर में जल संसाधन प्रबंधन क्षमता में वृद्धि करना है।
    • यह कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा किये गए बाढ़ संबंधी पूर्वानुमान अध्ययनों का समर्थन करती है।

भारतीय बाँधों की स्थिति:

  • भारत में कुल 5745 बाँध हैं जिनमें से 411 निर्माणाधीन हैं।
  • बड़े बाँधों के निर्माण के मामले में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है।
  • उत्तराखंड का टिहरी बाँध भागीरथी नदी पर बना भारत का सबसे ऊँचा बाँध है।
  • ओडिशा में महानदी पर बना हीराकुंड बाँध भारत का सबसे लंबा बाँध है।
  • तमिलनाडु में कल्लनई बाँध भारत का सबसे पुराना बाँध है। यह कावेरी नदी पर बना है और लगभग 2000 वर्ष पुराना है।

अन्य संबंधित जल संसाधन प्रबंधन पहल:

  • स्वच्छ भारत मिशन।
  • जल जीवन मिशन।
  • राष्ट्रीय जल नीति, 2012।
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना।
  • जल शक्ति अभियान- कैच द रेन अभियान।
  • अटल भू-जल योजना।
  • सुजलाम 2.0।
  • अमृत सरोवर मिशन।
  • बाँध सुरक्षा और जल संसाधन प्रबंधन संबंधी चुनौतियाँ:
  • भू-वैज्ञानिक और भू-तकनीकी चुनौतियाँ:
    • भारत में कई क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय हैं, जिससे भूकंप का खतरा उत्पन्न होता है जो बाँध की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
    • कुछ क्षेत्रों में मिट्टी की खराब गुणवत्ता तथा अस्थिर भू-वैज्ञानिक स्थितियाँ भी बाँध सुरक्षा सुनिश्चित करने में चुनौतियों का कारण बनती हैं।
  • एजिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर (Ageing Infrastructure): 
    • भारत में कई बाँध पुराने हो चुके हैं और आधुनिक सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं कर सकते हैं। संभावित विफलताओं को रोकने के लिये इन पुरानी संरचनाओं का रख-रखाव एवं पुनर्वास आवश्यक है।
  • जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाएँ: 
    • जलवायु पैटर्न में बदलाव तथा भारी वर्षा और बाढ़ जैसी बढ़ती चरम मौसमी घटनाओं से बाँधों एवं उनके जलाशयों पर दबाव पड़ सकता है, जिससे संभावित रूप से ओवरटॉपिंग (Overtopping) या बाँध (Dam) विफलता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • अंतर्राज्यीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
    • भारत में कई नदियाँ पड़ोसी राज्यों या देशों के साथ सीमा साझा करती हैं, जिससे बाँध सुरक्षा एवं जल प्रबंधन के लिये समन्वित प्रयासों की आवश्यकता होती है। विवाद और सहयोग की कमी प्रभावी बाँध प्रबंधन को प्रभावित कर सकती है
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया अवसंरचना: 
    • संभावित आपदाओं का प्रबंधन करने के लिये बाँधों के आसपास प्रभावी संचार नेटवर्क, निकासी योजनाएँ तथा आपातकालीन आश्रयों का विकास और रखरखाव आवश्यक है।
  • सामुदायिक पुनर्स्थापन एवं पुनर्वास: 
    • ऐसे मामलों में जहाँ बाँध निर्माण और संचालन के लिये स्थानीय समुदायों के विस्थापन की आवश्यकता होती है, उनका उचित पुनर्वास सुनिश्चित करना चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है।

आगे की राह

  • एक गतिशील एवं अनुकूलनीय परियोजना विकसित करना जिसके माध्यम से दीर्घकालिक पर्यावरणीय एवं सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित करते हुए वास्तविक समय निगरानी, ​​पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों, आपदा तैयारियों तथा पारिस्थितिकी तंत्र की सुनिश्चितता को शामिल किया जाए।
  • बाँध के डिज़ाइन और प्रबंधन में जलवायु परिवर्तन संबंधी विचारों को एकीकृत करना, मौसम में हुए परिवर्तन का अनुमान लगाना, साथ ही चरम मौसमी घटनाओं का सामना करने के लिये अनुकूल उपायों को लागू करना।
  • बाँध सुरक्षा पेशेवरों के कौशल और ज्ञान में वृद्धि के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन जारी रखना
  • साझा नदी प्रणालियों के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने और विवादों को हल करने के लिये पड़ोसी देशों/राज्यों के साथ सहयोग को मज़बूत करना।
  • सामंजस्यपूर्ण परियोजना के माध्यम से सह-अस्तित्व को बढ़ावा और भलाई सुनिश्चित कर स्थानीय जातीय समुदायों के साथ सार्थक जुड़ाव को प्राथमिकता दी जानी चाहिये, साथ ही उनके इनपुट, सांस्कृतिक विरासत को महत्त्व देना चाहिये।
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