Article 370: केंद्र जम्मू-कश्मीर में किसी भी समय चुनाव करने को तैयार
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में फिर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में याचिका का विरोध करते हुए केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर में किसी भी समय चुनाव के लिए तैयार हैं।
राज्य का दर्जा कब बहाल होगा, अभी नहीं बता सकते
सुनवाई के दौरान केंद्र ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच के कई सवालों का जवाब दिया। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए तेजी से काम कर रही है, लेकिन इसको लेकर कोई तय समयसीमा बताने में असमर्थ है।
केंद्र ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची को अद्यतन करने की प्रक्रिया चल रही है, इसे पूरा होने में एक महीने का समय लगेगा।हालांकि, केंद्र ने स्पष्ट किया कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है। केंद्र ने आगे कहा कि इसे पूर्ण राज्य बनाने के लिए काम जारी है।
तीन चरणों में होंगे चुनाव
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव तीन चरणों में होंगे। एसजे ने कहा कि पहला चुनाव पंचायत स्तर पर होगा, दूसरा नगरपालिका और फिर विधानसभा चुनाव होंगे।
सिब्बल को सीजेआई का आश्वासन
सुनवाई के दौरान एनसी नेता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आतंकवाद से संबंधित घटनाओं पर केंद्र के डेटा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिकॉर्ड पर लिए जाने पर आपत्ति जताई। इसपर सीजेआई ने सिब्बल को आश्वासन देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं पर केंद्र का डेटा सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए जा रहे अनुच्छेद 370 के संवैधानिक मुद्दे को प्रभावित नहीं करेगा।
आतंकी घटनाओं में आई कमी
याचिकाओं का विरोध करते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकी घटनाओं में कमी आई है। केंद्र ने कहा कि 2018 से तुलना में 2023 में आतंकवादी घटनाओं में 45.2 फीसद की कमी देखने को मिली है।
घुसपैठ और पथराव भी घटा
केंद्र ने कहा कि इसी के साथ घुसपैठ की घटना भी 90 फीसद तक कम हो गई है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पथराव आदि जैसी घटनाएं भी 97 फीसद तक कम हो चुकी है।
वहीं, सुरक्षाकर्मियों को नुकसान पहुंचाने की घटना में 65 फीसद की कमी आई है। केंद्र ने कहा कि साल 2018 में पथराव की घटनाएं 1767 थीं, जो अब शून्य है।
संविधान बेंच में सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा के बारे में केंद्र सरकार से निर्देश लेने को कहा, जिसे 2019 में दो केंद्रशासित प्रदेशों में बदल दिया गया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि पूर्ववर्ती राज्य स्थायी रूप से केंद्रशासित प्रदेश नहीं हो सकता। चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से कहा, ‘हम समझते हैं कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले हैं। हम समझते हैं कि अंततः राष्ट्र का संरक्षण ही एक सर्वोपरि चिंता का विषय है।
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