आक्रोशित संतो ने कहा, तमिलनाडु सरकार को बर्खास्त करें राष्ट्रपति

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अखिल भारतीय संत समिति ने एकस्वर से तमिलनाडु सरकार को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है। संतों ने राष्ट्रपति से अपील की है कि तमिलनाडु में सरकारी स्तर पर चलाए जा रहे हिंदुमुक्ति अभियान का तत्काल संज्ञान लेकर वहां की सरकार को बर्खास्त करना चाहिए। लखनऊ में ही रविवार को संपन्न हुई अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में सर्व सम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया।
संत समिति के अखिल भारतीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि तमिलनाडु में सनातन धर्म उन्मूलन के लिए जो अभियान चल रहा है वह भारत के संविधान और सेकुलर लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कुठाराघात है। वहां सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन होता है और उसमे राज्य का धर्मार्थ कार्य मंत्री शेखर बाबू स्वयं उपस्थित होता है।

आखिर यह क्या संदेश दिया जा रहा है। स्वामी जी ने कहा कि यह ऐसी घटना है जिसका संज्ञान लेकर उस सरकार को राष्ट्रपति को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए। माननीय सुप्रीम कोर्ट को भी इस घटना का संज्ञान लेना चाहिए। तमिलनाडु में लगभग 85 हजार सनातन धर्म के मंदिर हैं। वहां लाखो की हिदू आबादी है। आखिर स्टालिन की सरकार सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन जैसे आयोजन कर के क्या संदेश दे रही है।

 एक सितंबर को मार्क्सवादी पार्टी से जुड़ा संगठन तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ की ओर से चेन्नई के कामराजार एरिना में सनातन उन्मूलन सम्मेलन का आयोजन किया गया था.

इसमें भाग लेते हुए उदयनिधि स्टालिन ने भारतीय मुक्ति संग्राम में आरएसएस का योगदान शीर्षक से व्यंग्यचित्रों वाली एक पुस्तक का विमोचन किया. उन्होंने सनातन धर्म और बीजेपी को लेकर भी भाषण दिया था.

उदयनिधि स्टालिन ने अपने संबोधन में कहा था, “इस सम्मेलन का शीर्षक बहुत अच्छा है. आपने ‘सनातन विरोधी सम्मेलन’ के बजाय ‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’ का आयोजन किया है. इसके लिए मेरी बधाई. हमें कुछ चीज़ों को ख़त्म करना होगा.””हम उसका विरोध नहीं कर सकते. हमें मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया, कोरोना वायरस इत्यादि का विरोध नहीं करना चाहिए.”

“हमें इसका उन्मूलन करना चाहिए. सनातन धर्म भी ऐसा ही है. तो पहली चीज़ यही है कि हमें इसका विरोध नहीं करना है बल्कि इसका उन्मूलन करना है. सनातन समानता और सामाजिक न्याय के ख़िलाफ़ है. इसलिए आपलोगों ने सम्मलेन का शीर्षक अच्छा रखा है. मैं इसकी सराहना करता हूँ.”

“फासीवादी ताक़तें हमारे बच्चों को पढ़ने से रोकने के लिए कई योजनाएं लेकर आ रही हैं. सनातन की नीति यही है कि सबको नहीं पढ़ना चाहिए. एनईईटी परीक्षा इसका एक उदाहरण है.”

जहाँ तक तमिलनाडु की बात है तो वहाँ लंबे समय से सनातन विरोधी राजनीति चली आ रही है. उदयनिधि के इस भाषण को उसी के एक हिस्से के तौर पर देखा गया है.

द्रविड़ कषगम के संस्थापक नेता पेरियार ने हिंदू धर्म के ख़िलाफ़ कड़े विचार व्यक्त किए थे. वे जीवन भर हिंदू धर्म के उन्मूलन, रामायण के विरोध और मंदिरों के उन्मूलन पर लेख लिखते रहे.

उनके बाद द्रविड़ कषगम और पेरियार के अनुयायी समय-समय पर ऐसे विचार व्यक्त करते आए हैं.

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