Breaking

क्या भारत प्राचीन नाम है और इंडिया अंग्रेजों का दिया हुआ है?

क्या भारत प्राचीन नाम है और इंडिया अंग्रेजों का दिया हुआ है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

हमारे देश का नाम भारत होना प्रमाणित है।

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देशभर में गूंज रहा है – भारत बनाम इंडिया। भारत प्राचीन नाम है और इंडिया अंग्रेजों का दिया हुआ। दरअसल, सिंधु नदी का नाम भारत आए विदेशियों ने इंडस रखा। सिंधु घाटी सभ्यता के कारण भारत का नाम सिंधु भी था। जिसे यूनानी में इंडो कहा जाता था। जब यह शब्द लैटिन भाषा में पहुँचा तो बदलकर इंडिया हो गया। अंग्रेज जब भारत आए तो हमारे देश को हिंदुस्तान कहा जाता था। सिंधू के स को जो ह कहते थे उन्होंने इसे सिंधु से हिंदु कर दिया और जहां हिंदु रहते थे वो हिंदुस्तान हो गया।

G20 डिनर कार्ड पर President Of India की जगह President Of Bharat लिखा गया है। कार्ड का स्क्रीनशॉट AAP सांसद राघव चड्डा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया।
G20 डिनर कार्ड पर President Of India की जगह President Of Bharat लिखा गया है। कार्ड का स्क्रीनशॉट AAP सांसद राघव चड्डा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया।

ख़ैर हिंदुस्तान बोलने में अंग्रेजों को बड़ी परेशानी होती थी, इसलिए उन्होंने इंडस और इंडिया के रूप में एक दिव्य खोज कर डाली। वे हमारे देश को इंडिया कहने लगे। भारत नाम प्राचीन है। पुरु वंश के महाराज दुष्यंत और रानी शकुंतला के पुत्र भरत ने इस देश का पहली बार संपूर्ण विस्तार किया और उनके नाम पर ही देश का नाम भारत पड़ा।

इंडिया और भारत नाम पर बहस इसलिए छिड़ी है क्योंकि जी20 समिट में मेहमानों को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने रात्रि भोज पर बुलाया है और इसके निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट ऑफ़ इंडिया के स्थान पर प्रेसिडेंट ऑफ़ भारत लिखा हुआ है। सवाल यह उठता है कि इंडिया लिखा जाए या भारत या भारत वर्ष, इसमें परेशानी क्या है? वैसे नाम तो कई हैं। कोई सात। जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, हिंदुस्तान, हिमवर्ष, अजनाभ वर्ष, भारत और इंडिया भी। जब देश आज़ाद हुआ और संविधान सभा में जब देश का नाम तय करने की बारी आई तब भी ऐसी ही तीखी बहस हुई थी, जैसी आज छिड़ी है।

बात 18 सितंबर 1949 की है। संविधान सभा के अध्यक्ष बाबू राजेंद्र प्रसाद और प्रारूप समिति (ड्राफ़्ट कमेटी) के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर की उपस्थिति में सभा के सदस्य हरि विष्णु क़ामत ने बहस शुरू की और देश का नाम भारत या भारत वर्ष रखने का प्रस्ताव आगे बढ़ाया। डॉ. अंबेडकर बीच में बोले। इस पर क़ामत भड़क गए। इस बीच शंकरराव देव, केएम मुंशी और गोपाल स्वामी अय्यंगार ने भी बोलने की कोशिश की लेकिन कामत ने सभी को चुप करा दिया।

सदन के अध्यक्ष ने व्यवस्था दी कि यह सिर्फ़ भाषा के बदलाव का मामला है। आसानी से सुलझाना चाहिए। तर्क – वितर्क शुरू हुए। अंबेडकर चाहते थे इस पर जल्द निर्णय लिया जाए, लेकिन बहस लम्बी चली। बहस में सेठ गोविंद दास, कमलापति त्रिपाठी, श्रीराम सहाय और हर गोविंद पंत ने भी हिस्सा लिया। सेठ गोविंद दास ने ऐतिहासिक संदर्भों का हवाला देते हुए देश का नाम भारत या भारत वर्ष रखने पर ज़ोर दिया।

कमलापति त्रिपाठी ने बीच का रास्ता निकाला और कहा फ़िलहाल देश का नाम इंडिया अर्थात् भारत (इंडिया देट इज भारत) है। ऐतिहासिकता को देखते हुए इसे बदलकर भारत अर्थात इंडिया कर देना चाहिए। दक्षिण भारत और ग़ैर हिंदी भाषी सदस्यों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। आख़िर वोटिंग करानी पड़ी। दूसरे नामों के तमाम प्रस्ताव गिर गए और “इंडिया अर्थात् भारत राज्यों का संघ” नामकरण सदन से पारित हो गया। देश के इसी नाम का संविधान के अनुच्छेद-1 में उल्लेख है।

इंडिया का जो नाम है किसी भी वक्त चेंज कर सकते हैं। कॉन्स्टिट्यूशन में अमेंडमेंट की जरूरत है और अमेंडमेंट के जरिए आप इंडिया का नाम भारत रख सकते हैं। भारतवर्ष रख सकते हैं, आर्यावर्त रख सकते हैं, जंबूद्वीप रख सकते हैं। वो कॉन्स्टिट्यूट और पार्लियामेंट के ऊपर है। इसलिए ये तो नहीं कहा जा सकता कि पार्लियामेंट इसको चेंज नहीं कर सकती। जब तक India का नाम चेंज नहीं होता है, तब तक इंडिया लिखना ही पड़ेगा। जब एक बार इंडिया का नाम भारत हो जाएगा तो फिर भारत। क्योंकि एक कंट्री का नाम एक ही हो सकता है, दो नहीं हो सकता। और अनुच्छेद 1 में जो India that is Bharat लिखा हुआ है, इसका मतलब ये नहीं कि आप दोनों इस्तेमाल कर सकते हैं। ये गलत धारणा है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद सहित तमाम धर्मगुरुओं का कहना है कि ये विवाद का मुद्दा नहीं है। विष्णु पुराण सहित तमाम धर्मग्रंथों का हवाला देते हुए कहा है कि देश का प्राचीन नाम भारत है।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष (श्रीनिरंजनी अखाड़ा गुट) श्रीमहंत रवींद्र पुरी कहते हैं कि इंडिया नाम अंग्रेजों ने दिया है, जो गुलामी का प्रतीक है। इस शब्द में आत्मीयता नहीं है।

वहीं, भारत शब्द का उल्लेख धर्मग्रंथों में है। हम उसी का प्रयोग करेंगे और अपने भक्तों से कराएंगे। अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि कहते हैं कि संविधान में भारत का उल्लेख ऊपर है। जब संविधान बना था तब कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका थी। ऐसे में इसको लेकर विवाद (India vs Bharat) करना अनुचित है।

भारत प्राचीन व निर्विवादित नाम है।उपनिषद मर्मज्ञ बताते हैं कि विष्णु पुराण में उल्लेख है कि समुद्र के उत्तर और हिमालय के दक्षिण जो देश है, उसे भारत कहते हैं। उसके नागरिकों को भारती कहते हैं। महान चक्रवर्ती सम्राट राजा भरत के सम्मान में देश को भारत कहने का उल्लेख मिलता है। इससे हमारे देश का नाम भारत होना प्रमाणित है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!