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क्या हिन्दी बन गई है सबकी हिन्दी? - श्रीनारद मीडिया

क्या हिन्दी बन गई है सबकी हिन्दी?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विश्व में करीब तीन हजार भाषाएं हैं। इनमें से हिन्दी ऐसी भाषा है, जिसे मातृभाषा के रूप में बोलने वाले दुनिया में दूसरे स्थान पर हैं। भारत के अलावा हिन्दी को नेपाल, मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, यूगांडा, दक्षिण अफ्रीका, कैरिबियन देशों, ट्रिनिदाद एवं टोबेगो और कनाडा आदि में बोलने वालों की अच्छी खासी संख्या है। इसके अलावा इंग्लैंड, अमेरिका, मध्य एशिया में भी इसे बोलने और समझने वाले लोग बड़ी संख्या में हैं।

अपने उदार हृदय और सर्वसमावेशी प्रकृति के कारण हिन्दी जगत का निरंतर विस्तार होता जा रहा है। अब हिन्दी, हिन्द तक ही सीमित नहीं है। आज हिन्दी मात्र साहित्य की भाषा नहीं है। बल्कि विज्ञान और तकनीक की भी भाषा बन गई है। गूगल ने कई महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर और सेवाएँ जारी की हैं, जिनके माध्यम से विभिन्न तकनीकी युक्तियों में हिन्दी पाठ्य का उपयोग आसान हो गया है। एंड्रोइड युक्तियों में बोलकर लिखने की प्रणाली (गूगल वॉयस इनपुट) सेवा का आगमन सुखद भी है और क्रांतिकारी भी। इससे पहले गूगल ने हिन्दी हस्तलिपि पहचान सॉफ्टेवयर जारी किया था। गूगल मैप्स और सर्च में भी बोलकर हिन्दी लिखी जा सकती है और हिन्दी में ही परिणाम देखे जा सकते हैं। ऑनलाइन हिन्दी के शब्दकोश मौजूद हैं।

एक भ्रम यह खड़ा किया जाता है कि अंग्रेजी रोजगार की भाषा है, हिन्दी नहीं। जबकि स्थितियां इसके उलट हैं। भारत दुनिया के लिए सबसे बड़ा बाजार है। इसलिए यहां व्यापार के लिए हिन्दी जरूरी हो गई है। विज्ञापन की दुनिया को हम देख सकते हैं- किस तरह वहां हिन्दी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। विज्ञापन क्षेत्र के विशेषज्ञ मानते हैं कि हिन्दी में आते ही विज्ञापन की पहुंच 10 गुना बढ़ जाती है। बड़े-बड़े कॉरपोरेट घराने अपने शोरूमों के नाम हिन्दी साहित्य से उठा रहे हैं। खादिम, मोची, बुनकर ऐसे ही नाम हैं। मनोरंजन के क्षेत्र में तो हिन्दी का मुकाबला ही नहीं है। भारतीय बाजार में हिन्दी के मनोरंजन वाहनियों (चैनल्स) की हिस्सेदारी 38 प्रतिशत है। बॉलीवुड दुनिया में सबसे अधिक फिल्में बनाने का ठिकाना है। बॉलीवुड के जरिए हिन्दी की दुनिया का दायरा भी बढ़ा है।

भारत में संचार माध्यमों की बात करें तो हिन्दी में प्रकाशित समाचार-पत्रों की प्रसार संख्या किसी भी भाषा में प्रकाशित समाचार-पत्रों की प्रसार संख्या से कहीं अधिक हैं। हिन्दी के चैनल टीआरपी की होड़ में सबसे आगे रहते हैं। वेबदुनिया से शुरू हुआ वेब पत्रकारिता का सिलसिला आज कहीं आगे निकल चुका है। यूनिकोड फॉन्ट के आने के बाद से इंटरनेट पर हिन्दी बहुत तेजी से अपना संसार रच रही है। एक समय इंटरनेट पर अंग्रेजी का वर्चस्व था लेकिन आज हिन्दी के ब्लॉग, वेबसाइट, पोर्टल्स की भरमार है। सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर हिन्दी में संवाद किया जा रहा है। ऑनलाइन हिन्दी किताबों का संसार भी बढ़ता जा रहा है। इंटरनेट ने जन-जन तक हिन्दी साहित्य की पहुंच आसान कर दी है। इंटरनेट ने हिन्दी की दुनिया को बढ़ाया है। हिन्दी को वैश्विक पहचान मिली है।

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