भारत-सऊदी अरब साझेदारी का क्या महत्व है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के शुभारंभ के बाद भारत के प्रधानमंत्री ने राजकीय यात्रा पर आए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस का स्वागत किया।

  • इस महत्त्वपूर्ण यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपनी सामरिक साझेदारी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी परियोजना में तेज़ी लाने के लिये एक संयुक्त कार्य बल स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।

यात्रा के परिणाम और समझौते:

  • सामरिक साझेदारी की स्वीकृति:
    • प्रधानमंत्री ने “भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण सामरिक साझेदारों में से एक” के रूप में सऊदी अरब की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
    • दोनों नेताओं ने आपसी साझेदारी, विशेष रूप से दोनों राष्ट्रों के तेज़ी से विकास के लिये क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने पर बल दिया।
  • भारत-सऊदी सामरिक साझेदारी परिषद (SPC):
    • भारत के प्रधानमंत्री और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने भारत-सऊदी सामरिक साझेदारी परिषद (SPC) की उद्घाटन बैठक की सह-अध्यक्षता की।
    • इस बैठक में रक्षा, ऊर्जा, सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, परिवहन, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यटन, संस्कृति, अंतरिक्ष और अर्द्धचालक सहित कई क्षेत्रों पर चर्चा हुई।
    • यह भारत और सऊदी अरब के बीच आर्थिक सहयोग की व्यापक प्रकृति को दर्शाता है।
  • वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी परियोजना में तेज़ी:
    • ARAMCO (सऊदी अरब की तेल कंपनी), ADNOC (संयुक्त अरब अमीरात की तेल कंपनी) और भारतीय कंपनियों को शामिल करने वाली इस त्रिपक्षीय परियोजना में 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश प्राप्त होने के संभावना है।
    • वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी परियोजना में तेज़ी लाने के लिये एक संयुक्त टास्क फोर्स की स्थापना की गई।
    • यह टास्क फोर्स इस परियोजना के लिये सऊदी अरब से किये गए 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के वादे को पूरा करने पर कार्य करेगी।
    • वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी परियोजना भारत की पहली और सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड रिफाइनरी है।
      • महाराष्ट्र के रत्नागिरि स्थित इस परियोजना की उत्पादन क्षमता 60 मिलियन टन प्रतिवर्ष होने की उम्मीद है। योजना पूरी होने पर यह विश्व की सबसे बड़ी रिफाइनरियों में से एक होगी।
      • इस परियोजना में समुद्री भंडारण और बंदरगाह बुनियादी ढाँचे, कच्चे तेल टर्मिनल, भंडारण एवं सम्मिश्रण संयंत्र, अलवणीकरण संयंत्र आदि सहित विभिन्न महत्त्वपूर्ण सुविधाएँ शामिल हैं।
  • द्विपक्षीय समझौते और सहयोग:
    • यात्रा के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने के लिये आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
      • उल्लेखनीय समझौतों में भारत के केंद्रीय सतर्कता आयोग और सऊदी निरीक्षण एवं भ्रष्टाचार विरोधी प्राधिकरण के बीच सहयोग के साथ-साथ प्रौद्योगिकी, शिक्षा तथा कृषि में सहयोग शामिल है।
    • भारत के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और सऊदी अरब के खारा जल रूपांतरण निगम के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
  • कच्चे तेल की आपूर्ति का आश्वासन:
    • सऊदी अरब ने ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए भारत को “विश्वसनीय भागीदार और कच्चे तेल की आपूर्ति का निर्यातक” होने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
  • रक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग:
    • दोनों देशों ने रक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सहयोग बढ़ाने का वादा किया।
      • आतंकवादी गतिविधियों के लिये “मिसाइलों और ड्रोन” तक पहुँच को रोकने पर विशेष ज़ोर दिया गया।

सऊदी अरब में चल रहे सुधारों के अनुरूप द्विपक्षीय संबंधों के लिये पर्यटन क्षेत्र को मज़बूत करने हेतु योजनाओं पर चर्चा की गई।

भू-राजनीतिक महत्त्व:

यह यात्रा भू-राजनीतिक महत्त्व रखती है क्योंकि यह यात्रा सऊदी अरब द्वारा चीन के सहयोग से ईरान के साथ शत्रुता समाप्त करने के बाद हुई।

ब्रिक्स (BRICS) (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में सऊदी अरब की हालिया सदस्यता उसकी वैश्विक भागीदारी को रेखांकित करती है।

भारत-सऊदी सामरिक साझेदारी परिषद (Strategic Partnership Council-SPC):

  • परिचय:
    • SPC भारत और सऊदी अरब के बीच द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन और उन्हें बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2019 में स्थापित एक उच्च स्तरीय तंत्र है।
    • इसमें दो उप-समितियाँ शामिल हैं, जो सहयोग के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करती हैं:
      • राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग समिति।
      • अर्थव्यवस्था और निवेश पर समिति।
    • ब्रिटेन, फ्राँस और चीन के बाद भारत चौथा देश है जिसके साथ सऊदी अरब ने ऐसी सामरिक साझेदारी की है।
  • संचालन:
    • SPC चार कार्यात्मक स्तरों पर कार्य करती है:
      • शिखर सम्मेलन स्तर, जिसमें प्रधानमंत्री और क्राउन प्रिंस शामिल हैं।
      • मंत्री-स्तरीय व्यस्तताएँ।
      • वरिष्ठ अधिकारियों की बैठकें।
      • विस्तृत चर्चाओं और कार्य योजनाओं को सुविधाजनक बनाने हेतु संयुक्त कार्य समूह (JWG)।
  • महत्त्वपूर्ण कार्य:
    • SPC विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये एक व्यापक मंच के रूप में कार्य करता है।
    • यह संयुक्त पहल को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये विभिन्न स्तरों पर गहन चर्चा, नीति निर्माण और समन्वय की सुविधा प्रदान करता है।
    • प्रत्येक समिति के तहत JWG सहयोग के विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे द्विपक्षीय संबंधों के लिये एक संरचित दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है।

भारत और सऊदी अरब का संबंध:

  • तेल और गैस:
    • भारत अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का 18% से अधिक आयात करता है और अधिकांश LPG आयात सऊदी अरब से करता है।
    • सऊदी अरब वर्तमान में भारत में कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है (आपूर्ति के संदर्भ में इराक शीर्ष पर है)।
  • द्विपक्षीय व्यापार:
    • संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात के बाद सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।
    • विभिन्न आयात और निर्यात के साथ वित्त वर्ष 2022 में दोनों देशों के बीच 29.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ।
  • सांस्कृतिक संबंध:
    • हज यात्रा और इस यात्रा संबंधी प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण दोनों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है।
    • वर्ष 2018 में आयोजित सऊदी राष्ट्रीय विरासत और संस्कृति महोत्सव में भारत ने ‘सम्मानित अतिथि’ के रूप में भाग लिया।
  • नौसेना अभ्यास:
    • वर्ष 2021 में भारत और सऊदी अरब ने अपना पहला नौसेना संयुक्त अभ्यास अल-मोहद अल-हिंदी अभ्यास शुरू किया।
  • सऊदी अरब में भारतीय समुदाय:

 

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