बिहार के छपरा में खनुआ नाले पर बुलडोजर चल रहा है,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार के छपरा में इन दिनों खनुआ नाले पर प्रशासन का बुलडोजर चल रहा है। बीते दो दिन से लगातार अतिक्रमण को हटाया जा रहा है। नाले पर अवैध अतिक्रमण करके बनाई गईं दुकानों की वजह से बारिश में शहर में पानी भर जाता है।
एनजीटी के आदेश पर 6 साल बाद जिला प्रशासन ने निर्देश दिया था, जिस पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। दो दिनों में अब तक 150 अवैध दुकानें हटा दी गईं हैं। बाकी 136 बची दुकानों को हटाने की तैयारी चल रही है।
शहर को जल-जमाव से मुक्त कराने के लिए अवैध अतिक्रमण के खिलाफ रिटायर्ड विंग कमांडर बीएनपी सिंह साल 2015 के बाद से ही एनजीटी कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। साल 2017 में अवैध अतिक्रमण को हटाने का ऑर्डर आया था। अब ऑर्डर आने के छह साल बाद दुकानों पर बुलडोजर चलना शुरू हो गया है।
सरकारी कागजातों के अनुसार खनुआ नाला करीब 400 साल पुराना है। अकबर के दरबार में रहे बनारस के राजा टोडरमल ने इसे बनवाया था।
बीपीएन सिंह मूल रूप से छपरा के रहने वाले हैं। नौकरी से रिटायरमेंट के बाद 2015 में वो लंबे समय के बाद बिहार पहुंचे। बीपीएन सिंह ने बताया कि वो बाहर निकले तो देखा कि तेज बारिश के कारण पूरे शहर में जल जमाव हो गया था।
लगातार छपरा आने के बाद जल जमाव की समस्या सामने आती रही है। जिसके बाद मैंने छपरा को जल जमाव मुक्त करने का प्रण लिया। लंबे समय तक कागजात और जानकारी इकट्ठा करते हुए जल जमाव पर फोकस किया।
साल 2017 में दुकानों को हटाने का मिला आदेश
बीपीएन सिंह ने बताया- मुझे पता चला कि सरकारी राजस्व के दस्तावेज में खनुआ नाला नहर के रूप में दर्ज है। इसके ऊपर सैकड़ों की संख्या में अवैध रूप से दुकानों का निर्माण हुआ है। जिसके चलते शहर में जल जमाव की समस्या उत्पन्न हो रही है।
सभी डॉक्यूमेंट्स को इकट्ठा करने के बाद मैं एनजीटी कोर्ट गया। कोर्ट ने 2017 में खनुआ नाला पर बनी सभी दुकानों को हटाने का आदेश दिया।
फौज से मिली सीख को मूल मंत्र बनाकर लड़ता रहा
सिंह ने बताया कि एनजीटी न्यायालय के आदेश के पहले से ही कई तरह की अड़चनें आई। 286 दुकानों को चिह्नित कर खनुआ से हटाने की बात को लेकर लोग मजाक बनाते रहे।
यहां तक कि मेरे परिवार के लोग भी कुछ समय के लिए मुझसे सवाल करते रहे कि क्या ऐसा हो सकता है, लेकिन फौज में मिली सीख को मूल मंत्र मानकर मैं समस्या से लड़ता रहा।
दस्तावेज में खनुआ नगर निगम की जमीन नहीं
सरकार के दस्तावेज में खनुआ नाला नहर के रूप में अंकित है। खनुआ नहर पर नगर निगम का कोई स्वामित्व नहीं है। बावजूद इसके गलत तरीके से खनुआ नल को ढंककर इसके ऊपर अवैध निर्माण कराया गया।
डॉक्यूमेंट्स के अनुसार, तत्कालीन एसडीओ ने लिखा है कि यह नगर निगम की जमीन नहीं है। बावजूद इसके तत्कालीन डीएम ने गलत तरीके से निर्माण की अनुमति दी गई। मिले रिकॉर्ड के अनुसार तत्कालीन डीएम आरके श्रीवास्तव इसके दोषी हैं।
खनुआ नाला पर अवैध दुकान निर्माण को लेकर जानकारी देते हुए विंग कमांडर डॉक्टर बीएनपी सिंह ने बताया कि 1995-96 में नगर परिषद ने अवैध तरीके से दुकानों का निर्माण कराया। उस दौरान छपरा सदर के विधायक उदित राय बिहार सरकार में नगर विकास मंत्री हुआ करते थे।
बीएनपी सिंह का कहना है कि गलत और अवैध तरीके से बनाए जा रहे दुकान को लेकर उन्हें पूछना चाहिए था। उन्होंने नगर परिषद से कोई जानकारी नहीं ली। इससे यह माना जाता है कि तात्कालीन नगर विकास मंत्री उदित राय ने अपने कर्तव्यों का सही से निर्वहन नहीं कर सके।
विस्थापित दुकानदारों की लड़ाई लड़ेंगे डॉ. बीएनपी सिंह
वेट्रेन्स फोरम के महासचिव बीएनपी सिंह अब तोड़े गए दुकानदारों के लिए लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने बताया कि 550 दुकानदारों को फिर से स्थापित करने के लिए सरकार से उनके हक के लिए लड़ाई लड़ेंगे।
आवंटित दुकानों को दुकान मालिकों किराए पर चला रहे थे। ये दुकानदार विस्थापित हो गए हैं। उन्होंने कहा कि शहर के सरकारी बाजार में खाली पड़ी जगहों पर नई दुकान बनाकर उन्हें आवंटित कर स्थापित करना अब मेरी नैतिक जिम्मेदारी है।
टोडरमल ने 400 साल पहले बनवाया था नाला
खनुआ नाला काफी पुराना है। इसे अकबर के दरबार में रहे बनारस के राजा टोडरमल द्वारा छपरा शहर और आसपास जलजमाव से बचाव के लिए बनाया गया था।
छपरा शहर के बीचोंबीच बना खनुआ नाला सड़क हादसों को निमंत्रण दे रहा है। शहर की हृदयस्थली कहे जाने वाले नगरपालिका चौक से थाना चौक को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग पर यह खनुआ नाला सड़क के दोनों तरफ 20 फ़ीट तक खुला हुआ है। इससे दुर्घटना का खतरा बना रहता है। मुख्य सड़क के किनारे 20 फ़ीट लंबे और 15 फीट चौड़े खुले नाले में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
अभी तक कई लोग इस गहरे नाले में गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। इलाके के चाय दुकानदार राजू कुमार ने बताया कि खनुआ नाला में हमेशा दुर्घटना घटती रहती है। सड़क पर भीड़ बढ़ने के बाद ज्यादा दुर्घटना घटती है। रोजाना दो-तीन गाड़ियां नाले में गिर जाती हैं।
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